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नोटबंदी : आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया

बाजार की उम्मीदों के विपरीत भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को नीतिगत दरों में कोई कमी नहीं की और उन्हें जस का तस बनाए रखा। बाजार विश्लेषकों ने कहा था कि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति अपनी दो दिन की बैठक में अपनी फौरी ब्याज दर रेपो में कम से कम 0.25 प्रतिशत की कमी कर सकती है ताकि आर्थिक वृद्धि को बढावा दिया जा सके।
नोटबंदी : आर्थिक वृद्धि का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया

नोटबंदी से प्रभावित माहौल में केन्द्रीय बैंक ने हालांकि चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7.1 प्रतिशत कर दिया। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद गवर्नर पटेल ने नीतिगत दर को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखे जाने का फैसला सुनाया। आठ नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट अमान्य किये जाने के बाद यह समिति की पहली तथा कुल मिला कर दूसरी समीक्षा बैठक थी।

इससे पहले समिति ने अक्तूबर में मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। रेपो दर वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को नकदी की तात्कालिक जरूरत के लिए धन उधार देता है।

मौजूदा हालात में जब नोटबंदी की वजह से कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ा है उद्योग और आर्थिक विशेषज्ञ यह मान रहे थे कि केन्द्रीय बैंक नीतिगत दर में एक और कटौती कर सकता है।

केन्द्रीय बैंक ने माना है कि नोटबंदी की वजह से खुदरा कारोबार, रेस्त्रां और परिवहन जैसे क्षेत्रों में जहां नकदी में अधिक लेनदेन होता है कुछ समय के लिये गतिविधियां प्रभावित हो सकतीं हैं।

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति के 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, इसमें वृद्धि का जोखिम भी बताया गया है फिर भी यह अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा से कम रहेगी।केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग के तहत आवास भत्ते के पूरे प्रभाव का आकलन अभी तक नहीं हो पाया है, इसके क्रियान्वयन के बाद ही इसका पता चल पायेगा इसलिये मुद्रास्फीति में इसके असर को शामिल नहीं किया गया है।

नोटबंदी के बारे में मौद्रिक समीक्षा में कहा गया है कि पुराने उच्चमूल्य वर्ग के नोटों को चलन से वापस लिये जाने से वेतन भुगतान और कच्चे माल की खरीद में देरी की वजह से नवंबर-दिसंबर में औद्योगिक गतिविधियों के कुछ हिस्से पर असर पड़ सकता है। इसका पूरा आकलन करना अभी बाकी है। इसमें कहा गया है, नोटबंदी की वजह से सेवा क्षेत्र में निर्माण, व्यापार, परिवहन, होटल और दूरसंचार कारोबार कुछ समय के लिये असर पड़ने की वजह से परिदृश्य मिला जुला रहा है। लेकिन सातवें वेतन आयोग के लागू होने और एक रैंक एक पेंशन के लागू होने से लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं के क्षेत्र में गतिविधियां अच्छी बनीं रहेंगी।

केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि पुराने 14.5 लाख करोड़ रुपये के नोटों में से 12 लाख करोड़ रुपये वापस बैंकिंग तंत्र में लौट चुके हैं। रिजर्व बैंक ने 10 दिसंबर से नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: की 100 प्रतिशत दर को भी हटा लिया है। इस कदम से बैंक अब अपने पास अधिक राशि रख सकेंगे।

रिजर्व बैंक गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति के सभी सदस्यों ने दरों को यथावत बनाये रखने के पक्ष में मत दिया। समिति का कहना है कि यह द्वैमासिक समीक्षा बढ़ी हुई अनिश्चितता के माहौल में हुई है।

इसमें कहा गया है, अमेरिका में मौद्रिक नीति को सख्त किया जाना अब लगभग पक्का लगता है इसकी वजह से दुनियाभर के वित्तीय बाजारों में उतार चढाव का दौर जारी है। दुनियाभर के बाजारों पर इसका व्यापक असर पड़ने की संभावनाओं के चलते यह हो रहा है जिसका उभरते बाजारों में वृहद आर्थिक प्रभाव देखा जा सकता है। रिजर्व बैंक ने कहा है कि पुराने नोटों को हटाने से आपूर्ति प्रभावित होने से इस साल आर्थिक वृद्धि प्रभावित हो सकती है, लेकिन इसका पूरा आकलन करने से पहले पूरी जानकारी और अनुभव को महसूस किया जाना महत्वपूर्ण होगा। जहां तक मौद्रिक नीति उपायों की बात है एेसे अल्पकालिक घटनाक्रमों जिनका परिदृश्य पर असंगत प्रभाव पड़ता है उसमें सतर्कता बरती जानी चाहिये।

इसमें कहा गया है, इसलिये यह देखने की बात है कि ये सभी कारक किस प्रकार अपना असर दिखाते हैं और परिदृश्य को कैसे प्रभावित करते हैं। यही वजह है कि इस समीक्षा में नीतिगत दर को यथावत रखा गया है, इसके साथ ही समायोजन बिठाने के नीतिगत उपाय को भी बरकरार रखा है। भाषा एजेंसी 

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