Advertisement
18 August 2016

‘बेटी ने छाती चौड़ी कर दी’

सुदेश मलिक बताती हैं कि ‘जिस वक्त हरियाणा में बहु-बेटियों को घूंघट से बाहर झांकने की इजाजत नहीं मिलती थी, उस वक्त मैं अपनी बेटी को पहलवान बनाने का सपना देखा करती थी।’ जैसे ही साक्षी बड़ी होने लगी तो बिना किसी की परवाह किए मां सुदेश उसे अखाड़े कुश्ती के दांव-पेच सिखवाने लगी। पिता सुखबीर मलिक ने भी बेटी साक्षी की क्षमता देख बखूबी साथ दिया। अब रियो ओलंपिक में कुश्ती के 58 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीत कर साक्षी ने मां-बाप की मेहनत को सफल कर दिया। 

साक्षी के गांव का आलम यह था कि एक दिन पहले ही उसके घर नाते-रिश्तेदार जुटना शुरू हो गए और 18 अगस्त आधी रात, सबने मिलकर लाडली के जौहर देखे। पिता सुखबीर मलिक ने बताया कि रियो जाने से पहले साक्षी ने गुडग़ांव में एक लाख रुपये कीमत की घड़ी पसंद की थी, लेकिन यह भी कहा मेडल लेकर लौटूंगी, तब इसे पहनूंगी। तीन सितंबर को साक्षी के जन्मदिन पर पिता घड़ी तोहफे में देंगे। सुखबीर मलिक ने मन्नत मांगी थी कि बेटी मेडल लाई तो, ऋषिकेश से नीलकंठ तक पैदल जाएंगे।  एक दिन पहले मां सुदेश मलिक से फोन पर बातचीत में साक्षी ने वायदा किया था कि मेडल लेकर ही लौटेंगी, जी-जान लड़ा दूंगी, लेकिन मां ने कहा बेटी मेडल के लिए नहीं देश के लिए खेलना है। बुधवार दिन भर मां सुदेश मलिक भगवान से प्रार्थना करती रही कि देश को पहली खुशी उसकी बेटी ही दे और आखिर हुआ भी ऐसा ही।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: दादा-दादी , रोहतक, मोखरा , हरियाणा, साक्षी मलिक, सुदेश मलिक
OUTLOOK 18 August, 2016
Advertisement