Advertisement
14 November 2018

उत्तराखंड में लोकसभा का सेमीफाइनल है निकाय चुनाव, लिटमस टेस्ट से गुजरेंगे कांग्रेस-भाजपा

Symbolic Image

लोकतंत्र में वैसे तो किसी चुनाव को किसी दूसरे चुनाव का पूरक नहीं माना जा सकता है और तकनीकी तौर पर इसका दावा भी नहीं किया जा सकता लेकिन फिर भी हर चुनाव किसी भी सत्तारूढ़ दल के लिए जनता के बीच लोकप्रियता और स्वीकार्यता का बैरोमीटर माना जाता है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड में होने जा रहे शहरी निकाय चुनाव भी राज्य की त्रिवेंद्र रावत सरकार के लिए महत्वपूर्ण हो गए है। त्रिवेंद्र सरकार के लिए यही उपयुक्त वक्त है कि कुछ कर गुजरे क्योंकि इस चुनाव में सरकार को नगरीय क्षेत्रों की जनता की कसौटी पर खरा उतरना होगा। वैसे भी इस चुनाव में जनता भाजपा सरकार के काम पर मुहर लगाने या खारिज करने का काम करने जा रही है। खासतौर पर मुख्यमंत्री बनने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद प्रीतम सिंह पहले किसी बड़े चुनाव में मुकाबिल हैं और दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। निकाय चुनाव के नतीजे इन दोनों नेताओं का कद भी तय करेंगे। 

निकाय चुनाव के लिए नगरों में रहने वाले 24 लाख से ज्यादा मतदाता 18 नवम्बर को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 20 नवम्बर की सुबह नतीजों का आगाज होगा। फिलहाल सभी की निगाहें देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, कोटद्वार, काशीपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी नगर निगम के चुनाव के नतीजों पर लगी हैं। एक रुड़की नगर निगम में अभी चुनाव नहीं है। राज्य का इतिहास गवाह है कि निकायों में अभी तक भाजपा का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार सत्तारूढ़ दल होने के बावजूद भाजपा के लिए चुनौती बहुत हैं। कांग्रेस पंद्रह दिन पहले ही चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतकर भाजपा और सरकार की दिवाली की खुशियों में खलल डालने के बाद उत्साह में है। क्योंकि चमोली में भाजपा का ही जिला पंचायत अध्यक्ष था। सबसे बड़ी नगर निगम देहरादून पर मुख्यमंत्री के निकटस्थ नेता सुनील उनियाल गामा मैदान में है, इसलिए यह सीट मुख्यमंत्री के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गयी है। वैसे भी कांग्रेस ने तीन बार के विधायक और पांच साल कैबिनेट मंत्री रहे दिनेश अग्रवाल को मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। हालांकि हरिद्वार में कोई बड़ा दिग्गज नहीं है लेकिन वहां कैबिनेट मंत्री और राज्य गठन के बाद से अब तक विधायक का चुनाव जीतते आ रहे मदन कौशिक की साख दांव पर लगी है।

ऋषिकेश में मेयर प्रत्याशी को लेकर वहां से विधायक और मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के बीच हुए झगड़े ने मुश्किलें पैदा कर दी हैं। कोटद्वार में भी भाजपा ने लैंसडो न से विधायक दिलीप सिंह रावत की पत्नी को टिकट देने से कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत नाराज बताये जा रहे हैं और कांग्रेस ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी की पत्नी को टिकट देकर मुकाबले का कड़ा कर दिया है। हल्द्वानी नगर निगम में भी रोचक मुकाबला है। वहां से कांग्रेस ने पार्टी की धुरंधर और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदेश के बेटे सुमित हृदेश को मैदान में उतारा है। हल्द्वानी इंदिरा का पुराना गढ़ है और बेटे के राजनीतिक कॅरिअर को शुरू में ही ग्रहण ना लग जाए इसके लिए इंदिरा ने चुनाव जीतने के जबरदस्त इंतजाम किए हैं।

Advertisement

यह चुनाव इसलिए भी दिलचस्प हो गया है कि दोनों ही दल लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अपनी ताकत का अहसास करना चाहते हैं। इसीलिए कहीं मुख्यमंत्री के करीबी को मेयर का टिकट दिया गया तो कहीं पूर्व मंत्री और विधायक की पत्नी तो कहीं पूर्व मंत्री और बड़े नेताओं की संतान को चुनाव मैदान में उतार दिया गया है। यह चुनाव किसी के लिए कैसा भी हो लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कांग्रेस के नए अध्यक्ष प्रीतम सिंह का राजनीतिक वजूद नए सिरे से तय करेगा। क्योंकि दोनों ही अपना अपना ओहदा संभालने के बाद लिटमस टेस्ट से गुजर रहे हैं। यह एक अवसर है जब पहली बार किसी बड़े चुनाव का जरिये जनता में अपनी पकड़ साबित कर आगे बढ़ेंगे वरना भाजपा और कांग्रेस में नेताओं की लम्बी कतार है, जो दोनों से हिसाब-किताब बराबर करने को आतुर है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Uttarakhand, municipal elections, bjp, congress
OUTLOOK 14 November, 2018
Advertisement