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03 July 2015

इस्‍लामिक स्‍टेट: आतंक का एक साल

27 जून को तीन महाद्वीपों में हुए ‌इन चार दिल दहला देने वाले हत्याकांड की खबरें दुनिया भर में सुर्खियां बनीं: कुवैत में एक शिया मस्जिद पर हुआ हमला जिसमें 25 नमाजियों की मौत हो गई और 200 से अधिक आम लोग घायल हो गए, ट्यूनीशिया में एक रिसॉर्ट में विदेशी पर्यटकों पर हुआ आत्मघाती बम हमला जिसमें 37 लोग मारे गए, दक्षिण-पूर्व फ्रांस के लियोन्स में हुए एक हमले में एक आदमी का सर काट दिया गया तथा एक औद्योगिक गैस कारखाने में गैस सिलिंडर विस्फोट करने का प्रयास नाकाम कर दिया गया, और, हाल ही में आजाद हुए सीरिया-तुर्की सीमा पर स्थित कुर्द शहर कोबेन पर हुए दो दिवसीय हमले में 200 से अधिक आम नागरिक मारे गए।

ये सभी हमले एक ही समूह की करतूत थी और वह है इस्लामिक स्टेट (अद दावा अल इस्ला‌िमया)। पिछले सप्ताह रमजान के पवित्र महीने की शुरुआत में इसके प्रवक्ता अबु मोहम्मद अल अदनानी ने चेतावनी दी थी कि रमजान 'कुफ्फारों (अविश्वासियों) के लिए एक आपदा लेकर आएगा'। आई एस ने अपना वादा पूरा कर दिया था।

 

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सैन्य अभियान

आईएस (अद दावा अल इस्लामिया) की कहानी सिर्फ एक साल पुरानी है। पिछले साल जून में, एक नाटकीय परिघटना में फालुजा शहर से एक जिहादी समूह के लड़ाकों ने इराक में लगभग 400 किमी की दूरी तय कर तीन दिन की घेराबंदी के बाद 10 जून को 15 लाख की आबादी वाले मोसुल शहर पर कब्ज़ा कर लिया। मोसुल में 20000 की फौज तैनात थी जो अपनी वर्दी, हथियार, तोपखाने, टैंक, और एक भरा पूरा राजकोष पीछे छोड़कर वेश बदलकर भाग गई थी। तीन सप्ताह के भीतर यह समूह उत्तरी और पश्चिमी इराक में एक के बाद एक शहरों पर कब्जा करता गया जिससे महीने के अंत तक इसके लड़ाकों ने बगदाद के बाहर बस कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर मोर्चाबंदी कर ली थी।

29 जून को संगठन के प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी ने घोषणा की, 'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड [ग्रेटर] सीरिया (ऐतिहासिक शाम जिसमें आज का इजराइल, फिलिस्तीन, लेबनान, जॉर्डन और सीरिया आता है) द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों में खिलाफत कायम हो चुकी है। पांच दिन बाद इस्लामिक स्टेट का रहस्यमय नेता अबू बक्र अल बगदादी मोसुल की विशाल मस्जिद के मिंबर पर खड़ा हुआ और यह घोषणा की 'मैं इस्लामी खिलाफत का खलीफा हूं। उसने दावा किया कि इस्लामी मान्यता के अनुसार वह पैगंबर मोहम्मद का वंशज है।

अगले कुछ महीनों में इस्लामिक स्टेट ने कई नए क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया जिससे कि 2014 के अंत तक आकार में इंग्लैंड के बराबर और 50 से 60 लाख की आबादी वाले इराक का एक तिहाई और सीरिया का आधा क्षेत्र उसके अधिकार में आ गया। सोशल मीडिया पर आए पश्चिमी बंधकों के सर काटने की तस्वीरों ने अमेरिका को पड़ोसी अरब देशों का एक गठबंधन बनाकर इस्लामिक स्टेट के अड्डों पर अगस्त से हवाई हमले करने के लिए मजबूर कर दिया। अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक इस्लामिक स्टेट पर 4,000 हवाई हमले हो चुके हैं जिनमें अब तक 10,000 जेहादियों को मार डाला गया है।

