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30 January 2020

दिल्ली चुनावः लक्ष्मी नगर में बिजली, पानी के मुद्दे हावी, क्या "फ्री पॉलिसी" का चलेगा जादू

कभी कांग्रेस का मजबूत चुनाव क्षेत्र रहे लक्ष्मी नगर में भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र के मतदाताओं का कहना है कि आप की दिल्ली सरकार ने कई तरह की सुविधाएं तो दी हैं, उनका लाभ मिल रहा है लेकिन क्षेत्र की ज्वलंत समस्याएं सुलझाने में यह सरकार नाकाम रही है। भाजपा के नेता इन समस्याओं को दूर करने में दिल्ली सरकार की विफलता को उभारकर मतदाताओं को अपनी ओर करने की पुरजोर कोशिश कर रहे है।

भाजपा-आप प्रत्याशियों में सीधा मुकाबला

पिछले 2015 के विधानसभा चुनाव में आप के नितिन त्यागी ने यहां से जीत दर्ज की थी। उस समय त्यागी ने 42.54 फीसदी वोट हासिल करके भाजपा के बी. बी. त्यागी को हराया था जिन्हें 39 फीसदी वोट मिले थे। 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए इस क्षेत्र में पहली बार (2008 में) जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार वालिया का वोट अनुपात 12 फीसदी घटकर 17 फीसदी रह गया था। आप ने ने इस बार भी त्यागी को मैदान में उतारा है। उन्हें इस बार भाजपा के अभय कुमार वर्मा से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2013 औप 2015 में पराजय देख चुके डॉ. वालिया को इस बार कांग्रेस ने खड़ा नहीं किया। कांग्रेस ने इस सीट पर हरि दत्त शर्मा को मैदान में उतारा है।
बड़े मॉल और कोचिंग के लिए पहचान
लक्ष्मी नगर क्षेत्र में बड़े-बड़े शोरूम, मॉल के साथ सरकारी कार्यालय हैं। यहां अवैध कॉलोनियों की बड़ी संख्या है। लक्ष्मी नगर की पहचान संकरी गालियां और भीड़-भाड़ वाले इलाके के तौर पर होती है। लक्ष्मी नगर में चार्टर्ड एकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी के स्टूडेंट्स रहते हैं क्योंकि यह कोचिंग सेंटरो का बड़ा केंद्र है। यहां पूर्वांचल के लोगों की अच्छी-खासी आबादी है।

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ये मुद्दे मतदाताओं के लिए अहम

इस क्षेत्र में अवैध निर्माण सबसे बड़ा मुद्दा है। लोग बड़े पैमाने पर अतिक्रमण से परेशान रहते हैं। इसी इलाके में 2010 में ललिता पार्क में हादसा हुआ था, जिसमें 70 लोगों की जान चली गई थीं। इसके अलावा पार्किंग की गंभीर समस्या है। सफाई व्यवस्था की कमी की वजह से गंदगी का अंबार है। विकास मार्ग पर बड़े-बड़े शोरूम होने से पार्किंग की समस्या रहती है। इसके कारण ट्रैफिक जाम इस क्षेत्र के लिए बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। लक्ष्मी नगर में स्टेशनरी शॉप चलाने वाले मनोज गुप्ता ने कहा कि भले ही केजरीवाल सरकार ने कई अच्छे काम किए हों लेकिन यहां की समस्याएं जस की तस हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र के लोग बिजली, पानी और बस सेवा में रियायतों से खुश हैं। लेकिन जब उन्हें रोजाना ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ता है तो उनका मन खट्टा हो जाता है। मंगल चौक के एक व्यापारी रवींद्र कुमार का कहना है कि यहां की गलियां संकरी हैं। कुछ संकरी गलियों को तोड़कर चौड़ा बनाया भी जा रहा है। लेकिन यह काम धीमी रफ्तार से होने के कारण लोगों की समस्या दोगुनी हो गई है। गंदगी से भी लोग परेशान रहते हैं। हल्की बारिश में भी सड़क पर कीचड़ जमा हो जाता है।

आप सरकार को घेरने का बहाना

इन समस्याओं को लेकर ही भाजपा के नेता आप के विधायक और दिल्ली सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी अभय कुमार वर्मा ने एक नुक्कड़ सभा में कहा कि मौजूदा विधायक नितिन त्यागी ने पिछले पांच साल में कुछ नहीं किया। दिल्ली सरकार भी यहां के मतदाताओं की समस्याओं के प्रति उदासीन है।

इस प्रकार है जातीय समीकरण

इस क्षेत्र में 20 फीसदी ब्राह्मण, 22 फीसदी पंजाबी, 11 फीसदी मुस्लिम, 10 फीसदी उत्तराखंडी मतदाता हैं। इसके अलावा आठ-आठ फीसदी वैश्य और अनुसूचित जाति के वोटर हैं। 16 फीसदी वोटर अन्य पिछड़ी जातियों के हैं। आमतौर पर ब्राह्मण और पंजाबी मतदाताओं का झुकाव भाजपा की ओर रहता है। जबकि पिछड़ी, अनुसूचित जातियों और मुस्लिम मतदाताओं के लिए आप पहली पसंद रहती है। 2013 से पहले कई जातियों खासकर उच्च जातियों में कांग्रेस का आधार होता था। अब उसका आधार सिकुड़ रहा है।

जो काम करेगा, वही जीतेगा

क्षेत्र के एक मतदाता मोहम्मद अली का कहना है कि यह राष्ट्रीय चुनाव नहीं है। क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याएं सुलझाने में जो भी दल अच्छा काम करेगा, वह जीतेगा। केजरीवाल ने काम किया है तो वोट उन्हें मिलेगा। बिजली, पानी, बस सेवा में रियायतों से मतदाता काफी खुश हैं। भाजपा को सीएए और एनआरसी की वजह से नुकसान पड़ सकता है।

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TAGS: Delhi Election, Laxmi Nagar, electric, AAP, BJP, Congress
OUTLOOK 30 January, 2020
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