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कावेरी जल-विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु का पानी घटाया, कर्नाटक को लाभ

लंबे समय से चले आ रहे कावेरी जल-विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला देते हुए कहा है कि नदी...
कावेरी जल-विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु का पानी घटाया, कर्नाटक को लाभ

लंबे समय से चले आ रहे कावेरी जल-विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला देते हुए कहा है कि नदी के पानी पर किसी भी राज्य का मालिकाना हक नहीं है। कोर्ट ने कर्नाटक को मिलने वाले पानी की मात्रा में 14.75 टीएमसी का इजाफा किया  है तो तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी पानी देने को कहा है जबकि इससे पहले उसे 192 टीएमसी पानी मिलता था यानी तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में कटौती की है। कावेरी के पानी के मामले में कोर्ट का फैसला अगले 15 सालों के लिए लागू रहेगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने फैसले पर खुशी जताते हुए इसका स्वागत किया है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने  कावेरी बेसिन के कुल टीएमसी भूमिगत जल में से दस  टीएमसी अतिरिक्त पानी निकालने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को 284.75, केरल को 30 और पांडेचेरी को 7 टीएमसी पानी देने का आदेश दिया है। केरल और  पांडेचेरी को मिलने वाले पानी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कोर्ट ने कहा कि बेंगलूरू के लोगों की पेयजल और भूमिगत जल की जरूरतों के मद्देनजर कर्नाटक की हिस्सेदारी में इजाफा किया जा रहा है।

कोर्ट ने कहा कि फैसले को लागू कराना केंद्र सरकार का काम है। उधर, फैसले के बाद कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच तनाव की आशंका को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही कड़ी कर दी गई है। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस द्वारा तमिलनाडु के बार्डर पर कर्नाटक की बसों को रोका जाने लगा, किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। 

बता दें कि तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।  दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कावेरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए फैसला दिया था। फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसी  आवंटित किया गया, कर्नाटक को 270 टीएमसी, केरल को 30 टीएमसी और पांडेचेरी को सात टीएमसी पानी आवंटित किया गया था।

 अन्य नदियों को लेकर भी है कई राज्यों में विवाद

देश में अकेला कावेरी ही जल विवाद नहीं है बल्कि कई जल विवाद हैं, जिन्हें लेकर तमाम राज्यों के बीच आपस में ठनती रहती है। नर्मदा के पानी के बंटवारे को लेकर गुजरात और मध्य प्रदेश के बीच विवाद है। यमुना नदी जल के बंटवारे से संबंधित विवाद काफी पुराना है। इससे देश के पांच राज्य हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश जुड़े हुए हैं। सोन नदी जल विवाद तीन राज्यों-बिहार, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बीच है।  कृष्णा नदी का पानी आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक के बीच कृष्णा नदी जल विवाद का एक कारण है। गोदावरी के जल के लिए महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडीशा और आंध्र प्रदेश के बीच काफी विवाद है। सतलज, रावी और व्यास नदियों के जल बंटवारे से संबंधित विवाद पंजाब और हरियाणा के बीच रहा है। 

 

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