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भट्टा-पारसौल से लेकर मंदसौर तक, किसान राजनीति में राहुल गांधी की जोर-आजमाइश

मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को...
भट्टा-पारसौल से लेकर मंदसौर तक, किसान राजनीति में राहुल गांधी की जोर-आजमाइश

मध्य प्रदेश के मंदसौर गोलीकांड की पहली बरसी पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को खोखरा गांव में घोषणा की कि अगर मध्य प्रदेश में हमारी सरकार आई तो हम 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ करेंगे। किसानों के मुद्दों पर राहुल गांधी यूपी के भट्टा पारसौल से मप्र के मंदसौर तक काफी सक्रिय नजर आए हैं। इसका उनकी छवि पर भी सकारात्मक असर पड़ा है। 

उन्होंने मंदसौर पहुंचकर आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलने पहुंचे। उनसे करीब 10 मिनट तक बात की। मृतक किसान अभिषेक पाटीदार के परिवार ने आरोप लगाया है कि एसडीएम ने हमें राहुल से न मिलने की हिदायत दी और दबाव बनाया। उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने किसानों के साथ धोखा किया। उन्होंने किसानों को फसलों की सही कीमत देने का वादा किया था। लेकिन वे फेल हो गए।' उन्होंने कहा, 'मंदसौर गोलीकांड के एक साल बाद भी जांच आयोग की रिपोर्ट नहीं आई है। शहीद किसानों के परिवार न्याय का इंतजार कर रहे हैं। अपने परिजनों को खोने का दर्द मैं जानता हूं।'

इससे पहले वह 

2017 में भी मंदसौर पहुंचे थे राहुल

2017 में मंदसौर में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और किसानों की मौत के बाद राहुल को राज्य सरकार ने मंदसौर जाने की इजाजत नहीं दी थी लेकिन इस दौरान यहां पर कुछ ऐसा हुआ जिससे कुछ पुरानी याद ताजा हो गई। राहुल गांधी प्रशासन को चकमा देते हुए एक बार फिर यहां पर मोटरसाइकिल की सवारी करते हुए नजर आए। मंदसौर पहुंचने के बाद राहुल मोटरसाइकिल पर बैठे और निकल पड़े। उनके इस रूप की भूमिका 2011 में भट्टा पारसौल में ही लिख दी गई थी। यहां उन्होंने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा था।

2011- भट्टा पारसौल

इससे पहले भी 2011 में उत्तर प्रदेश के भट्टा परसौल में किसान आंदोलन के दौरान वहां पहुंचे थे, उस दौरान भी राहुल बाइक पर सवार होकर ग्राउंड जीरो पर पहुंचे थे। सात मई 2011 को पुलिस और किसान आमने-सामने भिड़ गए और जमकर गोलियां चलीं। खूनी संघर्ष में किसान राजपाल, राजवीर और पुलिस कर्मी मनोज और मनोहर की गोली लगने से मौत हो गई। वहीं तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल के पैर में गोली लगी थी।

डीएम समेत साठ से अधिक लोग घायल हुए थे। मामले में पुलिस, प्रशासन और रेलवे ने किसानों पर 12 मुकदमे दर्ज किए गए। जिनमें से सात मुकदमों को प्रदेश सरकार ने वापस कर लिया। पांच मुकदमें चल रहे है। उनको वापस नहीं लिया जा सका है।

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