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कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में फंसी राशि मार्च 2014 तक के तीन वर्षों में तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी है।
कर्ज़ नहीं वसूल पा रहे हैं सरकारी बैंक

वित राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया कि बैंकों की गैर-निष्पादक आस्तियां (एनपीए) पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए वर्ष 2011 के 71,080 करोड़ रुपये से बढ़कर 31 मार्च 2014 तक बढ़कर 2,16,739 करोड़ रुपये हो गया।

इस वर्ष के आरंभ में सरकार ने पुणे में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एक बैठक आयोजित की थी जिसमें उनकी विभिन्न समस्याओं पर विचार किया गया था।

मंत्री ने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एनपीए के मुद्दे के हल के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, सरकार ने पहले ही बैंकिंग क्षेत्र के फंसे ऋणों की वसूली तेज करने के लिए छह नए ऋण वसूली न्यायाधिकरण स्थापित करने का फैसला किया है।

एक अलग प्रश्न के उत्तर में सिन्हा ने कहा कि 31 दिसंबर 2013 की स्थिति के अनुसार 10 वर्ष पुराना बिना दावे का जमा धन 5,124.98 करोड़ रुपये के लगभग है। उन्होंने कहा कि बिना दावे वाले जमा धन के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा एक जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरुकता कोष (डीईएएफ) निर्मित किया गया है।

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