Advertisement

एसबीआई को वसूलना हैं 25 हजार करोड़, पीएनबी का 12 हजार करोड़ विलफुल डिफॉल्टर पर

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 92,376 करोड़ रुपये का बकाया था।
एसबीआई को वसूलना हैं 25 हजार करोड़, पीएनबी का 12 हजार करोड़ विलफुल डिफॉल्टर पर

सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले) घोषित 1,762 कर्जदारों से 25,104 करोड़ रुपये वसूलने हैं। ये देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कुल फंसे कर्ज का 27 प्रतिशत जो एसबीआई को अकेले वसूलना है। ये आंकड़े इस साल 31 मार्च 2017 तक के हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने एसबीआई के हवाले से ये जानकारी दी है।

पीटीआई के मुताबिक, इस सूची में अगला नाम पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) का आता है। उसके 1,120 घोषित डिफॉल्टर्स के पास बैंक का 12,278 करोड़ रुपये फंसा है। इस तरह ऐसे बकाएदारों के पास सरकारी बैंकों के फंसे कर्ज का 40 प्रतिशत यानी 37,382 करोड़ रुपये इन्हीं दोनों बैंकों के हिस्से का है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 92,376 करोड़ रुपये का बकाया था।

इससे पिछले वित्त वर्ष 2015-16 के अंत तक यह आंकड़ा 76,685 करोड़ रुपये था। इस तरह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में 20.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इसी के साथ सालाना आधार पर विलफुल डिफॉल्टरों की संख्या में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। मार्च के अंत तक डिफॉल्टर्स की संख्या बढ़कर 8,915 पर पहुंच गई है जो इससे पिछले वित्त वर्ष के अंत तक 8,167 थी।

8,915 विलफुल डिफॉल्टर्स में से बैंकों ने 32,484 करोड़ रुपये के 1,914 मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई है। गौरतलब है कि मार्च 2017 के आखिर तक सरकारी बैंकों का कुल एनपीए बढ़कर 6.41 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया, जो एक साल पहले 5.02 लाख करोड़ रुपए था।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad