Advertisement
13 September 2024

इंटरव्यू । मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेशः "संसाधनों की लूट रोकूंगा"

पिछले मानसून में भीषण तबाही झेलने के बाद इस जुलाई के अंत में फिर आई विनाशक बाढ़, बादल फटने की घटनाओं और उसकी वजह से हुआ जानमाल का नुकसान हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए दोहरा सदमा साबित हुआ है। ये घटनाएं स्पष्ट वैज्ञानिक साक्ष्य हैं कि किस तरह नाजुक हिमालयी क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन और इनसानी गतिविधियां प्रभावित कर रही हैं। सूबे के मुख्य्मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू भी इस बात को अब मान रहे हैं कि इलाके में गर्मी अपेक्षा से ज्यादा तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके चलते वनक्षेत्र में कमी आ रही है, हिमनद पिघल रहे हैं और बादल फटने, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं अक्‍सर सामने आ रही हैं। राज्य में टिकाऊ वृद्धि के समक्ष जलवायु संबंधी इन खतरों और चुनौतियों के मद्देनजर वे 2026 तक हिमाचल को ‘हरित प्रदेश’ बनाने की बात करने लगे हैं। उन्होंने 2032 तक राज्य को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की भी बात की है। शिमला में आउटलुक के अश्वनी शर्मा के साथ इन मसलों पर उनसे हुई बातचीत के अंशः

पिछले साल मानसून में 5,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे, सार्वजनिक संपत्ति का भारी नुकसान हुआ था। फिर ऐसी ही घटनाएं हुई हैं।

हिमालय अब जलवायु परिवर्तन का केंद्र बन चुका है। भूस्खलन, बादल फटना और अचानक आने वाली बाढ़ पहाड़ों के लिए नई बात नहीं है, लेकिन अब उसकी तीव्रता और बारंबारता बढ़ गई है। इसके चलते जानमाल का बड़ा नुकसान हो रहा है। इस बार बादल फटने के कारण शिमला और कुल्लू की सरहद पर बसा समेज गांव पूरी तरह बह गया। हमने बहुत त्वरित कार्रवाई की, राहत पहुंचाई और सेना, एनडीआरएफ, सीआइएसएफ, आइटीबीपी तथा राज्य पुलिस को वहां खोजी अभियान में लगा दिया। पचास लोग लापता हुए थे। यह घटना बड़ी तबाही है।

Advertisement

कारण तलाशने की कोशिश की?  

सरकार नुकसान कम करने की दिशा में कोशिश कर रही है। हम आपदाओं को रोक नहीं सकते। पिछले साल हम सब सकते में थे। किसी ने भी ऐसी अप्रत्याशित तबाही की कल्पना नहीं की थी। सौ साल की रिकॉर्ड तोड़ बारिश सब बहाकर ले गई थी। अप्रत्या‍शित भूस्खलन हुए। पहाड़ धसक गए, मकान बह गए, इमारतें धंस गईं। ब्रिटिश राज की राजधानी शिमला तो हिल ही गई थी। जलवायु परिवर्तन तो इस सब के पीछे है ही लेकिन हम लोग भी ऐसे विनाश के लिए जिम्मेदार हैं।

ऐसे विनाश रोकने के समाधान क्या हों?

मुझे शिद्दत से महसूस होता है कि हिमालयी राज्यों और केंद्र को साथ आकर वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के आधार पर लंबी दूरी के उपायों पर विचार करना चाहिए। राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास कर सकती हैं, लेकिन उनके पास इसके लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। हम लोग जनता को जागरूक कर रहे हैं कि खुद को कैसे सुरक्षित रखा जाए। ऐसी परिस्थितियों में उन्हें किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए। हिमाचल प्रदेश में हमारी आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली काफी मजबूत है।

पिछले साल के मानसून में हुए नुकसान का क्या आकलन रहा?

लगभग 9,712 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। कुल 509 लोगों की मौत हुई। इस बार भी बुरा असर हुआ है। श्रीखंड की पहाडि़यों पर बादल फटने की एक घटना से शिमला और कुल्लू जिलों में तीन अलग-अलग दिशाओं में विनाश हुआ। लगभग पचास लोग मारे गए हैं। लाशों की खोज जारी है।

हिमाचल प्रदेश में फिलहाल कौन-सी हरित पहलें चल रही हैं?

हम लोग चरणबद्ध ढंग से सरकारी वाहनों के पूरे बेड़े को ही इलेक्ट्रिक वाहनों से बदल देंगे ताकि वायु प्रदूषण कम हो और कार्बन फुटप्रिंट में कमी आए। मैंने हाल ही में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को हरित परिवहन प्रणाली में बदलने के लिए 327 करोड़ रुपये का अनुदान आवंटित किया है। शुरुआत में 110 ई-बसों और 50 ई-टैक्सियों के मौजूदा बेड़े में और ज्यादा इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी जाएंगी। एक सौर संयंत्र भी मंजूर किया गया है। पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र लगाने की कोशिश की जा रही है। हम लोग सूबे में ताप विद्युत परियोजनाएं अब नहीं रखेंगे। मेरी योजना हिमाचल प्रदेश को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य बना देने की है। हम किसी भी उद्योग को प्रदूषण नहीं फैलाने देंगे। पर्यावरण हितैषी निवेशों के लिए दरवाजे हमने खुले रखे हैं।        

आपकी सरकार राज्यसभा के चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों के कारण गिरने ही वाली थी। 

पार्टी से बगावत करने वाले छह विधायकों को स्पीकर ने अयोग्य  ठहरा दिया था। उन्हेंं सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली, तो वे भाजपा में चले गए। इनमें से केवल दो ही उपचुनाव में जीतकर वापस आए हैं। इसके अलावा तीन निर्दलीय विधायक जीते हैं, जिन्हें  भाजपा ने खड़ा किया था। केवल एक भाजपा के टिकट पर जीता है। कांग्रेस 40 विधायकों की ताकत के साथ सदन में मजबूत है। हिमाचल में भाजपा की सत्ता छीनने की कोशिश नाकाम हो चुकी है।

मौजूदा स्थिति में कठोर फैसले लेने के लिए तैयार हैं?

अब ‘व्यवस्था परिवर्तन’ के जरिये स्वावलंबी बनना हमारा लक्ष्य है। अब तक हिमाचल प्रदेश पूरी तरह कर्ज पर आश्रित था। राज्य पर भारी कर्ज हो गया था। हर व्यक्ति पर अभी सवा लाख रुपये का कर्ज है। ऐसी हालत में हमारे पास दो ही रास्ते हैं। या तो हम और कर्ज लेते रहें या फिर अपने संसाधन जुटाएं। नीतिगत परिवर्तन लागू करने के पहले साल में हमने अतिरिक्त 2,200 करोड़ रुपये जुटाए हैं और राजस्व में 20 प्रतिशत का इजाफा किया। इस साल दोगुना करने की कोशिश है। 2032 तक स्वावलंबी बनने के लिए मेरी योजना ऐसे उपाय लागू करने की है, जिनसे प्रशासनिक खर्च कम हो। मेरी दृष्टि साफ है। मैं पारदर्शिता में यकीन करता हूं। मैं राज्य के कुदरती संसाधनों की लूट नहीं होने दूंगा।

और क्या-क्या गुंजाइश है?

मैंने पनबिजली उत्पादन पर जल शुल्क लगाने का बड़ा कदम उठाकर 3000 करोड़ रुपये सालाना जुटाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बदकिस्मती से मामला मुकदमे में फंस गया। इसके बावजूद हाइकोर्ट के दो बड़े फैसले हमारे पक्ष में रहे। एक ओबेरॉय समूह के विंडफ्लावर हॉल का मामला था और दूसरा अदाणी समूह के 280 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा था, जो किन्नौर की एक पनबिजली परियोजना से जुड़ा था। भाजपा ने एसजेवीएन लिमिटेड को तीन पनबिजली परियोजनाएं मुफ्त बिजली पर सौदे के बगैर दे दी थीं। हमारी कोशिश है कि इन तीनों से हम अपना हक ले के रहेंगे। केंद्र ने अगर हमारी मांग नहीं मानी, तो मैं इन परियोजनाओं को वापस कर दूंगा।

करदाताओं को मिलने वाली बिजली सब्सिडी में कटौती कर दी है?

करदाताओं को मुफ्त बिजली क्यों मिलनी चाहिए? आयकर चुकाने वाले बिजली के दाम देने में सक्षम हैं। इसलिए सब्सिडी केवल बीपीएल और आइआरडीपी परिवारों को दी जाएगी। सब्सिडी पूर्व मुख्यमंत्रियों, स्पीकरों, डिप्टी स्पीकरों, वर्तमान और पूर्व विधायकों, सांसदों और पहले तथा दूसरे दरजे के अफसरों को भी नहीं मिलेगी। इससे बिजली निगम के 700 करोड़ रुपये सालाना बचेंगे।

केंद्र के साथ रिश्ते कैसे चल रहे हैं?

केंद्र के नेतृत्व के साथ मेरे रिश्ते अच्छे रहे हैं। मेरा कर्तव्य है कि राज्य को केंद्रीय अनुदान में अपना वाजिब हक समय से मिले और बिजली परियोजनाओं में हमारे अधिकारों की अनदेखी न हो। हाल ही में मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिला था। हम केंद्र सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि वह पिछले साल हुए विनाश के बाद केंद्र की टीम के किए आकलन के आधार पर हमारे 9,712 करोड़ रुपये की मदद की अर्जी पर फैसला करे। मैंने हिमाचल को साल भर पर्यटन स्थल के रूप में बनाए रखने के लिए भी केंद्र से सहयोग मांगा है। मैं जेपी नड्डा से भी मिला था। वे खुद हिमाचल से हैं। उनसे मैंने आपदा शमन और आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए खुले दिल से मदद मांगी है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Interview, Himachal chief minister Sukhvinder Singh Sukhu
OUTLOOK 13 September, 2024
Advertisement