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सासन परियोजना की बढ़ी बिजली दरों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने पीड़ित उपभोक्ताओं के साथ मिलकर एपीटीईएल के फैसले के खिलाफ अपील की
सासन परियोजना की बढ़ी बिजली दरों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सासन बिजली परियोजना पर दिए गए एपिलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी (एपीटीईएल) के फैसले को आज सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। फेडरेशन ने आज इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए कहा है कि सासन पावर लिमिटेड को बढ़ी हुई बिजली दर उपभोक्ताओं से वसूलने से तुरंत रोका जाए।  

मध्य प्रदेश के सासन इलाके में चालू हुए रिलायंस के सासन पावर लिमिटेड ने यह दावा किया था कि 31-03-13 को इस कर्मशियल परिचालन शुरू हो गया था, जिसे ट्रिब्यूनल (एपीटीईएल) ने मान लिया था। ट्रिब्यूनल के इस फैसले से उपभोक्ता से सासन बिजली घर है ज्यादा कीमत वसूल कर सकता है। अभी समझौते के हिसाब से प्रति यूनिट 70 पैसा प्रति यूनिट कंपनी को लेना चाहिए लेकिन ट्रिब्यूनल के फैसले से यह कीमत बढ़कर 1.58 पैसा हो जाएगी। इससे सात राज्यों-मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उतराखंड, दिल्ली और राजस्थान के उपभोक्ताओं को बिजली की बढ़ी हुई दर चुकानी पड़ेगी। यहां के उपभोक्ता बेहद परेशान हैं और ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

फेडरेशन का यह दावा है कि रिलायंस ने उपभोक्ताओं से गलत ढग से वसूली करने के लिए यह सारा जाल बुना है। दरअसल, पावर परचेस एग्रीमेंट के हिसाब से परियोजना के चालू होने के अगले दो वित्तीय वर्षों में कंपनी सासन पावर लिमिटेड उपभोक्ताओं से 70 पैसा प्रति युनिट लेगी। इसके बाद यह दर बढ़ी हुई दर वसूल सकती है। इसमें हेरा-फेरी करते हुए कंपनी ने 31-03-13 परिचालन को शुरू करने का दावा किया जिसे ट्रिब्यूनल ने मान लिया। जबकि इससे पहले केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने 8-08-2014 को सासन पावर लिमिटेड के इस दावे को सिरे खारिज कर दिया था। कुल मिलाकर ट्रिब्यूनल के फैसले से सात राज्यों के उपभोक्ताओं पर सीधी गाज गिरी। इस फैसले को रोकने के लिए ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने तीन राज्यों के पीड़ित उपभोक्ताओं के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि खुद सासन पावर लिमिटेड ने खुद ही अपनी प्रेस रिलीज में यह कहा था कि ट्रिब्यूनल के फैसले से उसे 1050 करोड़ रुपये सालाना फायदा होगा। यानी कंपनी खुद ही मान रही है कि इस फैसले से वह उपभोक्ताओं से अधिक कमाई कर पाएगी। 

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