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ग्रामीण भारत में बढ़ी बेरोजगारी, शहरों में घटी

देश के ग्रामीण हिस्सों में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों में बेरोजगारी की दर बढ़ी है। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी छमाही सर्वे के ताजा आंकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दरों में कमी आई है लेकिन इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले यहां बेरोजगारी अधिक है।
ग्रामीण भारत में बढ़ी बेरोजगारी, शहरों में घटी

एनएसएसओ द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि रोजगार पाने के मामले में ईसाई सबसे पिछड़े हैं जिनकी बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 4.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 5.9 प्रतिशत है। इसके बाद खराब स्थिति मुस्लिमों की है जिनकी बेराजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 3.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 2.6 प्रतिशत है।  

रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 1.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 3.4 प्रतिशत है। सन 2013 की पूर्ववर्ती रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 1.5 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 4.8 प्रतिशत थी। मौजूदा रिपोर्ट नमूना सर्वेक्षण के आधार पर पेश की गई है जिसके तहत 7,469 गांवों और 5,268 शहरी प्रखंडों को शामिल करते हुए 1.01 परिवारों को जोड़ा गया और 4.56 लाख लोगों से इंटरव्यू किए गए। ग्रामीण भारत में 22.3 प्रतिशत पुरुष और 47.5 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं। शहरी भारत में यह निरक्षरता दर क्रमशः 9.9 प्रतिशत और 22.6 प्रतिशत है।

दिलचस्प बात यह है कि ईसाइयों में 15 साल और इससे अधिक उम्र के लोगों में निरक्षरता दर कम है जबकि देश में स्नातकों का सर्वाधिक प्रतिशत ईसाई धर्म से ही है। ग्रामीण ईसाइयों के मामले में पुरुषों की निरक्षरता दर सबसे कम 14.6 प्रतिशत, ग्रामीण महिलाओं में 23.7 प्रतिशत जबकि शहरी पुरुषों की निरक्षरता दर 5.7 प्रतिशत और शहरी महिलाओं की निरक्षरता दर 9 प्रतिशत रही है। मुस्लिमों में सर्वाधिक निरक्षरता दर ग्रामीण पुरुषों में पाई गई जो 30 प्रतिशत रही जबकि ग्रामीण मुस्लिम महिलाएं 48.7 प्रतिशत निरक्षर हैं। शहरी निरक्षर मुस्लिमों में 19 प्रतिशत पुरुष और 33.1 प्रतिशत महिलाएं हैं। 

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