इस साल जनवरी में कोबेन पर कब्जा खत्म होने के बाद तुर्की की सीमा पर स्थित एक महत्वपूर्ण आपूर्ति मार्ग तिकरित और तल अबयाद पर से भी अधिकार खत्म हो जाने से अद दावा अल इस्लामिया को सैन्य असफलताओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह फिर से नुकसानों की भरपाई करने और वापस हमला करने में सक्षम रहा है। मई में इसने अनबर प्रांत की राजधानी रमादी और सीरिया के पामीरा पर कब्जा कर लिया और उसके बाद उसने अपने दुश्मनों में दहशत और खौफ कायम करने की अपरंपरागत लेकिन अत्यधिक प्रभावी रणनीति का उपयोग करके जून के अंत में कोबेन पर बदले की नीयत से एक घातक हमले को अंजाम दिया। उसके इन हमलों में बड़े पैमाने पर आत्मघाती बम विस्फोट, घातक विस्फोट, और फिर बंदूकधारियों और पूरे लश्कर के साथ पैदल सैन्य बलों  की कार्रवाई थी।

इस्लामिक स्टेट सिर्फ प्रादेशिक रूप में नहीं फैला है, यह दुनिया के विभिन्न भागों के जिहादी संगठनों से मिल रहे समर्थन को एकत्र कर अल कायदा के विरोधी के रूप में अपने प्रभाव का विस्तार कर रहा है। इसने अरब प्रायद्वीप में यमन स्थित अल कायदा (AQAP) के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित कर लिया है जिसके तहत प्रशिक्षण और जनवरी में पेरिस में शार्ली एब्दो नरसंहार के रूप में संयुक्त अभियान को भी अंजाम दे चुका है। स्थानीय मिलीशिया अंसार अल शरिया के साथ सहयोग से यह लीबिया में दाखिल हो चुका है और उस खंडित हो चुके देश के चार शहरों में मौजूद है। इसने ट्यूनीशिया, यमन और सऊदी अरब में भी जिहादी अभियान चलाया है।

नाइजीरिया में बोको हराम, सोमालिया में अल शबाब, सिनाई के अंसार बैत अल मक्दिस, और अफगान एवं पाकिस्तानी तालिबान के कई अलग-अलग समूहों ने इसके साथ एकजुटता का इजहार किया है। एक चेचेन समूह के कहने पर अल अदनानी ने कॉकेशस के लिए एक नए राज्यपाल की नियुक्ति के साथ दक्षिणी रूस में एक अमीरात" की स्थापना की घोषणा की है।

इस्लामिक स्टेट में एक राज्य के कई तत्व हैं: प्रतिष्ठित पत्रकार अब्देल बारी अतवान के अनुसार यह इतिहास का सबसे धनी आतंकी समूह है जो अपने तेल क्षेत्रों, बैंक डकैती, हथियार के कारोबार, अपहरण से फिरौती और पुरावशेषों में व्यापार के जरिये प्रतिदिन 30 लाख से 50 लाख डॉलर के बीच कमाई करता है। इसके पास एक शक्तिशाली फौज है जो नियमित और शरीयत पुलिस के जरिये जनता के व्यवहार और नैतिकता को नियंत्रित कर सुरक्षा प्रदान करता है। शरीयत अदालतों के रूप में इसके पास एक न्यायिक प्रणाली है। इस्लामिक स्टेट में राज्य प्रशासन के लिए मजलिसे शूरा, विशेषज्ञ परिषद, एक प्रांतीय परिषद, और एक मंत्रीमंडल है।

इस्लामिक स्टेट की व्यवस्था सफल होती दिख रही है। हाल ही में न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक स्टेट के कार्यकर्ता बिजली लाइनों और सीवेज सिस्टम की मरम्मत करते हैं। वे बाजार और बूचड़खानों का निरीक्षण करते हैं और कर लगाते हैं। वे मछली पकड़ने के व्यवसाय को नियंत्रित करते हैं, शिक्षकों के काम की निगरानी और परीक्षा की तारीखें तय करते हैं। घायलों को कृत्रिम अंग उपलब्ध कराते हैं और नवविवाहितों के लिए वह लक्जरी होटल भी उपलब्ध कराते हैं। कुल मिलाकर, राज्य व्यवस्था के ढहने के परिदृश्य में वे रोजगार और सुरक्षा प्रदान करते हैं।

वाकई इनकी कीमत भी चुकानी पड़ती है: इस्लामिक स्टेट के कर्मी बारीकी से व्यक्तिगत आचरण पर नजर रखते हैं। वे बाल कटाने, दाढ़ी बनाने, धूम्रपान, और मेकअप के उपयोग में इस्लामी कानूनों का उल्लंघन मानकर कठोरतम सजा देते हैं। सबसे अधिक चिंता की बात है कि बच्चों को अतिवादी पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जा रही है और उन्हें उनके परिवार और पड़ोसियों के कथित गलत आचरण की सूचना देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस्लामिक स्टेट की हुकूमत में रहने वाली आबादी इसके निष्ठुर शासकों की क्रूरता के डर के दुष्चक्र में फंसी हुई है लेकिन इससे भी कहीं ज्यादा वह उसका विरोध कर रहे शिया मिलीशिया से भयभीत है।

