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भीमा-कोरेगांव हिंसा में नक्सल कनेक्शन खोजने के लिए देश भर में छापे, वामपंथ्‍ाी लेख्‍ाक वरवरा राव स‌ह‌ित चार गिरफ्तार

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच में जुटी पुणे पुलिस ने मंगलवार को देश भर में कई जगहों...
भीमा-कोरेगांव हिंसा में नक्सल कनेक्शन खोजने के लिए देश भर में छापे, वामपंथ्‍ाी लेख्‍ाक वरवरा राव स‌ह‌ित चार  गिरफ्तार

महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा की जांच में जुटी पुणे पुलिस ने मंगलवार को देश भर में कई जगहों पर छापेमारी की। वामपंथी लेखक वरवरा राव, ट्रेड यूनियन एक्टिंविस्ट सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नौलखा और सामाजिक कार्यकर्ता  अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में तीन महीने के भीतर दूसरी बार देश भर में छापेमारी की गई है। इससे पहले जून में छापेमारी के बाद सुधीर धावले, सुरेंद्र गाडगिल, महेश राउत, शोमा सेना और रोना विल्सन को गिरफ्तार किया गया था। इन पर नक्सलियों से संपर्क रखने और भड़काऊ भाषण देकर भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने का आरोप है। 

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जून में हुई छापेमारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचे जाने का एक पत्र मिला था जिसमें वरवरा राव का उल्लेख था। मंगलवार को पुलिस ने हैदराबाद में उनके घर की तलाशी ली। उनकी बेटियों और दोस्तों के घर पर भी पुलिस ने दबिश दी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा के मुंबई, सुधा भारद्वाज के फरीदाबाद और छत्तीसगढ़ एवं गौतम नौलखा के दिल्ली स्थित घर की तलाशी ली गई। छापेमारी में पुलिस ने कंप्यूटर, लैपटॉप, सीडी, कागजात जब्त किए हैं।

नौलखा को पुणे ले जाने पर रोक

नौलखा को पुलिस पुणे ले जाना चाहती थी। लेकिन, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। सुनवाई बुधवार सुबह होगी। पुलिस ने बताया कि मंगलवार को जिन लोगों के घरों पर छापेमारी की गई है उनके नक्सलियों और जून में गिरफ्तार किए पांच लोगों से संबंध हैं। पुलिस ने छापेमारी के दौरान संदिग्ध दस्तावेज बरामद करने का भी दावा किया है। सूत्रों के अनुसार सुसान अब्राहम, क्रांति तेकुला और फादर स्टेन स्वामी के घर पर रांची में तथा गोवा में आनंद तेलतुम्बडे के घर पर भी छापेमारी की गई है।

क्या है मामला?
1818 में हुई भीमा-कोरेगांव की लड़ाई दलितों के लिए काफी मायने रखती है। इस लड़ाई में दलितों की मदद से ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेशवाओं को पराजित किया था। इस लड़ाई की याद में हर साल एलगार परिषद कार्यक्रम का आयोजन करती है। बीते साल 31 दिसंबर को लड़ाई के दो सौ साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम के पत्थरबाजी और आगजनी की घटना हुई थी। इसके बाद भड़की हिंसा में एक की मौत हो गई। पुलिस का कहना है कि कार्यक्रम के दौरान भड़काऊ भाषण से हिंसा भड़की थी। हालांकि दो अगस्त को पुणे के तत्कालीन पुलिस आयुक्त रवींद्र कदम ने इस हिंसा के पीछे नक्सलियों का हाथ होने से इनकार किया थ्‍ाा।

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