Advertisement

नेमाड़े फिर बरसे रश्दी और नायपॉल पर

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार भालचंद्र नेमाडे ने एक बार फिर कहा कि सलमान रश्दी और वीएस नायपॉल के लेखन में साहित्यिक मर्म एवं मूल्यों का अभाव है और उन्होंने पश्चिम को खुश करने के लिए ऐसी कृतियां रचीं।
नेमाड़े फिर बरसे रश्दी और नायपॉल पर

नेमाडे ने समाचार एजेंसी भाषा से साक्षात्कार में कहा कि सलमान रश्दी की कृतियों पर गौर करें तो इन सब में उन्होंने पूरब एवं एशिया के लोगों की निंदा और नकारात्मक पक्ष पेश किया और पश्चिम को खुश करने का प्रयास किया। मिडनाइट चिल्ड्रेन, शेम और सैटेनिक वर्सेस तीनों में पश्चिमी देशों को खुश करने का प्रयास किया गया है।

उन्होंने दावा किया कि इसी तरह वी एस नायपॉल को भारत को समझने के लिए तीन बार फेलोशिप पर भारत आना पड़ा। अगर किसी लेखक को किसी विषय पर समझ बनाने इतनी बार फेलोशिप लेनी पड़े तब वह कैसा लेखक? नेमाडे ने कहा कि वह फिर से कहना चाहते हैं कि इन दोनों की कृतियों में साहित्यिक मर्म एवं मूल्यों का अभाव है।इससे पहले भी भालचंद्र नेमाडे सलमान रश्दी और वीएस नायपॉल को निशाना बना चुके हैं और इन दोनों प्रसिद्ध लेखकों की कृतियों पर सवाल उठा चुके हैं।

खबरों के अनुसार, इसके बाद सलमान रश्दी ने ट्विट करके कहा था कि नेमाडे पुरस्कार ग्रहण करें और अच्छे ढंग से धन्यवाद कहें, जिस साहित्य की वह आलोचना कर रहे हैं, उसे उन्होंने पढ़ा भी नहीं होगा। रश्दी के ट्विट के बारे में पूछे जाने पर नेमाडे ने कहा कि उन्होंने रश्दी और नायपाल की कृतियों को पढ़ा है और पढ़ने के बाद ही उन्होंने अपनी बात रखी।

 

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad