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28 July 2022

नजरिया: सुशासन में भी अव्वल

 

“गिरमिटिया मजदूर से बड़े बिजनेसमैन तक, कैरिबियाई देशों में बदल रही भारत की छवि”

दूर देशों में भारतीय लोगों का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है। एक दशक पहले भारतीय पासपोर्ट की जो प्रतिष्ठा विदेशों में थी, अब उसमें भी बदलाव आया है। 2004 में जब मैं कैरिबियाई देश गुयाना आया था, तब भारत के पासपोर्ट को यहां हिकारत भरी नजरों से देखा जाता था। हम भारतीयों को चेकिंग के दौरान अलग काउंटर से होकर गुजरना पड़ता था और यह रुख सिर्फ गुयाना जैसे देश का नहीं, बल्कि सभी छोटे-छोटे कैरिबियन देशों का था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। अब अगर कोई भारतीय इन देशों में आता है, तो आम तौर पर यहां के लोग यही सोचते हैं कि कोई बड़ा बिजनेसमैन आया होगा।

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हालांकि अतीत में भारतीयों के प्रति यहां के लोगों की ऐसी दृष्टि नहीं थी। थोड़ा गहराई में जाएं, तो भारतीय पहले यहां कॉन्ट्रेक्ट के तहत मजदूरी करने आते थे, जिन्हें हम गिरमिटिया मजदूर के नाम से भी जानते हैं। 1834 में जब यहां गुलामी प्रथा खत्म हुई तब इन देशों में छोटी-बड़ी कंपनियां स्थापित होनी शुरू हो गईं। इन कंपनियों को यहां काम के लिए मजदूरों की जरूरत पड़ी और इसकी पूर्ति के लिए उन्हें बाहर से बुलाया जाने लगा। उस समय कैरिबियन देशों में लाखों की तादाद में भारतीय आए। गुयाना में 2.38 लाख, त्रिनिदाद में 1.40 लाख, जमैका में 36,000 हजार और सूरीनाम में 35,000 भारतीय मजदूर लाए गए। एक जमाने में लगभग पूरे कैरिबियाई देशों में डच, ब्रिटिश और फ्रेंच आदि जैसे उपनिवेशिक देशों का राज था। लेकिन जैसे-जैसे वे देश छोड़ कर जाने लगे भारतीयों का वर्चस्व बढ़ने लगा। शुरुआत में भारतीय गन्ने की खेती करते थे। लेकिन धीरे-धीरे वे चावल और आम जैसे फसलों में भी परिपक्व हो गए। खेती करने में जब अंग्रेजों ने भारतीयों की निपुणता देखी, तब वे उन्हें धीरे-धीरे कंपनी में बड़े पद देने लगे।

जब अंग्रेजों ने गुयाना छोड़ा तो जो भारतीय पहले उनके बिजनेस के संचालक थे, वे मालिक बन गए। आज देखें, तो यहां जितने भी करोड़पति हैं, वे सब भारतीय मूल के हैं। राजनीति और औद्योगिक घराने का संबंध तो पुराना है। जैसे ही भारतीय मूल के लोगों के पास पैसा आया, वे राजनीति में आए और वहां भी सफलता हासिल की। आज की तारीख में उनका शासन ‘सुशासन’ के लिए जाना जाता है और उन्हें यहां अपरिहार्य स्वीकार्यता मिली हुई है। गुयाना के राष्ट्रपति, मोहम्मद इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं। सूरीनाम के राष्ट्रपति भी भारतीय मूल के हैं और आने वाले समय में कई देशों में भारतीय मूल के शासक दिखेंगे।

अगर गुयाना की बात करूं तो यहां दो पार्टियां हैं, एक पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी (पीपीपी) जिसे भारतीय मूल के लोगों का समर्थन प्राप्त है और दूसरी पीपुल्स नेशनल पार्टी (पीएनपी) जिसे अफ्रीकी ग्रुप समर्थन करता है। गुयाना में बिजनेस की बागडोर 80 फीसदी भारतीय मूल के लोगों के हाथों में है इसलिए उनका राजनीतिक रसूख भी है। दूसरी तरफ, सरकारी नौकरी, सेना और पुलिस में अफ्रीकी मूल के लोगों का वर्चस्व है, जिन्हें एफ्रो नाम से जाना जाता है। यही वजह है कि दोनों पार्टियों का चुनावी एजेंडा भी अलग रहता है। पीपीपी का एजेंडा रहता है कि वह सत्ता में आने के बाद इंट्रेस्ट रेट कम करेगी, ज्यादा लोन देगी और बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगी। लेकिन पीएनपी का मुद्दा इसके उलट, जॉब और बोनस बढ़ाने पर होता है। पूरी दुनिया में या यूं कहें कि गुयाना जैसे कैरेबियाई देशों में भारतीय मूल के लोगों की राजनीतिक और व्यापारिक ताकत बढ़ी है क्योंकि यहां के लोग समझ चुके हैं कि ‘भारतीय’ हिंसक नहीं बल्कि ईमानदार, मेहनती और मृदुभाषी होते हैं और उन्हें अच्छे से शासन करना आता है।

मेरे हिसाब से आने वाले समय में भारतीय मूल के लोगों का राज यहां और बढ़ने जा रहा है। भारत सरकार सांस्कृतिक तौर पर यहां अपनी पैठ और बढ़ा रही है। पिछले सात-आठ साल में यहां काफी बदलाव देखा जा सकता है। हालांकि चीन अभी भी भारत के लिए एक बड़ा ‘खतरा’ बना हुआ है। अधिकतर कैरिबियाई देश इसके ‘डेब्ट ट्रैप’ (कर्ज) नीति के शिकार हो गए हैं। सूरीनाम में लगता है, जैसे पूरी तरह से यहां चीनी दूतावास राज करता है। गुयाना में भी उसका प्रभाव है। हालांकि भारत के लिए फायदा यह है कि यहां सरकार में अधिकतर लोग भारतीय मूल के हैं। यही नहीं, सभी बड़े-बड़े बिजनेसमैन भी भारतीय मूल के हैं, तो उनका झुकाव स्वाभाविक रूप से भारत की तरफ रहता है। पहले तो भारत कहीं नहीं था लेकिन अब भारत चीन से टक्कर ले रहा है, जिसका परिणाम हम आने वाले समय में बखूबी देखेंगे।

(लेखक दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना में सफल व्यवसायी और समाजसेवी हैं। उनका व्यापार 35 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है। विचार निजी हैं)

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TAGS: Opinion, from indentured laborer to big businessman, image of India, Caribbean countries, Outlook Hindi
OUTLOOK 28 July, 2022
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