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उपेक्षा का शिकार है उपभोक्ता मंत्रालय: पासवान

केंद्र व राज्य सरकारें उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को नजरअंदाज करती रही हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि देश के करोड़ों उपभोक्ताओं के हितों का संरक्षण करने वाले इस मंत्रालय को जितनी तरजीह दी जानी चाहिए, उतनी नहीं मिल पाई है। पासवान नई दिल्ली में शनिवार को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के बाद बोल रहे थे।
उपेक्षा का शिकार है उपभोक्ता मंत्रालय: पासवान

जिला उपभोक्ता अदालतों में बुनियादी सुविधाओं के साथ खाली पड़े पदों को नहीं भरे जाने पर पासवान ने गंभीर चिंता जताई। सीमित संसाधनों और सुविधाओं के बीच उपभोक्ता अदालतों की उपलब्धियों का बखान करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि पिछले तीन दशक में इन अदालतों ने 41 लाख शिकायतों का निपटारा किया है। आने वाले दिनों में संसद में विचाराधीन नए उपभोक्ता संरक्षण कानून के पारित होने के बाद इन अदालतों में शिकायतों की बाढ़ आएगी। इससे निपटने के लिए पासवान ने राज्य सरकारों से इन अदालतों को पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने का आग्रह किया। सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों और अधिकारों के संरक्षण के लिए विधेयक में परिवर्तनकारी बदलाव किए हैं।

पासवान ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ पहली बैठक में ही बता दिया था कि देश की सवा सौ करोड़ की पूरी आबादी किसी न किसी तरह उपभोक्ता है। लेकिन, यह विभाग पूरी तरह उपेक्षित है। केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर इसकी उपेक्षा की गई है। यह उल्लेखनीय है कि इन सारी विपरीत परिस्थितियों के बीच वर्ष 1986 के बाद से अब तक कुल 41 लाख शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है। देश में पहली बार 1986 में ही उपभोक्ता संरक्षण कानून अस्तित्व में आया था। जिला स्तरीय अदालतों में पदों को भरने के बावजूद 200 सदस्यों के पद अब तक खाली ही रहे। बुनियादी सुविधाएं और सदस्यों का कम वेतन प्रमुख समस्या रही है। (एजेंसी)

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