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अब शायद हम वही फैसले करें जो लागू कर सकेंगेः जेटली

राज्यसभा को विपक्ष द्वारा लगातार बाधित करने से नाराज केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि आने वाले दिना में सरकार शायद सिर्फ वही फैसले कर जो वह कार्यपालक आदेश द्वारा लागू कर सकती है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया‌ कि राज्यसभा को बाधित कर वह भविष्य में विपक्ष के लिए राह तैयार कर रही है और एक गलत मिसाल कायम कर रही है।
अब शायद हम वही फैसले करें जो लागू कर सकेंगेः जेटली

गौरतलब है कि राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या भाजपा से अधिक है और कांग्रेस ने जीएसटी समेत कई जरूरी विधेयकों को वहां रोक रखा है। लोकसभा में बहुमत होने के बावजूद सरकार इन विधेयकों को पारित नहीं करवा पा रही है। जेटली से साफ कहा कि आने वाले दिनों में सरकार वही निर्णय करेगी जो वह कार्यपालिका के आदेश से पूरा कर सकती है या वे धन विधेयक से जुड़े होंगे जिनके लिए राज्यसभा की मंजूरी अनिवार्य नहीं होती।

कांग्रेस द्वारा लगातार संसद के दूसरे सत्र में राज्यसभा में गतिरोध पैदा करने और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के लिए अतिमहत्वपूर्ण संविधान संशोधन विधेयक को पारित करने के रास्ते में बाधा पैदा करने के नाराज जेटली ने कहा कि संसदीय प्रणाली का उल्लंघन करने वालों को इतिहास माफ नहीं करेगा। जीएसटी पर उद्योगपतियों की बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार का कामकाज राज्यसभा में रोका जा रहा है, फैसलों की भावी प्रक्रिया सरकारी निर्णयों और धन विधेयकों के जरिये होगी।

धन विधेयक आम तौर पर कराधान, सरकारी व्यय या वित्तीय प्रभावों से जुड़ा है और इसे सिर्फ लोकसभा में पेश किया जा सकता है। यदि धन विधेयक को लोकसभा में पारित कर राज्यसभा में भेजा जाता है तो वह इसमें कोई संशोधन नहीं कर सकती। निचले सदन के अध्यक्ष द्वारा किसी विधेयक को धन विधेयक के तौर पर प्रमाणित किए जाने पर इसका सिर्फ लोकसभा में मंजूरी प्राप्त करना काफी होगा जिसमें भाजपा का स्पष्ट बहुमत है। जेटली ने कहा यदि सिर्फ हल्ला-हंगामा कर सत्र-दर-सत्र, संसद को कामकाज नहीं करने दिया जाता है तो यह भविष्य में संसद और सारे विपक्ष के लिए सरकारी विधायी कामकाज के लिए मिसाल बनने वाला है।

 

जेटली ने कहा कि हम ऐसे दौर में प्रवेश कर रहे हैं जबकि विधायी कामकाज और मुश्किल होता जाएगा। उन्होंने कहा, जो ये मिसाल कायम कर रहे हैं उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि जब हम भारत के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास पर नजर डालेंगे तो भारतीय लोकतंत्र को इस दुर्भाग्यपूर्ण मोड़ पर लाने में उनकी भूमिका को भी दर्ज किया जाएगा। उन्होंने कहा, जहां तक संसदीय लोकतंत्र का सवाल है, यदि आप इन चालों के जरिये इसके अपराधी बनते हैं तो आप विधायी कामकाज को विशेष तौर पर बेहद मुश्किल बनाने का फैसला करते हैं और तब भविष्य की सरकारों को यह सोचना पड़ेगा कि फैसले की प्रक्रिया या तो सरकारी कार्रवाई से या धन विधेयकों के जरिये हो।

 

जेटली ने कहा, मुझे महसूस होता है कि सामान्य विधेयकों के मुकाबले सरकारी आदेश और धन विधेयक आसानी से लागू किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी पर गतिरोध खत्म हो सकता है बशर्ते इसे खत्म करने की मंशा हो। उन्होंने कहा, यदि सिर्फ मंशा यह है कि भारत को वृद्धि न करने दिया जाए क्योंकि जब मैं सत्ता में था तो इसने वृद्धि दर्ज नहीं की, तो कोई और यदि सत्ता में है तो इसमें नरमी रहनी चाहिए। यदि मंशा यह है तो मुझे डर है कि हमें इसे आगे बढ़ाने के लिए वैकल्पिक तरीका ढूंढना होगा।

 

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