 

गैर सरकारी ताकतों का प्रभुत्व

इस्लामिक स्टेट पश्चिम एशिया में फैली अशांति का एक अंग है जहां राज्य विखंडित हो चुके हैं तथा भविष्य में राज्य के स्वरूप को आकार देने और क्षेत्रीय व्यवस्था कायम करने के लिए गैर सरकारी ताकतों के बीच भारी लड़ाई चल रही है। इस्लामिक स्टेट अब पश्चिम एशिया में सांप्रदायिक आधार पर बंटे ईरान और सऊदी अरब, इन दो इस्लामिक दिग्गजों के केंद्रीय रणनीतिक प्रतियोगिता का अविभाज्य हिस्सा बन गया है। इराक में जहां राष्ट्रीय सेना अब भी बेतरतीबी में है, इस्लामिक स्टेट के खिलाफ मुख्य लड़ाई लोकप्रिय शिया मिलीशिया लड़ रही है जो ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड्स समर्थित है। तुर्की पर कोबेन शहर में एक स्वायत्त कुर्द एन्क्लेव की स्थापना रोकने के मकसद से, इस्लामिक स्टेट को गुप्त सहयोग देने का आरोप लगता रहा है। कुर्द एन्क्लेव की स्थापना का प्रयास स्थानीय कुर्द मिलीशिया, जन संरक्षण इकाईयों (PYG) के नेतृत्व में किया जा रहा है।

सीरिया में असद सरकार को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका को हमला करने के लिए न मना पाने की झल्लाहट और अपने दम पर इस लक्ष्य को हासिल करने में असमर्थता पर सऊदी अरब ने तुर्की और कतर के साथ मिलकर एक नई विद्रोही सेना जैश अल फतह (विजय की सेना), जिसमें अलकायदा से मान्यता प्राप्त जबहत नुसरा और कुछ दूसरे जिहादी मिलीशिया शामिल हैं, को हथियार और धन उपलब्ध कराया है। जबहत नुसरा और इस्लामिक स्टेट प्रतिद्वंद्वी रहे हैं जबकि अभियानों के परिचालन में उनके समन्वय की बात हाल ही में एक ताजा रिपोर्ट में आई है। असद सरकार की बात करें तो कमजोर हो चुकी राष्ट्रीय सेना स्थानीय मिलीशिया 'शबीहा' और लेबनान आधारित 'हिजबुल्लाह' से जबरदस्त सहयोग हासिल कर रही है।

पश्चिम एशिया खंडित राज्यों के माध्यम से गैर सरकारी ताकतों के उपद्रव का परिदृश्य प्रस्तुत करता है जबकि वास्तविकता यह है कि ज्यादातर खंडित राज्य प्रायोजकों से युद्ध सामग्री प्राप्त करने के लाभार्थी हैं। फिलहाल इस्लामिक स्टेट एक अपवाद है जो एक राज्य की विशेषताओं को सुदृढ़ कर इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र भूमिका पेश कर रहा है। इसी बात ने इसके खिलाफ संयुक्त लामबंदी को प्रोत्साहित किया है, खासकर इराक में अमेरिका और ईरान के बीच अभियानों के परिचालन में समन्वय के जरिये।

हालांकि, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा की तीव्रता और जेहादी ताकतों के प्रति सऊदी अरब के उदार दृष्टिकोण को देखते हुए इसके विरुद्ध जमीनी स्तर पर लड़ने के लिए एक संयुक्त, गैर सांप्रदायिक मोर्चा बनाने में क्षेत्रीय राज्यों की असमर्थता की स्थिति में अतवान का मानना है कि ऐसा प्रयास आवश्यक है जिसमें दक्षिण और पश्चिम एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के विभिन्न जिहादी संगठन एक साथ इकठ्ठे होकर इस्लामिक स्टेट के नेतृत्व में काम करें और दुनिया को एक नए 30 वर्षीय युद्ध में उलझा दें।

 

 

 

 

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TAGS: TALMIZ AHMAD, ISLAMIC STATE, ISIS, SERIA, ARAB WORLD, TERRORISM, इस्‍लामिक स्‍टेट, आतंकवाद, मध्‍य एशिया, सीरिया, अद दावा अल इस्ला‌िमया
OUTLOOK 03 July, 2015
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