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अब हिंदी में भी ट्वीट करने लगे चिदंबरम, यूजर्स बोले- क्या बात है

कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर जारी उठा-पटक के बीच पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी...
अब हिंदी में भी ट्वीट करने लगे चिदंबरम, यूजर्स बोले- क्या बात है

कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर जारी उठा-पटक के बीच पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का 'हिंदी प्रेम' जाग उठा। अक्सर अंग्रेजी में ट्वीट करने वाले चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट हिन्दी में करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया है।

हिंदी में ट्वीट करने को लेकर पिछले कुछ घंटों से चिदंबरम को ट्विटर यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी ने चिदंबरम के ट्वीट करने के माध्यम में बदलाव को विकास बताया तो किसी ने कहा कि कल तक हिंदी बोलने नही आती थी और आज अच्छी तरह से हिंदी में लिख रहे हैं।

चिदंबरम के हिंदी ट्वीट को लेकर एक यूजर ने लिखा- ‘हिंदी में भी आप, क्या बात है? देर आए दुरुस्त आए’। वहीं, एक ने लिखा, 'चिदंबरम साहब, ये बुद्धि पहले क्यों नहीं आयी, कितने बड़े अंग्रेज थे आप। वक्त क्या नहीं करता।'

एक ने कहा, वक्त वक्त की बात होती है। साहब जी को कल तक हिंदी बोलने नही आती थी और आज अच्छी तरह से हिंदी में लिख रहे है।

हिंदी मीडिया को एक अलग नजर से देखने वाले चिदंबरम का अचानक हिंदी में ट्विट करना काफी हैरान कर देने वाला है।  

दरअसल, चिदंबरम ने शनिवार को कर्नाटक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले इसे लेकर ‘अड़चन’ पैदा करने के लिए भाजपा की आलोचना करते हुए पूछा कि आखिर भगवा पार्टी इसे जीतने के लिए कितने ‘तिकड़म इजाद करेगी’।

चिदंबरम ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट की वजह से ही आज शक्ति परीक्षण हो रहा है और ऐसी टिप्पणी की जा रही थी कि यह विशुद्ध रूप से राज्य का मामला है। पार्टियों ने राज्य के उच्च न्यायालय में विश्वास नहीं दिखाया।

कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन ने राज्य उच्च न्यायालय में जाने की बजाय सीधा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘सबसे पहले 15 दिन का मौका। दूसरा एंग्लों इंडियन सदस्य। तीसरा गुप्त मतदान। चौथा विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष के साथ मिलीभगत। पांचवें की तलाश जारी..।’  

उन्होंने ट्वीट किया, ‘कर्नाटक विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले भाजपा आखिर कितने पैंतरे इजाद करेगी? आखिर वे कितनी अड़चनें डालेंगे?’ पूर्व वित्त एवं गृह मंत्री ने कहा कि अगर 221 निर्वाचित विधायक (पुरूष एवं महिलाएं) यह फैसला नहीं कर सकते कि उनमें से कौन बहुमत रखता है तो ‘हम खुद को एक लोकतंत्र क्यों कहते हैं?’

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