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शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने रचा इतिहास, वकील से सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली पहली महिला

केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को...
शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने रचा इतिहास, वकील से सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली पहली महिला

केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किए जाने को मंजूरी देने के बाद शुक्रवार को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जज की शपथ ले ली है। इंदु को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पद की शपथ दिलाई। इस तरह, वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनने वाली इंदु मल्होत्रा पहली महिला जज होंगी।

सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में शपथ लेते ही इंदु मल्होत्रा ने इतिहास रच दिया है, वो भारतीय इतिहास की ऐसी पहली महिला बन गई हैं जो वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट की जज बनी हैं। बताया जा रहा है कि इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट के 68 साल के इतिहास में जज बनने वाली छठवीं महिला जज हैं। अब सुप्रीम कोर्ट के 25 जजों में महिला जजों की संख्या दो हो गई है। 

इससे पहले गुरुवार को इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश 11 जनवरी को सरकार को भेजी गई थी। लेकिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम जजों के कॉलेजियम की सिफारिश को तीन महीने तक लंबित रखा और उसके बाद इंदु मल्होत्रा के जज बनाने की अधिसूचना जारी करते हुए जज केएम जोसफ के नाम की सिफारिश को कॉलेजियम को वापस भेज दिया था। 

कॉलेजियम ने तीन महीने पहले उत्तराखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदु मल्होत्रा की सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर नियुक्ति का सुझाव दिया था।  

 

रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार 

 

वकीलों की तरफ से इंदु मल्होत्रा के जज के रूप में नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को खारिज कर दिया था। मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा था कि ये कैसी जनहित याचिका है? अगर सरकार ने किसी सिफारिश को वापस भेजा है तो ये उसके अधिकार क्षेत्र में है। किसी जज को शपथ लेने से रोक देने की मांग अविश्वसनीय और अकल्पनीय है, हम हैरान हैं।

उन्होंने कहा था, कई बार एक हाईकोर्ट के लिए 30 नाम की सिफारिश की जाती है, जिनमें से सरकार 22 को जज बनाती है और 8 नाम कॉलेजियम के पास दोबारा विचार के लिए भेज देती है तो क्या 8 लोगों के चलते 22 लोगों की नियुक्ति रोक देनी चाहिए? 

सुप्रीम कोर्ट में 39 वर्षों में कोई महिला जज नहीं रही

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में शुरुआत के 39 वर्षों में कोई महिला जज नहीं रही। 1989 में फातिमा बीबी को सुप्रीम कोर्ट की जज बनाया गया। इसके बाद जस्टिस सुजाता मनोहर, जस्टिस रुमा पाल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और जस्टिस रंजना देसाई को सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किया गया।

सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली छठी महिला हैं इंदु 

जानकारी के मुताबिक, इंदु मल्होत्रा आजादी के बाद से अब तक सुप्रीम कोर्ट की जज बनने वाली छठी महिला हैं। फिलहाल जस्टिस जी रोहिणी और आर भानुमति सुप्रीम कोर्ट में महिला जज हैं।

वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं इंदु

इंदु मल्होत्रा वकीलों के परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता ओपी मल्होत्रा वरिष्ठ वकील थे और उनके बड़े भाई और बहन भी वकील हैं। मल्होत्रा ने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और इससे पहले उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने 1983 में करियर की शुरुआत की थी। वह कई अहम फैसलों में जजों की पीठ में भी शामिल रही हैं।

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