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सीबीआई बनाम सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट के संज्ञान पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

सीबीआई बनाम सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में स्पेशल कोर्ट ने शनिवार को उस चार्चशीट के संज्ञान पर अपना...
सीबीआई बनाम सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट के संज्ञान पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

सीबीआई बनाम सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में स्पेशल कोर्ट ने शनिवार को उस चार्चशीट के संज्ञान पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है जिसमें पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को क्लीन चिट दी गई थी।

सीबीआई ने भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई के पूर्व अफसरों राकेश अस्थाना और देवेंद्र कुमार के खिलाफ हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। उन्हें मामले में चार्जशीट के कॉलम 12 में रखा गया था क्योंकि उनके पास आरोपी बनाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे। हाल में अस्थाना को मामले में क्लीन चिट दे दी गई। 

अस्थाना के खिलाफ थे सबूतः पूर्व जांच अधिकारी

चार्जशीट के संज्ञान पर 28 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान स्पेशल कोर्ट के सामने ही सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई खुल कर सामने आई थी। मामले के पूर्व जांच अधिकारी एके बस्सी और मौजूदा जांच अधिकारी सतीश डागर भिड़ने को तैयार हो गए, जिस पर कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। बस्सी ने कहा कि तत्कालीन स्पेशल डायेरक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ सबूत थे, लेकिन उन्हें मामले की जांच से हटा दिया गया। जिसका विरोध करते हुए वर्तमान जांच अधिकारी सतीश डागर ने कहा कि इनकी जांच पक्षपात पूर्ण थी लिहाजा इन्हें हटाया गया था। इस पर बस्सी भड़क गए। उन्होंने कहा, "मैंने इन्हें बताया था कि अस्थाना के खिलाफ सबूत हैं साथ ही हमने इस मामले के आरोपी सतीश सना के यहां जब छापेमारी की थी तब भी हमे ऐसे कई सबूत मिले थे जो बताते थे कि राकेश अस्थाना और उनका ग्रुप तत्कालीन डायरेक्टर के खिलाफ साजिश रच रहा है। इसीलिए हमनें देवेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया था।" बस्सी ने कहा कि यह जांच टीम पहले ही दिन से राकेश अस्थाना और अन्य को क्लीन चिट देना चाहती थी।

ये है मामला

सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को सरकार ने 23 अक्तूबर 2018 की मध्य रात्रि को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार ने इसके साथ ही सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को भी छुट्टी पर भेज दिया था। ये दोनों अफसर एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे। इसके अगले दिन ही वर्मा इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चले गए। कोर्ट ने इस मामले में सीवीसी से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच भी करवाई थी लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं लिया। कोर्ट ने कहा था कि हम सिर्फ यह देखेंगे कि सरकार को वर्मा पर कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं।

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