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10 September 2016

रियो पैरालंपिक: भारतीय खिलाड़ियों ने रचा इतिहास, थंगावेलू ने स्वर्ण जीता

गूगल

पांच साल की उम्र में स्कूल जाते समय तेज रफ्तार बस से टकराकर अपना दाहिना पैर गंवा बैठे 21 बरस के थंगावेलू ने 1. 89 मीटर की कूद लगाकर स्वर्ण पदक जीता। उनसे पहले भारत के लिए पैरालंपिक में मुरलीकांत पेटकर (1972, हेडेलबर्ग, तैराकी) और देवेंद्र झाझरिया (2004, एथेंस, भालाफेंक) ने स्वर्ण पदक जीता था। विश्व चैंपियन अमेरिका के सैम ग्रीव 1. 86 मीटर के साथ दूसरे स्थान पर रहे। भाटी का सर्वश्रेष्ठ प्रयास 1. 86 मीटर का ही था लेकिन काउंट बैक में उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। यह पहली बार है कि पैरालंपिक में एक ही स्पर्धा में दो भारतीय पोडियम पर रहे। टी42 क्लासीफिकेशन शरीर के निचले हिस्से में अक्षमता, पैर की लंबाई में अंतर या मूवमेंट में अंतर से संबंधित है। इसी वर्ग में भारत के शरद कुमार छठे स्थान पर रहे।

थंगावेलू ने अपने 10वें प्रयास में 1.77 मीटर की कूद लगाई जबकि पोलैंड के लुकाज मामजाज, चीन के झिकियांग झिंग और कुमार ने भी 1.77 मीटर की कूद लगाई। बाद के चरण में स्पर्धा तीन प्रतियोगियों के बीच रह गई जिसमें भाटी ने 1.83 मीटर की कूद लगाई। ऐसा लग रहा था कि भारत को स्वर्ण और रजत दोनों मिल जाएंगे लेकिन अमेरिकी खिलाड़ी ने 1. 86 मीटर की कूद लगाकर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया। बाद में रोमांचक फाइनल में थंगावेलू ने 1.89 मीटर की कूद लगाकर स्वर्ण पदक जीता। अन्य स्पर्धाओं में एफ 42 भालाफेंक में संदीप और नरेंदर रणबीर क्रमश: चौथे और छठे स्थान पर रहे जिन्होंने सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत प्रदर्शन करते हुए क्रमश: 54 . 30 मीटर और 53 . 79 मीटर के थ्रो फेंके।

 

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TAGS: रियो परालंपिक, भारतीय खिलाड़ी, इतिहास, मरियाप्पन थंगावेलू, वरूण भाटी, स्वर्ण पदक, कांस्य पदक, Rio Paralympic Game, Indian player, Mariyappan Thangavelu, Varun Bhati, History, gold, Bronze medal
OUTLOOK 10 September, 2016
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