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नेफेड: 62 वर्ष से किसान सेवा में समर्पित

महात्मा गांधी के अनुसार, अगर देश के किसान विकसित और समृद्ध होंगे, तो देश भी विकसित और समृद्ध होगा।...
नेफेड: 62 वर्ष से किसान सेवा में समर्पित

महात्मा गांधी के अनुसार, अगर देश के किसान विकसित और समृद्ध होंगे, तो देश भी विकसित और समृद्ध होगा। राष्ट्रीय कल्याण में कृषि के महत्व को महसूस करते हुए वे आश्वस्त थे कि जब तक राष्ट्र के किसान सामूहिक रूप से खुद को एक आर्थिक इकाई के रूप में संगठित नहीं करेंगे, तब तक उनके जीवन में सुधार नहीं होगा।

किसानों के जीवन में समृद्धि लाने हेतु गांधीजी के इसी दृष्टिकोण के अनुरूप 2 अक्टूबर 1958 को राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ यानी नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, जिसे नेफेड के नाम से जाना जाता है, की स्थापना की गई।

अतीत पर एक नज़र

कुछ ही राज्यों में अपनी शाखा कार्यालयों के साथ नई दिल्ली के अजमेरी गेट में जिस संस्थान की छोटे स्तर पर शुरुआत हुई, वह अब विशाल बुनियादी ढांचे के साथ आश्रम चौक, नई दिल्ली में स्थित नौ मंजिला कॉर्पोरेट कार्यालय में 19 शाखाओं और आठ उप शाखाओं वाले मजबूत संगठन के रूप में विकसित हो गया है। पूरे देश में गोदामों, प्री-कूलिंग/कोल्ड स्टोरेज इकाइयों, प्याज भंडारण परिसरों, चाय ग्रेडिंग और सम्मिश्रण इकाइयों, बीज और जैव उर्वरक उत्पादन इकाइयों, उपभोक्ता विपणन प्रभाग आदि सहित मज़बूत बुनियादी ढांचे के साथ इसकी व्यापक रूप से मौजूदगी है।

किसानों की सेवा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देते हुए राष्ट्र को समर्पित सेवा के कई दशक
नेफेड की स्थापना का मुख्य उद्देश्य किसानों को तैयार बाजार उपलब्ध कराना, उनके फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाना और निजी व्यापारियों द्वारा उनके शोषण की रोकथाम कर उनके हितों की रक्षा करना था। नेफेड सरकार द्वारा तैयार की गई विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन और अपने द्वारा व्यवसाय संचालन के माध्यम से देश के किसानों को यह सेवा प्रदान कर रहा है।

• तिलहन, दलहन और खाद्यान्न की खरीद: नेफेड समर्थन मूल्य योजना के तहत दालों और तिलहनों, जिसमें खोपरा, बॉल खोपरा और छिलके वाले नारियल शामिल हैं, की खरीद के लिए भारत सरकार की केंद्रीय नोडल एजेंसियों में से एक है । इस योजना के तहत, जब भी अधिसूचित वस्तुओं की कीमतें एमएसपी स्तर से नीचे आती हैं, तो नेफेड किसानों के हितों की रक्षा के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता है और घोषित एमएसपी पर उनकी उपज खरीदता है। वर्ष 2015-16 से 2019-20 की अवधि के दौरान नेफेड ने किसानों को एमएसपी का सीधे लाभ पहुंचाते हुए 58,000 करोड़ रुपये की 121 लाख मीट्रिक टन तिलहन और दलहन की खरीदारी की। नेफेड राज्य/एफसीआई की एजेंसी के रूप में भी एमएसपी पर धान और गेहूं खरीदता है। यह योजना किसानों के लिए एक वरदान स्वरुप है, जो बाजार दरों में गिरावट की वैसी स्थिति में उनके हितों की रक्षा करती है, जो प्रचुर मात्रा में उपज, पिछले सीजन के बचे हुए स्टॉक और अन्य कारणों से बाजार में अधिकता के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकते हैं।

• दाल और प्याज के राष्ट्रीय बफर का निर्माण और प्रबंधन: घरेलू बाजार में कीमतों में असामान्य उछाल को रोकने के उद्देश्य से भारत सरकार के निर्देश पर नेफेड द्वारा प्याज और दालों का बफर स्टॉक रखा जाता है। दाल के लिए यह योजना 2016 में शुरू की गई थी और तब से नेफेड ने 8098.03 करोड़ रुपये मूल्य की 15.12 एलएमटी दाल के बफर का प्रबंधन किया। नेफेड इसी तरह प्याज के बफर की भी व्यवस्था और प्रबंधन करता है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान, नेफेड ने महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में लगभग 2.08 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद की है जिसकी कीमत 425.25 करोड़ रुपये है।

नेफेड के बफर स्टॉक संचालन से न केवल उपभोक्ताओं को बल्कि किसानों को भी लाभ होता है। स्टॉक सीधे किसानों से सहकारी समितियों और/या किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से खरीदा जाता है और खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए खुले बाजार में चरणबद्ध तरीके से लाया जाता है, जिससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा होती है। मध्याह्न भोजन, आईसीडीएस आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत बफर स्टॉक से दाल सेना जैसी हमारी सीमाओं के संरक्षकों और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अलावा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को भी आपूर्ति की जाती है।

• किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ काम: हाल ही में नेफेड ने फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एफपीओज एंड एग्रीगेटर्स (फीफा) का अधिग्रहण कर लिया है, जिसका उद्देश्य किसानों को बाजार से जुड़ाव और उन्हें फसल काटने के बाद के बुनियादी ढांचे को प्रदान करके उनका समर्थन करना है। नेफेड ने महा फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड (महाएफपीसी) के साथ एक संयुक्त उद्यम, ‘महाऑनियन’ भी बनाया है। ‘महाऑनियन’ ने किसानों के लाभ के लिए पीपीपी मॉडल के माध्यम से भारत का पहला अत्याधुनिक प्याज भंडारण और विपणन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया है। नेफेड ने पुणे में ई-किसान मंडी भी शुरू की है और इसके द्वारा पूरे भारत में ऐसी 100 मंडियां खोलने की योजना है।

• ऑपरेशन ग्रीन्स: नेफेड टॉप (टमाटर, प्याज, आलू) फसलों के उत्पादकों के लाभ के लिए “ऑपरेशन ग्रीन्स” के तहत अल्पकालिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए भी भारत सरकार की कार्यान्वयन एजेंसी है।

• एनएडीसीपी कार्यक्रम का कार्यान्वयन: अक्टूबर 2019 में  माननीय प्रधानमंत्री ने 12,652 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्य पांच वर्षों की अवधि में पशुधन के टीकाकरण और उनका एफएमडी और ब्रुसेलोसिस रोगों से बचाव करना है। पशुओं को इन बीमारियों से बचाने के फलस्वरूप होने वाले बेहतर डेयरी उत्पादन और गुणवत्ता से किसानों की आय में वृद्धि होगी। कार्यान्वयन एजेंसी होने के नाते नेफेड ने इस कार्यक्रम के अंतर्गत देश भर के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को टीकों की 23.24 करोड़ खुराक और 42.19 करोड़ इयर टैग वितरित किए हैं और इनकी आपूर्ति जारी है।

• जम्मू और कश्मीर में नेफेड का योगदान: नेफेड को जम्मू और कश्मीर के कृषि/बागवानी क्षेत्र में, जो केंद्र शासित प्रदेश का मुख्य आधार है, अपने योगदान के माध्यम से विकास और समृद्धि लाने और सरकार के प्रयासों को पूरा करने पर गर्व है। सरकार के निर्देश पर, नेफेड बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच 2019 से जम्मू-कश्मीर में बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सेब की खरीदारी कर रहा है। हाल ही में नेफेड ने उत्पादकों से चेरी की खरीद की जो देश के विभिन्न हिस्सों में खुले बाजार के साथ ही नेफेड की बाजार इकाइयों के मार्फ़त बेची गई गईं।

