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03 November 2021

पंजाब: कैप्टन की गुगली में कांग्रेस उलझी, सिद्धू-चन्नी कुश्ती में फंसी पार्टी

महीने भर पहले पंजाब की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह नवंबर में दिवाली से पहले अपनी नई पार्टी का ऐलान कर चुके हैं। पंजाब लोक कांग्रेस नई पार्टी का नाम होगा। हालांकि अभी पंजीकरण बाकी है। पार्टी का चुनाव चिह्न बाद में मिलेगा। 2022 के विधानसभा चुनाव से तीन महीने पहले कैप्टन की नई पार्टी का भाजपा और सुखदेव सिंह ढींढसा, रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा जैसे टकसाली अकाली नेताओं के साथ गठबंधन का सियासी भविष्य तो चुनावी नतीजे तय करेंगे पर यह तय है कि इस नए गठजोड़ का पहला मकसद कांग्रेस की चन्नी सरकार को चलता करना है। कैप्टन ने कांग्रेस आलाकमान को भी सबक सिखाने की ठानी है। 

कैप्टन का मानना है कि कांग्रेस अब पंजाब में मुकाबले में नहीं है और उनकी लड़ाई शिरोमणि अकाली दल के साथ होगी। आउटलुक से बातचीत में कैप्टन ने कहा, “पंजाब में कांग्रेस का भविष्य धूमिल है, पार्टी का गठन होते ही कई नेता कांग्रेस का साथ छोड़ उनके साथ होंगे। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले ही उनकी पार्टी राज्य में पूरी तरह सक्रिय हो जाएगी। नई पार्टी के प्रत्याशियों का ऐलान भी चुनाव नजदीक आते ही कर दिया जाएगा।”

कैप्टन का कहना है कि नवजोत सिंह सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने के बाद पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ 25 फीसदी गिर गया है। जवाब में सिद्धू ने ट्वीट किया, “पिछली बार जब आपने अपनी पार्टी बनाई थी तब आपको सिर्फ 856 वोट मिले थे और चुनाव हार गए थे। पंजाब के लोग एक बार फिर आपको दंडित करने का इंतजार कर रहे हैं।”

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केंद्र के तीन कृषि कानून वापस लिए जाने की शर्त पर भाजपा के साथ गठबंधन तलाश रहे कैप्टन आंदोलनकारी किसानों को भी अपने पाले में बनाए रखना चाहते हैं। कृषि कानूनों के विरोध के चलते शिरोमणि अकाली दल से तीन दशक पुराना गठबंधन खोने वाली भाजपा के लिए पंजाब कभी खास नहीं रहा, पर पहली दफा पंजाब का चुनाव अकेले लड़ने के बजाय वह ऐसे विकल्प पर विचार कर रही है जिससे उसे पंजाब में मजबूत भागीदारी मिले और 2022 में पंजाब के साथ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी बढ़त मिले। पंजाब में भाजपा के पास ऐसा कोई बड़ा सिख चेहरा नहीं है, जिसका पूरे पंजाब में आधार हो। अकाली दल से गठजोड़ तोड़ने के बाद भाजपा के लिए कैप्टन जैसा चेहरा जरूरी है। इससे पहले प्रकाश सिंह बादल के रूप में उसके पास दिग्गज जाट सिख चेहरा था। अब कैप्टन के साथ गठजोड़ कर भाजपा इस नुकसान की भरपाई कर सकती है।

अमरिंदर सिंह खेमे के एक पूर्व कांग्रेसी नेता ने कहा, “तीन कृषि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट निलंबित कर चुका है। ऐसे में उन्हें रद्द किए जाने की शर्त तार्किक नहीं है। इन कानूनों के बदले केंद्र सरकार एमएसपी एक्ट लाती है, तो ये तीनों कानून खुद ब खुद निरस्त हो जाएंगे।” मोदी सरकार यह कदम उठाती है, तो पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल के चुनाव में उसे फायदा मिल सकता है। भाजपा पंजाब अध्यक्ष अश्विनी शर्मा का कहना है कि कांग्रेस में कैप्टन ही एकमात्र ऐसे नेता थे जिनकी देशभक्ति की विचारधारा भाजपा से मेल खाती है। वे अपनी पार्टी का गठबंधन भाजपा से करना चाहते हैं, तो उनके लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं।

कैप्टन ने अलग की अपनी राह

कैप्टन ने अलग की अपनी राह 

कैप्टन के एक सियासी सलाहकार के मुताबिक, पहले कुछ करीबी पूर्व मंत्री और विधायक कैप्टन के साथ आएंगे। चुनाव की घोषणा के बाद कई विधायक और दिग्गज कांग्रेसी अमरिंदर की पार्टी में शामिल होंगे। कैप्टन की रणनीति है कि चुनाव तक कांग्रेस को संभलने का मौका ही न दिया जाए। सूत्रों की मानें तो कैप्टन करीब 25 विधायकों के संपर्क में हैं। कैप्टन की कोशिश रहेगी कि चुनाव और टिकट बंटवारे तक कांग्रेस को बगावत में ही उलझा कर रखा जाए। टिकट बंटवारे में मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बीच निश्चित तौर पर ठनेगी, जिसका फायदा लेने में कैप्टन नहीं चूकेंगे। सिद्धू के खिलाफ कैप्टन चुनावी ताल भी ठोक सकते हैं। कैप्टन कह चुके हैं कि वे सिद्धू को मुख्यमंत्री तो दूर, एमएलए भी नहीं बनने देंगे। हालांकि यह अलग बात है कि कैप्टन ने अभी तक कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता नहीं छोड़ी है और उनकी सांसद पत्नी परनीत कौर भी कांग्रेस में ही हैं।

