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सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की उंगलियों पर अपने मंत्रालय के कामकाज का ब्यौरा रहता है। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक किन-किन देशों की यात्राएं की हैं और भारत को कहां से क्या लाभ मिला है, इसका ब्यौरा जानना हो तो सुषमा स्वराज को बगैर कोई दस्तावेज देखे सिलसिलेवार बता देंगी। भाजपा संसदीय दल की बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री के विदेश दौरों का सिलसिलेवार ब्यौरा रखा और एक-एक देश का हवाला देते हुए अपनी पार्टी के सांसदों को बताया कि किस तरह उन दौरों का सकारात्मक प्रभाव दिखेगा। उन्होंने समझाया कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं को सैर-सपाटा कतई नहीं समझा जाए।
सैर-सपाटा नहीं हैं विदेश यात्राएं, सुषमा स्वराज ने दिया ब्यौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक के अपने कार्यकाल में 40 से ज्यादा देशों की यात्राएं की हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस सहित कई बड़े देशों से आज भारत के बेहद निकट संबंध हैं। भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर उनका नेपाल दौरा ऐतिहासिक माना गया। 17 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री नेपाल गया था। वहां नरेंद्र मोदी ने नेपाली संसद को संबोधित किया। उसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का बांग्लादेश दौरा भी इसी नीति के तहत हुआ था। एक कदम बढ़ते हुए भारत ने बांग्लादेश के साथ रिश्तो मे गर्मी लाने के लिए उसके साथ 41 साल पुराने जमीन विवाद का निपटारा कर दिया।

सुषमा स्वराज ने अपनी पार्टी के सांसदों को सिलसिलेवार बताया कि किस तरह से एक तरफ प्रधानमंत्री ने अपने परंपरागत मित्र रूस के साथ रिश्तों को सुगम बनाया। दूसरी तरफ अमेरिका के साथ भारत के रिश्तों को नए स्तर पर ले गए। इजरायल और ईरान के साथ दोस्ती की नई शुरुआत हुई।

पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कवायद जारी है। पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की विदेश नीति आक्रामक होने के साथ संतुलित और संयमित है। सरकार का हुर्रियत -मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ सचिव-स्तर वार्ता स्थगित करना यह बताने के लिए काफी था कि आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे पर भारत पाकिस्तान के साथ कोई नरमी नहीं बरतेगा। श्रीलंका और नेपाल से पहले से रिश्ते बेहतर कर मोदी सरकार ने चीन को कड़ा संदेश दिया है। भारत को घेरने की मंशा से पिछले वर्षो मे पाकिस्तान के अलावा ‘ड्रैगन’ श्रीलंका और नेपाल के करीब आया है। प्रधानमंत्री मोदी की मंगोलिया यात्रा इसी की प्रतिक्रिया में थी। मोदी के विदेश दौरों का ही करिश्मा था कि एक सुर में सुरक्षा परिषद में वीटो वाले देशों (अमेरिका, रूस और चीन) ने भारत की स्थायी सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया। 

भारत में वित्तीय वर्ष 2014-15 मे मोदी द्वारा यात्रा किए गए 12 देशों से 19.38 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है। मोदी का जापान और चीन का दौरा भारतीय-प्रपेक्ष में कारगर साबित हुआ। भारत ने जापान और चीन के साथ कई महत्वपूर्ण संधियों पर हस्ताक्षर किए थे। जापान और चीन ने अगले पांच सालों में भारत में निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों में क्रमश: 34 अरब डॉलर और 20 अरब डॉलर के निवेश करने का ऐलान भी किया था। मोदी का अमेरिकी दौरा भी ऐतिहासिक था। वह भारतीय अमेरिकी लोगों के साथ-साथ राष्ट्रपति ओबामा के साथ एक ‘विशेष-रिश्ता’ बनाने में कामयाब दिखे।

पीएमओ की वेबसाइट पर मोदी के विदेश दौरों का खर्च - मोदी के विदेश दौरों और इसके लिए चार्टर्ड फ्लाइट्स पर कितने का खर्चा आया, इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी साझा की है।
इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 में पद की शपथ लेने के बाद मोदी ने सात विदेश यात्राओं के तहत कुल आठ देशों का दौरा किया। उनकी पहली विदेश यात्रा भूटान की थी और इसके बाद वह ब्राजील, नेपाल, जापान, अमेरिका, म्‍यामांर, ऑस्‍ट्रेलिया और फीजी गए।
पीएमओ की वेबसाइट पर मोदी के विदेश दौरों के लिए चार्टर्ड फ्लाइट्स पर आए खर्चे के एक छोटे हिस्‍से के बारे में ही बताया गया है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि बाकी दौरों से संबंधी बिल या तो अभी मिला नहीं है या फिर उनसे जुड़ी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है।

मोदी के भूटान दौरे के लिए चार्टर्ड फ्लाइट का खर्चा दो करोड़ 45 लाख 27 हजार 465 रुपए था। ब्राजील के लिए यह 20 करोड़ 35 लाख 48 हजार रुपये था। चार्टर्ड फ्लाइट्स के लिए सबसे ज्‍यादा खर्चा ऑस्‍ट्रेलिया, म्‍यांमार और फिजी के तीन देशों के दौरे पर आया था। यह खर्च 22 करोड़ 58 लाख 65 हजार रुपये था।
मोदी के विदेश दौरों के लिए चार्टर्ड फ्लाइट्स पर आया खर्च इस प्रकार है: भूटान: 2,45,27,465 रुपये, ब्राजील: 20,35,48,000 रुपये, नेपाल: भारतीय वायुसेना के बोइंग बिजनस जेट (BBJ) का इस्‍तेमाल हुआ, जापान: 13,47,58,000 रुपये, अमेरिका: 19,04,60,000 रुपये। म्‍यांमार, ऑस्‍ट्रेलिया और फिजी: 22,58,65,000 रुपये।

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