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श्रमिक आवाजाही का मुद्दा जी-20 एजेंडे में सबसे ऊपर : पनगढ़िया

नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को कहा कि भारत जी-20 की बैठक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रमिकों खासकर पेशेवर कर्मचारियों की आवाजाही के मुद्दे के अलावा जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाएगा।
श्रमिक आवाजाही का मुद्दा जी-20 एजेंडे में सबसे ऊपर : पनगढ़िया

उन्होंने भारत की वृद्धि के मोर्चे पर आशंका को दूर करते हुए कहा कि हमारी वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत जबकि चीन की 6.0 प्रतिशत है। पनगढ़िया मंच के लिये भारत के शेरपा हैं। उन्होंने कहा, जी-20 एजेंडा काफी व्यापक है....वृद्धि के क्षेत्र में मैं एक चीज पर जोर दूंगा कि इतना निराशावादी मत होइये। भारत की वृद्धि दर कम-से-कम 7.5 प्रतिशत है। वहीं चीन की वृद्धि दर कम होकर 6.0 प्रतिशत पर आ गयी है लेकिन इसके बावजूद वह 10,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था है। अत: 6.0 प्रतिशत वृद्धि का मतलब 600 अरब डालर है। उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में अलग से बातचीत में पनगढ़िया ने कहा, हम जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को भी उठा रहे हैं। मैं विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर पेशेवर कर्मचारियों की आवाजाही पर जोर देना चाहूंगा। चीन विकसित एवं विकासशील देशों के संगठन जी-20 का अध्यक्ष है और दुनिया से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करता है। जी-20 शिखर सम्मेलन इस साल 4-5 सितंबर को होगा। इसका विषय टूवर्डस एन इनोवेटिव, इनविगोरेटेड, इंटरकनेक्टेड एंड इनक्लूसिव इकोनामी है। सरकार के वित्त वर्ष 2017-18 से शुरू 15 साल के दृष्टिकोण दस्तावेज के बारे में उन्होंने कहा, आयोग दस्तावेज पर काम शुरू कर चुका है। इस संदर्भ में कई विचार-विमर्श हुए हैं। दृष्टिकोण पत्र पंचवर्षीय योजना का स्थान लेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसी कोई संभावना है कि सरकार रेल बजट और आम बजट को एक साथ लाएगी, एशियाई विकास बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री रहे पनगढिया ने कहा, अगले साल इसकी संभावना हैं। हाल में ही में रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने वित्त मंत्री अरूण जेटली को पत्र लिखकर रेलवे के लिये अलग से बजट पेश करने की पुरानी व्यवस्था समाप्त करने और इसे आम बजट के साथ मिलाने की मांग की है। कार्यक्रम में पनगढ़िया ने कहा कि शुरू की गयी योजनाओं में स्वच्छ भारत अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वपूर्ण योजना है। उन्होंने कहा, हम जब तक स्वच्छ देश नहीं बनते, हम विकसित देश नहीं बन सकते। पनगढ़िया ने यह भी कहा कि भारत को रोजगार के मोर्चे पर काफी कुछ करने की जरूरत है क्योंकि देश के कार्यबल का 90 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र में है और उसे अच्छी पगार नहीं मिलती।

एजेंसी

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