अगर कैप्टन एमएसपी गारंटी का कानून संसद में पारित कराने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने में सफल हुए तो संभव है कि पंजाब की सियासत में कैप्टन, भाजपा और टकसाली अकालियों का गठजोड़ एक नए मोर्चे की शुरुआत करे।

सिद्धू-चन्नी पुराण

पिछले तीन महीनों में भारी फेरबदल की हर संभावित कोशिश और कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप के बावजूद पंजाब कांग्रेस की कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। आनंदपुर साहिब से सांसद मनीष तिवारी ने हाल में कहा, “पंजाब कांग्रेस में जैसी अराजकता चल रही है, वैसी आज तक नहीं देखी। कांग्रेस आलाकमान के कहने पर भी पंजाब में ये हालात हैं। कांग्रेसी नेता ही एक-दूसरे के लिए ही घटिया शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह सब पिछले पांच महीने से चल रहा है।” दरअसल नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के निशाने पर लगातार बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने और बाद में सुपर मुख्यमंत्री कहलाने की ख्वाहिश पूरी न होने के कारण सिद्धू अपनी ही पार्टी के मुखिया को घेरने का कोई मौका नहीं चूकना चाहते। यही वजह है कि वे विपक्ष से कहीं अधिक चन्नी सरकार पर हमलावर बने हुए हैं।

16 अक्टूबर को कांग्रेस कार्यकारिणी की अहम बैठक में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की मीडिया के जरिए पार्टी मामलों को न उठाए जाने की हिदायत के बावजूद सिद्धू ने अगले ही दिन उनके नाम ट्विटर पर चार पन्नों की चिट्ठी डाल दी। इसमें उनसे पंजाब के 13 मसलों पर विचार के लिए समय मांगा गया है। इस चिट्ठी के बहाने भी निशाने पर मुख्यमंत्री चन्नी ही थे। इस सिलसिले में 17 अक्टूबर को प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी और कैबिनेट मंत्री परगट सिंह की मौजूदगी में चन्नी और सिद्धू की देर रात बैठक हुई। पांच घंटे चली यह बैठक बेनतीजा रही तो झल्लाए चन्नी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी और कहा, “सिद्धू बन जाएं मुख्यमंत्री और चुनाव से पहले दो महीनों में सुलझा लें पंजाब के सभी मसलों को।” 

सिद्धू से तनातनी पर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने आउटलुक से बातचीत में कहा, “हमारे पास समय कम है। पंजाब की उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए अगले दो-ढाई महीने में हम जनता के बीच जाकर उनके मसलों को हल करने का प्रयास कर रहे हैं। जिन मसलों का हल नवजोत सिंह सिद्धू रातों-रात चाहते हैं, वे कानूनी प्रक्रिया से बंधे हैं, वक्त लगेगा। सोशल मीडिया पर सवाल उठाने की बजाय सामने बैठकर बात करें। मैं उनकी हर बात गंभीरता से सुनने और हर संभव हल निकालने के लिए तैयार हूं।”

उधर, अलग पार्टी बनाने और भाजपा से गठबंधन के संकेत के बीच उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने अमरिंदर पर निजी हमला बोल दिया। कैप्टन की पाकिस्तानी पत्रकार मित्र अरुसा आलम को आइएसआइ का एजेंट बताते हुए रंधावा ने डीजीपी को इसकी जांच के आदेश दे दिए तो कैप्टन ने भी सोनिया गांधी के साथ अरुसा की फोटो साझा कर दी। रंधावा को इस जांच पर यू-टर्न लेना पड़ा है। सिद्धू के रणनीतिक सलाहकार मुहम्मद मुस्तफा ने अरुसा पर सवाल उठाए, तो कैप्टन ने अरुसा के साथ उनकी पत्नी और बहू की फोटो ट्वीट कर दी। अरुसा का नाम लिए बगैर सिद्धू ने सोशल मीडिया पर कहा, “हमें असली मुद्दों पर लौटना चाहिए। जो हर पंजाबी और हमारी भविष्य की पीढ़ी से जुड़े हैं।”

सिद्धू ने भले ही अपनी पार्टी की सरकार को सीख दी लेकिन सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर ने अरुसा पर निशाना साधते हुए यहां तक कहा कि “पंजाब में अफसरों की पोस्टिंग अरुसा को रिश्वत दिए बगैर नहीं होती थी।” कुल मिलाकर कांग्रेस के भीतरी हालात 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले डांवाडोल लगने लगे हैं।

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TAGS: पंजाब, कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस, नवजोत सिंह सिद्धू, चरणजीत सिंह चन्नी, Punjab, Captain Amarinder Singh, Punjab Congress, Navjot Singh Sidhu, Charanjit Singh Channi
OUTLOOK 03 November, 2021
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