इसके अलावा, इस साल जनवरी में नेफेड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य बागवानी के क्षेत्र में दीर्घकालिक सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न पहलों को लागू करना था। चिन्हित क्षेत्रों में निवेश योजना तैयार करना, फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए समशीतोष्ण फसलों का उच्च घनत्व में वृक्षारोपण, कटाई के बाद बुनियादी ढांचे के केंद्रों का निर्माण और जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक जिले में फसल विशिष्ट एफपीओ का गठन शामिल हैं। एमओयू के तहत चिन्हित किए गए क्षेत्रों में तेजी से कार्रवाई शुरू की गई है, जो केंद्र शासित प्रदेश के कृषि/बागवानी क्षेत्र के सतत विकास में मील का पत्थर साबित होगी।

• संपोषित पर्यावरण के लिए जैव सीबीजी संयंत्रों की स्थापना: गुजरात के भरूच में नेफेड का पहले जैव सीबीजी संयंत्र का उद्घाटन।
नेफेड पूरे भारत में जैव-ईंधन संयंत्रों की स्थापना के माध्यम से हरित भविष्य और “स्वच्छ भारत” के निर्माण के प्रयासों में योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस मिशन के लिए ज़मीनी स्तर पर कार्य लगभग दो साल पहले शुरू किया गया था। नेफेड ने इस उद्देश्य के पूर्ति लिए देश भर के कई राज्यों में नगर निगमों और अन्य निकायों के साथ पहले ही समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इन प्रयासों के परिणाम अब धरातल पर दिखने लगे हैं। नेफेड ने 20 मार्च 2021 को भरूच, गुजरात में मेसर्स टर्कोइज नेचुरल बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से अपने पहले बायो सीबीजी संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र कृषि अपशिष्ट और गाय के गोबर को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करके प्रति दिन लगभग 5 टन सीबीजी और 20 टन जैविक खाद का उत्पादन करेगा।

लगभग 75 करोड़ रुपये की लागत से जम्मू में 350 टीपीडी एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और जैव सीबीजी संयंत्र की स्थापना के लिए नेफेड और जम्मू नगर निगम (जेएमसी) के बीच एक ऐतिहासिक समझौता भी किया गया है। जम्मू नगर निगम ने केंद्र शासित प्रदेश में नेफेड द्वारा बायो सीबीजी संयंत्र स्थापित करने के लिए भूमि का चयन कर लिया है। इस संयंत्र का भूमि पूजन जम्मू-कश्मीर के माननीय राज्यपाल द्वारा 9 जुलाई 2021 को वर्चुअल माध्यम से किया गया।
• पूरे देश में ऐसे और भी संयत्र विचाराधीन हैं, जो हरित भविष्य और “स्वच्छ भारत” के निर्माण के दिशा में किये जा रहे प्रयासों में अपना योगदान देंगे।
• अन्य व्यावसायिक गतिविधियाँ: नेफेड किसानों के लाभ के लिए बीज उत्पादन और वितरण, जैविक खेती, जैव उर्वरकों के उत्पादन जैसी कई अन्य गतिविधियाँ में भी शामिल है।

कोविड दौर में नेफेडः संकट में राष्ट्र की सेवा करने का जज्बा

कोविड-19 महामारी के दौरान नेफेड के कर्मचारियों ने सेवा की भावना से कहीं ऊपर जाकर सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में दिन-रात काम किया और गरीब लाभार्थियों हेतु मुफ्त वितरण के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 1.50 मिलियन मीट्रिक टन साबुत/मिल्ड दालों की आपूर्ति की। भारत सरकार के निर्देश पर इनकी आपूर्ति पीएमजीकेएवाइ योजना के तहत अप्रैल से नवंबर 2020 तक समयबद्ध तरीके से की गई। नेफेड ने आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत प्रवासी संकट के दौरान प्रवासियों को लगभग 34, 000 मीट्रिक टन साबूत चना की भी आपूर्ति की।

आगे की राह: नेफेड भारत सरकार के मिशन के अनुरूप देश के किसानों की सेवा करने, उनकी आय और जीवन स्थिति में सुधार लाने और ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि लाने के लिए अपनी यात्रा जारी रखेगा।

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