दिल्ली उच्च न्यायालय में डेबिट और क्रेडिट कार्डों के जरिये किए जाने वाले भुगतान पर लगने वाले अधिभार के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की गई है। नकद भुगतान की स्थिति में ऐसा कोई अधिभार नहीं लगाया जाता। वकील अमित साहनी ने अपनी जनहित याचिका में कहा है, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये पेट्रोल मूल्य का भुगतान करने पर गैर कानूनी, असमान और मनमाना बर्ताव देखने को मिलता है। इस याचिका की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ कर सकती है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड के जरिये भुगतानों पर लगाए जाने वाले गैरकानूनी और भेदभाव वाले अधिभार को रोकने के लिए दिशानिर्देश तय करने की दिशा में उचित कदम उठाने के निर्देश वित्त मंत्राालय और भारतीय रिजर्व बैंक को दिए जाएं। याचिका में कहा गया है कि नकद भुगतान करने की स्थिति में ऐसा कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि देशभर के बैंकों के लिए नियम और दिशानिर्देश तय करने और बैंकों की निगरानी की जिम्मेदारी मंत्रालय और आरबीआई की है। उन्होंने कहा कि अधिभार लगाना न सिर्फ गैर कानूनी और भेदभाव वाला है बल्कि यह कालेधन को नकद के रूप में प्रसारित किए जाने को भी बढ़ावा देता है। याचिका में कहा गया है कि देशभर में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये किए जाने वाले लेनदेन पर 2.5 प्रतिशत या अधिक का अधिभार लगाकर गैरकानूनी, असमान और मनमाना बर्ताव किया जाता है, जबकि ऐसा लेनदेन नकद भुगतान के जरिये किए जाने पर इस तरह का कोई अधिभार नहीं लगाया जाता। याटिकाकर्ता ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व भर में सबसे ज्यादा नकदी का इस्तेमाल करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यहां क्रेडिट या डेबिट कार्ड से लेनदेन को प्रोत्साहित करने और नकद लेनदेन को हतोत्साहित करने की बेहद जरूरत है।