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पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म पुरस्कार लेने से किया इनकार, सरकार ने दिया ये बयान

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया...
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म पुरस्कार लेने से किया इनकार, सरकार ने दिया ये बयान

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य ने पद्म भूषण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें यह सम्मान दिए जाने के बारे में कोई सूचना नहीं दी। अगर सचमुच में उन्होंने मुझे पद्म भूषण देने की घोषणा की है तो मैं इसे अस्वीकार कर सकता हूं। वहीं सरकार की ओर से कहा गया है कि एक वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी ने उन्हें सम्मान देने के सरकार के फैसले के बारे में सूचित किया था। उनकी पत्नी ने अधिकारी से बात की थी। पुरस्कारों की घोषणा शाम को ही हुई। यह संभवतः एक राजनीतिक फैसला है।

इससे पहले उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता बिकाश भट्टाचार्य ने भी कहा था कि यह फर्जी है। जहां तक मुझे पता है, यह पुरस्कार उनके द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे भट्टाचार्य पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर ममता बनर्जी जैसे ही मुखर रहे हैं। 2014 लोकसभा चुनावों से पहले उन्‍होंने कहा था कि अगर मोदी पीएम बनते हैं तो ये देश क लिए बहुत खतरनाक होगा।

साल 2000 से 2011 तक भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलितब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।

बंगाल में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ही की थी। उन्‍होंने ही टाटा की नैनो का उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित कराया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी।

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