Advertisement

COP26: ग्लासगो समिट: क्लाइमेट चेंज पर पीएम मोदी का 'पंचामृत फॉर्मूला,' जानें क्या कहा

ग्लासगो में आयोजित 'वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात संबोधित...
COP26:  ग्लासगो समिट: क्लाइमेट चेंज पर पीएम मोदी का 'पंचामृत फॉर्मूला,' जानें क्या कहा

ग्लासगो में आयोजित 'वर्ल्ड लीडर समिट ऑफ कोप-26' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज विश्व की आबादी का 17 प्रतिशत होने के बावजूद, जिसकी उत्सर्जन में जिम्मेदारी सिर्फ 5 प्रतिशत रही है, उस भारत ने अपना कर्तव्य पूरा करके दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है। मुझे खुशी है कि भारत जैसा विकासशील देश, जो करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में जुटा है, जो करोड़ों लोगों की जीवन में आसानी लाने पर रात-दिन काम कर रहा है।

पीएम ने कहा, "ये सच्चाई हम सभी जानते हैं कि क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर आज तक किए गए वायदे, खोखले ही साबित हुए हैं, जब हम सभी क्लाइमेट एक्शन पर अपनी महत्वाकांक्षा बढ़ा रहे हैं, तब क्लामेट फाइनेंस पर दुनिया की इच्छा वही नहीं रह सकती जो पेरिस एग्रीमेंट के समय थे। उन्होंने इस वैश्विक मंथन के बीच मैं भारत की ओर से इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखें।

उऩ्होंने कहा कि इस पंचामृत में के तहत भारत, 2030 तक अपनी  गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा। भारत, 2030 तक अपनी 50 प्रतिशत ऊर्जा की आवश्यकता नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी करेगा। भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा। 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 प्रतिशत से भी कम करेगा और वर्ष 2070 तक भारत, नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के लिए खतरा है। इससे विकाससशील देश ज्यादा प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि. किसानों पर इसका सबसे ज्यादा असर हो रहा है। ऐसे में पिछड़े देशों को वैश्वक मदद मिलनी चाहिए।  पीएम ने देश में चलाई जा रही कुछ योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में नल से जल, स्वच्छ भारत मिशन और उज्जवला जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को अनुकूलन लाभ तो मिले ही हैं, उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है।

पीएम मोदी ने कहा, "वैश्विक क्लाइमेट की बहस में एडैप्टेशन को उतना महत्व नहीं मिला है जितना मिटिगेशन (न्यूनीकरण) को मिला है। यह उन विकासशील देशों के साथ अन्याय है, जो क्लाइमेट चेंज से अधिक प्रभावित हैं।" उन्होंने कहा कि एडप्टेशन के तरीके चाहे लोकल हों पर पिछड़े देशों को इसके लिए ग्लोबल सहयोग मिलना चाहि।. लोकल एडप्टेशन के लिए ग्लोबल सहयोग के लिए भारत ने कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिस्टेंस इंफ्रास्ट्रक्चर पहल की शुरूआत की थी। मैं सभी देशों को इस पहल से जुड़ने का अनुरोध करता हूं।

उन्होंने कहा, "फसल पैटर्न में बदलाव आ रहा है। बेसमय बारिश और बाढ़ या लगातार आ रहे तूफानों से फसलें तबाह हो रही हैं। पेयजल के स्रोत से लकर अफोर्डेबल हाउसिंग तक सभी को क्लाइमेट चेंज के खिलाफ लचीला बनाने की ज़रूरत है। पीएम ने कहा कि भारत में नल से जल, स्वच्छ भारत मिशन और उज्जवला जैसी परियोजनाओं से हमारे जरूरतमंद नागरिकों को अनुकूलन लाभ तो मिले ही हैं। उनके जीवन स्तर में भी सुधार हुआ है। कई पारंपरिक समुदाय में प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने का ज्ञान है। हमारी अनुकूलन नीतियों में इन्हें उचित महत्व मिलना चाहिए। स्कूल के पाठ्यक्रम में भी इसे जोड़ा जाना चाहिए।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad