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29 December 2020

झारखंड सरकार के एक साल, कई मोर्चों पर पिछड़ गए हेमंत, भाजपा ने दिए सौ में शून्‍य अंक

झारखंड की हेमंत सरकार के एक साल पूरे हो गये। इस मौके पर आयोजित समारोह में सरकार ने एक से एक उपलब्यिां गिनाईं। काम से लेकर योजनाओं और नीतियों तक। मगर कुछ मोर्चों पर वे कमजोर भी दिखे। या कहें जो करना चाहिए था नहीं कर पाये, जो होना चाहिए था नहीं हो पाया। इसमें दो राय नहीं कि उत्‍तराधिकार में मिले खाली खजाना और कोरोना का संकट इसमें बाधा रही होगी। इधर भाजपा आक्रामक है उसने सरकार को पूरी तरह विफल करार देते हुए 28 पेज का आरोप पत्र जारी किया है।

बेरोजगारी चुनाव में एक बड़ा मुद्दा था। पांच लाख नौकरियों का वादा किया गया था मगर इस मोर्चे पर सरकार बहुत कमजोर पड़ी। अब कोई 15 हजार नियुक्तियों का अवसर दिखा है। मुख्‍यमंत्री के करीबी अधिकारी कहते हैं कि कोरोना इसमें परेशानी की बड़ी वजह रही। भर्ती के लिए परीक्षा, दौड़ जैसे आयोजन में बड़ी परेशानी थी। अभी भी दिक्‍कतें हैं आप भीड़ को बुला नहीं सकते, नियंत्रण नहीं कर सकते। परीक्षाओं के आयोजन में भी दिक्‍कत है। जेपीएससी का मुद्दा भी था। अब नियमावली बनी है, नये कैलेंडर से नियमित होने की उम्‍मीद जगी है।

कोरोना अवधि में ही कोई सात लाख कामगार बाहर से लौटे थे। सरकार ने उनके स्किल को लेकर सूची भी बनाई। मगर योजनाओं के अभाव में उन्‍हें रोकने में सरकार कामयाब नहीं हो पायी। जो पैदल कष्‍ट सहकर भी आये थे बड़ी संख्‍या में लोग रोटी की तलाश में वापस लौट गये। संविधान की पांचवीं अनुसूची के नाम पर ग्राम सभाओं द्वारा समानांतर सरकार चलाने वाले रघुवर शासन के दौरान सिर उठा रहे थे। उनकी आड़ में नक्‍सली सक्रिय हो रहे थे, अफीम उगाई जा रही थी। इसी से संबंधित स्‍वयंसेवी संगठन की कार्यकर्ताओं के साथ दुष्‍कर्म, प्रताड़ना की घटनाएं भी घटीं। कोई दो सौ लोगों पर अलग-अलग मामलों में राष्‍ट्रद्रोह आदि के मामले दर्ज हुए। हेमंत कैबिनेट की पहली बैठक में ही इन मुकदमों को वापस लेने का निर्णय लिया गया। चूंकि इन मामलों में अधिसंख्‍य आदिवासी ही आरोपी थे। ऐसे में आदिवासियों के बीच संदेश भी बेहतर गया मगर अब तक उन मामलों को खत्‍म नहीं किया जा सका है। ऐसे में उनसे जुड़े आदिवासी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। पर्यटन पर सरकार ने नई नीति बनाई है मगर बिना कानून-व्‍यवस्‍था पर नियंत्रण के पर्यटन की तमाम संभावनाओं के बावजूद पर्यटकों को आप आमंत्रित नहीं कर सकते। इस क्षेत्र में संभावनाएं तो इतनी हैं कि ग्रामीण से शहरी स्‍तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं। सरकार का आय का बड़ा स्रोत बन सकते हैं। यहां तो जिलों में छुपे हुए इतने पर्यटक स्‍थल हैं कि क्‍या कहना। मगर स्‍थानीय लोग भी उन स्‍थानों पर जाने में हिचकते हैं। हेमंत सरकार के आने के बाद नक्‍सलियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई है मगर नक्‍सलियों का उपद्रव भी अचानक बढ़ा है। इसी तरह बदनाम करने वाली दुष्‍कर्म और अपराध की घटनाएं भी घटी हैं। इन पर नियंत्रण के बिना पर्यटकों को नहीं रिझा सकते।

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दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा भी हमलावर है। हेमंत सरकार की विफलताओं को लेकर 28 पेज का समानांतर रिपोर्ट कार्ड जारी किया है। एक सौ में सरकार को शून्‍य मार्क्‍स दिया है। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सरकार के एक साल के शासन के दौरान उग्रवाद, अपराध का बोलबाला रहा। डेढ़ हजार से अधिक दुष्‍कर्म की घटनाएं कलंक कथा को दर्शाती हैं। ब्‍लॉक, थाना और अंचलों में भ्रष्‍टाचार का बोलबाला है। मुख्‍यमंत्री के भाई के नाम पर लेवी ली जा रही है। उग्रवादियों को सत्‍ताधारी विधायकों व सरकार का संरक्षण प्राप्‍त है।

इधर पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं कि विकास ठप है, विज्ञापन और होर्डिंग की सरकार चल रही है। विफलताओं को छुपाने के लिए जितने पैसे महोत्‍सव पर खर्च किये जा रहे हैं गरीब जनता पर खर्च हो तो उन्‍हें थोड़ी राहत मिले। सरकार ने पांच लाख रोजगार का वादा किया था, पूरी तरह विफल रही। दुष्‍कर्म व राष्‍ट्र द्रोहियों का समर्थन दर्शाता है कि सरकार पूरी तरह विफल है। किसानों के साथ धोखा हुआ है। दो लाख कर्ज माफी और मुफ्त बिजली का वादा हुआ था मगर सिर्फ 50 हजार तक का झुनझुना दिखाया जा रहा है। धान खरीद का मामला सिकी से छुपा नहीं है। खनिज की लूट मची है। सरकार को आदिवासियों की भी चिंता नहीं है।

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TAGS: BJP, Jharkhand, CM Hemant Soren, बीजेपी, हेमंत सोरेन, झारखंड सीएम
OUTLOOK 29 December, 2020
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