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सेल व आर्सेलर मित्तल का संयुक्त उपक्रम इस महीने हो जाएगा फाइनलःबीरेंद्र सिंह

दुनिया के सबसे बड़े इस्पात निर्माता आर्सेलर मित्तल व घरेलू सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेल के बीच प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम अंतिम चरण में है और इस माह में इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है। यह जानकारी मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेस में केंद्रीय इस्पात मंत्री बीरेंद्र सिंह ने दी।
सेल व आर्सेलर मित्तल का संयुक्त उपक्रम इस महीने हो जाएगा फाइनलःबीरेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सेल व आर्सेलर मित्तल ने पांच हजार करोड़ रुपये के आटो ग्रेड स्टील प्लांट की स्थापना के लिए समझौता किया है। इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो रहा है। यह उपक्रम नई तकनीकी के साथ उच्चतम क्वालिटी के स्टील का उत्पादन करेगा। आर्सेलर मित्तल व सेल ने संयुक्त उपक्रम के तहत एक इकाई लगाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए मई 2015 में समझौता किया था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में तेजी से विकसित हो रहे आटोमोबाइल सेक्टर में प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम विश्व स्तरीय सुविधाओं व उन्नत स्टील उत्पादों का निर्माण करेगा।

तीन मिलियन टन खपत का लक्ष्य

केंद्र सरकार की नई इस्पात नीति के चलते देश में इस्पात के क्षेत्र में कई अहम कदम उठाए गए हैं। नई नीति में 300 मिलिटन टन की रॉ इस्पात क्षमता, 255 मिलिटन टन का उत्पादन व करीब 160 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खपत करने का लक्ष्य है।  वित्तीय वर्ष 2016-17 में भारत 8.2 मिलिटन टन स्टील एक्सपोर्ट करने वाला देश बन गया है जो पिछले साल से 102 फीसदी अधिक है और आयात 37 फीसदी घटा है।

सेंकेंडरी इस्पात को मिलेगा बढ़ावा

इसके अलावा यूएनडीपी की मदद से सेकेंडरी इस्पात इकाइयों को बढ़ावा देने का लक्ष्य है जो अभी तीन के करीब है और इसमें भी 57 फीसदी इस्पात का उत्पादन होता है जिसे बढ़ाकर एक हजार इकाइयों तक ले जाना है। साथ ही इसमें फास्फोरस को दूर करके उच्च क्षमता के करने की योजना है। नई नीति में बीआईएस लागू किया गया है तथा घरेलू इस्पात को बढ़ावा देने की दिशा में भी कदम उठाए गए हैं। विदेशी कंपनियों को टेंडर में भाग लेने के लिए 15 फीसदी वेल्यू एडीशन की शर्त रखी गई है।

लंबित प्रोजेक्ट होंगे शुरू

हमारे यहां काफी संख्या में लौह अयस्क का भंडार है। इनके इस्तेमाल की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। इस्पात मंत्रालय के हस्तक्षेप पर रेल मंत्रालय स्लरी पाइपलाइनों को मार्ग अधिकार देने के लिए सहमत हो गया है जिससे ढुलाई लागत कम होगी। पर्यावरण को लेकर जीरो वेस्ट की नीति पर काम किया जा रहा है। तीन लंबित प्रोजेक्ट जगदीशपुर, बेतिया व कांगड़ा को पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से एक साल के अंदर शुरू कर दिया जाएगा।

 

 

 

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