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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा- तब तक रुकवा क्यों नहीं देते राजद्रोह कानून, कल तक मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह कानून मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से सवाल किया कि कि जब तक वह दोबारा कानून...
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा-  तब तक रुकवा क्यों नहीं देते राजद्रोह कानून, कल तक मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह कानून मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से सवाल किया कि कि जब तक वह दोबारा कानून पर विचार करेगी तब तक नागरिकों के अधिकार की रक्षा कैसे होगी। तब तक इस कानून को रुकवा क्यों नहीं देते। अदालत ने केंद्र सरकार से कल सुबह तक इस पर रुख साफ करने का निर्दश देते हुए सुनवाई टाल दी है। शीर्ष अदालत ने सरकार से पेंडिंग और भविष्य के केस को लेकर एक हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। इससे पहले सरकार ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि जब तक केंद्र सरकार इस कानून पर विचार कर रही है तब तक सुनवाई टाल दी जाए। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया था।

केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट को बताना है कि जब तक वो देशद्रोह कानून की समीक्षा कर रहे हैं तब तक इस कानून के लागू करने पर उसका क्या फैसला है? यानी जब तक केंद्र सरकार इस कानून की समीक्षा करे, तब तक जिन लोगों पर आईपीसी 124-ए  के तहत आरोप है उनके केस का क्या होगा और क्या आगे फ़ैसला होने तक नए मामले इसके तहत दर्ज होंगे या नहीं?  केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जो केस पेंडिंग है और भविष्य में होने वाले केस के बारे में अपना स्टैंड स्पष्ट करें।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम राजद्रोह कानून पर दोबारा विचार कर रहे हैं। आप सुनवाई टाल सकते हैं। इस पर सिब्बल ने सरकार की दलील का विरोध किया। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत कानून की संवैधानिक वैधता परख रही है।   सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही इसलिए नहीं रोकी जा सकती है कि सरकार उस पर विचार करने की बात कर रही है।

चीफ जस्टिस एन वी रमना ने सरकार की दलील पर कहा कि हमारी नोटिस महीनों पहले की है। पहले आपने कहा कि दोबारा विचार की जरूरत नहीं है। अब आपने हलफनामा दिया है। आखिर आप कितना वक्त लेंगे? आप जब तक कानून पर दोबारा विचार कर रहे हैं तब तक आप क्यों नहीं राज्यों को निर्देश देते हैं कि इस मामले में फिलहाल केस दर्ज न हो। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि आप राज्यों को यह क्यों नहीं कहते है कि इस कानून को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि केंद्र इस कानून पर दोबारा विचार कर रही है। शीर्ष अदालत ने कहा कि केदारनाथ जजमेंट में कानून को हल्का कर दिया गया है लेकिन फिर भी स्थानीय लेवल पर पुलिस कानून का इस्तेमाल कर रही है और यह तब तक होगा जब तक कि आपका कोई निर्देश नहीं होगा।

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