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फिर बेनतीजा रही सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत, मंत्री बोले- कानून वापस नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 44वें दिन जारी है। शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसानों के...
फिर बेनतीजा रही सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत, मंत्री बोले- कानून वापस नहीं होंगे, सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दी

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 44वें दिन जारी है। शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत एक बार फिर बेनतीजा रही। किसान संगठन जहां तीनों कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े रहे तो वहीं सरकार की तरफ से यह कहा गया कि वे कानून में संशोधन को तैयार है। अब अगली वार्ता 15 जनवरी को होगी। 

संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख नेता दर्शनपाल ने एबीपी न्यूज को बताया कि बैठक में सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने से साफ इंकार तो किया ही साथ किसान नेताओं को यह सुझाव भी दिया कि वे चाहें तो कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि 40 किसान संगठनों की बजाय सरकार से बातचीत करने के लिए कुछ नेताओं की एक छोटी कमिटी बना लें। सूत्रों के मुताबिक किसान नेताओं ने सरकार का दोनों प्रस्ताव नामंजूर करते हुए यहां तक कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट भी कहे तब भी किसान दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे।. किसान संगठन सरकार के प्रस्तावों और 15 जनवरी की बैठक को लेकर चर्चा आगे की रणनीति तय करेंगे।

केन्द्र सरकार के साथ बातचीत में किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े रहे जबकि, सरकार की तरफ से इस वार्ता में फिर कानून में संशोधन का प्रस्ताव उनके सामने रखा गया।  सरकार के रुख से नाराज किसानों ने बैठक के बीच में लंगर खाने से मना कर दिया। तल्खी बढ़ने पर सरकार ने लंच ब्रेक का आग्रह किया तो किसान नेताओं ने कहा कि ना रोटी खाएंगे ना चाय पिएंगे।

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि बैठक के दौरान तीखी बहस हुई। हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे, हम लड़ाई जारी रखेंगे। 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी।

बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तीनों कानूनों पर बैठक में चर्चा हुई लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ. अगली चर्चा में समाधान की उम्मीद है।

क्या सरकार ने किसानों के विरोध से संबंधित मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले में शामिल होने के लिए किसानों को एक प्रस्ताव दिया, तोमर ने कहा कि सरकार ने ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया है लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जो भी निर्णय लिया गया है, उसका पालन करने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है।

सूत्रों ने कहा कि अगली तारीख 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की एक निर्धारित सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है क्योंकि सरकार को लगता है कि शीर्ष अदालत तीन कानूनों की वैधता पर गौर कर सकती है।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार राज्यों को यह तय करने की अनुमति देने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार करेगी कि क्या कानून लागू करना है या नहीं, तोमर ने कहा कि इस संबंध में किसी भी किसान नेता द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं बनाया गया था, लेकिन अगर ऐसा कोई सुझाव दिया जाता है तो सरकार इस पर विचार करेगी।

तोमर ने यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने सिखों के धार्मिक नेता बाबा लाखा सिंह ( नानकसर गुरुद्वारा कलेरान प्रमुख ) से बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करने का आग्रह किया है, कहा कि बाबा लाखा सिंह एक आध्यात्मिक शख्सियत हैं और उन्हें भरोसा है कि कोई उपाय निकलेगा। उन्होंने कहा, “ बाबा लाखा सिंह ने किसानों के विचार रखें और हमने सरकार की राय रखी।” उन्होंने कहा कि उन्हें आशा है कि बाबा लाखा सिंह सरकार के रुख को किसानों तक पहुंचायेंगे।

कृषि मंत्री के साथ बातचीत के बाद बाबा लाखा सिंह ने कहा, “ हम जल्द से जल्द समस्या के समाधान का प्रयास करेंगे। मंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह हमारे साथ हैं और कोई समाधान निकालेंगे।”

 उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान तीनों कानूनों को वापस लिये जाने से कम पर कोई समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “ कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं।”

किसानों के साथ चर्चा से पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। किसान नेताओं के साथ आठवें दौर की मीटिंग से पहले कृषि मंत्री ने जल्दी हल निकलने की उम्मीद जताई है। कृषि मंत्री ने कहा, ''मुझे उम्मीद है कि सकारात्मक माहौल में चर्चा होगी और जल्दी ही कोई हल निकलेगा. चर्चा के दौरान दोनों पक्षों को किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए कदम उठाने होंगे।''

गुरुवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर ट्रैक्टर रैलियां निकाली, जबकि केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि वह इन कानूनों वापस लेने के अलावा हर प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है। दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इसबीच, ऐसी अफवाहें भी सुनने को मिल रही हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की इजाजत दी जा रही है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव दिए जाने की बात से इनकार किया है।

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