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अनुच्छेद 35A: राम माधव ने कहा, लोकतांत्रिक अधिकारों की कद्र नहीं करते फारुख अब्दुल्ला

 पंचाय़त चुनावों के बाद फारुख अब्दुल्ला द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनावों का भी वहिष्कार किए जाने के...
अनुच्छेद 35A: राम माधव ने कहा, लोकतांत्रिक अधिकारों की कद्र नहीं करते फारुख अब्दुल्ला

 पंचाय़त चुनावों के बाद फारुख अब्दुल्ला द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनावों का भी वहिष्कार किए जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उन पर निशाना साधा और उन्हें आम जनता के लोकतंत्रिक अधिकारों की कद्र न करने वाला बताया।

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा "फारुख अब्दुल्ला ने हमेशा राजनीति की है और उन्होंने कभी इस बात के लिए कोशिश नहीं की जो लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार दिलाने वाली हो। अब जबकि प्रधानमंत्री इस सबकी कोशिश कर रहे हैं तो फारुख अबदुल्ला ने इसके विरोध में बोलना शुरु कर दिया। इस वक्त वे 35A के मसले पर पंचायत चुनावों के बहिष्कार की बात कर रहे हैं तो फिर उन्होंने कारगिल के समय चुनाव क्यों लड़ा था?"

क्या कहा था फारुख अब्दुल्ला ने
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार आर्टिकल 35 A और आर्टिकल 370 पर अपना पक्ष साफ नहीं करेगी, तो पंचायत चुनाव क्या हम लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक का बहिष्कार करेंगे।

'वाजपेयी की तरह मोदी भी पाकिस्तान की तरफ बढ़ाएं दोस्ती का हाथ'
आगे बोलते हुए फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि जब वाजपेयी जैसे आरएसएस के नेता बतौर प्रधानमंत्री पाकिस्तान जा सकते हैं और उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ा सकते हैं तो वर्तमान प्रधानमंत्री इस विषय में क्यों नहीं सोचते। आखिर हम पाकिस्तान को अपना पड़ोसी मुल्क तो मानते ही हैं। ऐसे में जब दो पड़ोसी मुल्क खुशी-खुशी रहेंगे तो दोनों ही विकास के पथ पर अग्रसर होंगे।

क्या है अनुच्छेद 35A
अनुच्छेद 35A के तहत जम्मू-कश्मीर में रहने वाले नागरिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। साथ ही राज्य सरकार को भी यह अधिकार हासिल है कि आजादी के समय के किसी शरणार्थी को वो सहूलियत दे या नहीं। वो किसे अपना स्थायी निवासी माने और किसे नहीं। असल में जम्मू-कश्मीर सरकार उन लोगों को स्थायी निवासी मानती है जो 14 मई, 1954 के पहले कश्मीर आकर बसे थे। इस कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति राज्य में संपत्ति नहीं खरीद सकता है, न ही वो यहां बस सकता है। इसके अलावा यहां किसी भी बाहरी के सरकारी नौकरी करने पर मनाही है और न ही वो राज्य में चलाए जा रहे सरकारी योजनाओं का फायदा ले सकता है।

जम्मू-कश्मीर में रहने वाली लड़की यदि किसी बाहरी व्यक्ति से शादी करती है तो उसे राज्य की ओर से मिले विशेष अधिकार छीन लिए जाते हैं। इतना ही नहीं उसके बच्चे भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकते।

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