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04 June 2015

सिविल सोसाएटी के साथ लोकतांत्रिक स्पेस तलाशेंगे राहुल

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कांग्रेस पार्टी की कमान पूरी तरह से संभालने से पहले कांग्रेस उपाध्यक्ष अलग-अलग तबकों से सीधा संवाद कर एक केंद्रक के रूप में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में आज उन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं से भेंट-मुलाकात की। देश में घट रहे लोकतांत्रिक स्पेस पर अपनी गहरी चिंता साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ उठ रही आवाजों के साथ उनकी पार्ठी भी आवाज मिलाना चाहती है।

राहुल गांधी के घर पर हुई इस बैठक में राजस्थान के मजदूर किसान शक्ति संगठन के निखिल डे, ग्रीन पीस की प्रिया पिल्ले, उत्तर प्रदेश में आदिवासियों औऱ विस्थापन पर रोमा, सफाई कर्मचारी आंदोलन के बेजवाड़ा विल्सन, पूणे के कल्पवृक्ष संस्था के आशीष कोठारी, गुजरात के न्यू ट्रेड यूनियन इंशिएटिव से जुड़े आशिम राय, साउथ एशिया ह्यूमन राइट्स डॉक्यूमेंटेशन सेंटर के रवि नायर, साउथ एशिया फोरम फॉर ह्यूम राइट्स के तपन बोस, प्रोग्राम फॉर सोशल एक्शन के एम.जे. विजयन, नेशनल एलायंस फॉर पीपुल्स मूवमेंट के राजेंद्र रवि, कोवा के मजहर हुसैन, वादा न तोड़ों अभियान की ऋचा सिंह, प्रधान के दीप जोशी, नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्जिस के रमेश नाथन, आदिवसी नेता सुकालो और ऑल इंडिया यूनियन ऑफ फॉरेट वर्किंग पीपुल की जर्जम इटे ने शिरकत की।

राहुल गांधी की सामाजिक संगठनों के विभिन्न प्रतिनिधियों से इस तरह की विस्तृत, अनौपचारिक इस तरह की संभवतः यह पहली बैठक थी। इशके जरिए कांग्रेस इन तमाम तबकों के साथ संवाद का रास्ता खोलने की इच्छुक है। साथ ही यह राहुल गांधी की नई ब्रांडिग का भी हिस्सा है, जिसके तहत उन्हें एक लोकप्रिय, सबकी सुनने वाले नेता के तौर पर स्थापित करने की कवायद हो रही है।   

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राहुल गांधी के इस कदम को नागरिक संगठनों के साथ बिरादराना संबंध विकसित करने और भविष्य में अपनी राष्ट्रीय सलाहकार परिषद तैयार करने की कोशिश से जोड़कर देखा जा सकता है। राहुल गांधी ने आज बैठक में आए लोगों के साथ आदिवासी, विस्थापन, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना, सूचना के अधिकार सहित अल्पसंख्यक समुदायों के सवालों पर लंबी बातचीत हुई। इसे राहुल गांधी द्वारा देश की नब्ज जानने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। राहुल गांधी की तमाम मुद्दों पर चुप्पी ही साधे रहे हैं। अभी तक सिविल सोसाएटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही संवाद करती रही है।

आज की बैठक सोनिया गांधी की जगह वह पोसिजन राहुल गांधी को दिलाने के मकसद से की गई थी। दलितों के बीच कांग्रेस अपनी पैठ फिर हासिल करने की कोशिश कर रही है। जिस क्रम में राहुल गांधी कें भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली मऊ गए औऱ वहां से दलित समुदाय से एक सीधा संवाद स्थापित करने की कोशिश की। इन तमाम कोशिशों में राहुल गांधी कितना सफल हो पाएंगे, यह तो समय ही बताएगा। उन्होंने शुरुआत भी बहुत देर से की और अभी तक उनका राजनीतिक दखल बहुत तेज-तर्ऱार नहीं रहा है। लेकिन जो ताकतें विकल्प तलाश रही हैं, वह कम से कम अपनी बात इस खेमे से करने के लिए तैयार हो रही हैं। 

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TAGS: rahul gandhi, civil society, nikil day, priya pillai, bezwada wilson, कांग्रेस उपाध्यक्ष, सोनिया गांधी, मजहर हुसैन
OUTLOOK 04 June, 2015
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