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400 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों पर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि चालू वित्त वर्ष में 400 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली...
400 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों पर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि चालू वित्त वर्ष में 400 करोड़ रुपये तक कारोबार वाली कंपनियों पर 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स लगेगा। अभी तक 250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों पर ही 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स लगता था।

बड़ी कंपनियों पर लगता है 30 फीसदी टैक्स

वित्त मंत्री ने कहा कि अब 99.3 फीसदी कंपनियां 25 फीसदी कॉरपोरेट टैक्स के दायरे में होंगी। सिर्फ 0.7 फीसदी कंपनियां इस स्लैब से बाहर रहेंगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2015-16 के आम बजट में कॉरपोरेट टैक्स की दर चरणबद्ध ढंग से चार साल में 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद पर लाने तथा कंपनियों को मिल रही विभिन्न प्रकार की टैक्स छूट को समाप्त करने का एलान किया था। लेकिन अभी भी बड़ी कंपनियों को सरचार्ज मिलाकर 33 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता है।

उद्योगों से सभी कंपनियों के लिए टैक्स घटाने की मांग

उद्योग जगत का कहना है कि अगर कोई बड़ी कंपनी है तो उसने निवेश भी अधिक किया है और रोजगार भी ज्यादा दिए हैं। वे तरक्की में भी ज्यादा योगदान कर रही हैं तो फिर ऐसी कंपनी पर टैक्स का ज्यादा बोझ क्यों डाला जा रहा है।

सरकार कर प्रशासन को सरल और पारदर्शी बनाएगी

वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकार का उद्देश्य कर प्रशासन को सरल बनाने का है। वह कर प्रशासन में पारदर्शिता भी लाना चाहती है। सरकार ने सेवा कर और एक्साइज के कानूनी विवाद सुलझाने के लिए लीजेसी डिस्प्यूट रिजोल्यूशन स्कीम शुरू करने का भी प्रस्ताव किया है।

एनबीएफसी की एसेट खरीदने को सरकार देगी गारंटी

सरकार ने कहा है कि वित्तीय रूप से मजबूत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की रेटेड पूल्ड एसेट खरीदने के लिए बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाएगी। बैंकों को यह गारंटी आंशिक रूप से सिर्फ एक बार दी जाएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इस तरह की एसेट इस साल करीब एक लाख करोड़ रुपये की हैं। पहले लॉट में दस फीसदी तक एसेट के लिए सरकार छह महीने के लिए आंशिक क्रेडिट गारंटी देगी।

आरबीआइ के अधीन आएंगी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां

वित्त मंत्री ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को आरबीआइ के नियमन के तहत लाने का भी प्रस्ताव किया है। इससे इस क्षेत्र की बेहतर निगरानी हो सकेगी और समुचित विकास हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां अब नेशनल हाउसिंग बैंक के तहत नहीं रहेंगी। 

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