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30 साल का इंतजार आज खत्म, वायुसेना में शामिल होगा तेजस

भारतीयों ने इस क्षण का लंबे समय तक इंतजार किया है। सेनाओं के स्वदेशीकरण में इसे मील का पत्‍थर कहा जा सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा विकसित हल्का और कई तरह की भूमिकाएं निभाने में सक्षम लड़ाकू विमान तेजस आज भारतीय वायसेना में शामिल किया जाएगा।
30 साल का इंतजार आज खत्म, वायुसेना में शामिल होगा तेजस

हालांकि तेजस पूरी तरह स्वदेशी नहीं है क्योंकि इसका इंजन और अन्य कलपुर्जे अमेरिका, इस्राइल आदि देशों से आयातित हैं। आरंभ में सिर्फ दो विमान वायुसेना में शामिल होंगे मगर इस वर्ष के अंत तक छह तथा अगले वर्ष 8 विमान वायुसेना में शामिल हो जाएंगे। वायुसेना इस विमान का दो स्‍क्वाड्रन बनाने की योजना बना रही है। इस वर्ष मई में वायुसेना प्रमुख अरूप राहा ने खुद इसे उड़ाकर देखा था और इसकी तारीफ की थी। इस विमान को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने विकसित किया है।

तेजस एक सीट और एक जेट इंजन वाला, अनेक भूमिकाओं को निभाने में सक्षम एक हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए)) है। एलसीए की यह परियोजना 1980 के दशक में शुरू हुई थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने 2003 में इस विमान को तेजस नाम दिया था। इस विमान को चीन और पाकिस्तान द्वारा मिलकर बनाए गए जेएफ 17 के मुकाबले का बताया जा रहा है मगर इसकी कई खूबियां जेएफ 17 से बहुत अच्छी हैं। चाहे वजन उठाने की क्षमता हो या उड़ान भरने के लिए रनवे की लंबाई तेजस ज्यादा बेहतर है। यही नहीं तेजस में हवा में तेल भरने की क्षमता है जो चीन और पाकिस्तान के विमान में नहीं है।

तेजस की सीमित श्रृंखला का उत्पादन 2007 में शुरू हुआ। इसका दो सीटों वाला एक ट्रेनर संस्करण विकसित किया गया है जो देश के पायलटों को लड़ाकू ट्रेनिंग देने के काम आएगा। इसका उत्पादन भी आरंभ हो गया है। इसके अलावा तेजस का नौसेना का संस्करण भी तैयार है और इसी वर्ष इसका रात्रिकालीन परीक्षण शुरू किया गया है। कुल मिलाकर यह विमान भारतीय वायुसेना की सूरत बदलने वाला साबित हो सकता है।

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