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24 April 2021

उत्तराखंड: फैसले पलटू तीरथ, त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई फैसले पर उठाया चौकाने वाला कदम

File Photo

नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शपथ लेते ही कहा था कि कानून की किताबें पढ़ने का काम अफसरों का है, मैं तो जनता का चेहरा पढ़कर ही फैसला करूंगा। रूठी जनता को मनाने की यह कोशिश हरिद्वार के कुंभ आयोजन में भी दिख रही है,  जहां देश में कोविड-19 की तीव्र दूसरी खतरनाक लहर के बावजूद सब कुछ लगभग बेरोकटोक जारी है। दरअसल, सत्ता संभालने के महीने भर में ही मुख्यमंत्री ने अपनी ही पार्टी की पुरानी सरकार के कथित जनहित विरोधी तमाम फैसलों को पलटने का सिलसिला शुरू कर दिया है। उनकी कोशिश है कि इस चुनावी साल में जनता में यह संदेश दिया जा सके कि उनकी सरकार को जन-सरोकारों की परवाह है। महीने भर के कार्यकाल में तीरथ खासे एक्शन मोड में नजर आए। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई फैसलों को उन्होंने फौरन पलटना शुरू किया। वैसे, अपने कुछ बयानों को लेकर तीरथ सोशल मीडिया में खासे ट्रोल भी हुए।

पिछले मार्च महीने में भाजपा आलाकमान ने अचानक त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर मुख्यमंत्री पद का ताज तीरथ सिंह रावत के सिर सजा दिया। तीरथ ने पहली ही कैबिनेट में त्रिवेंद्र सरकार के समय में सबसे ज्यादा चर्चित जिला विकास प्राधिकरणों को खत्म करने का फैसला किया। उसके बाद उन्होंने हरिद्वार कुंभ में लगाए गए तमाम प्रतिबंध खत्म करने का आदेश किया। हालांकि बाद में कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करने की बात भी की। कुंभ मेला क्षेत्र में अखाड़ों को 2010 के समान ही जमीन आवंटित करने का आदेश भी दिया।

तीरथ सिंह रावत ने पुरानी सरकार के समय कोटद्वार में रद्द किए गए मेडिकल कॉलेज को फिर बनाने का आदेश किया। इसी तरह से कर्मकार बोर्ड में त्रिवेंद्र सरकार के समय में बैठाई गई सचिव को भी हटा दिया गया। तीरथ ने एक ही झटके में दर्जाधारी मंत्रियों और राज्यमंत्रियों को पैदल करके सरकारी खजाने पर पड़ रहे कई करोड़ के बोझ को खत्म कर दिया। लंबे समय से विवाद में चल रहे देवस्थानम बोर्ड से 51 मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करके उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों का दिल जीता। चारधामों को इस बोर्ड से बाहर करने पर भी मंथन हो रहा है। इसी तरह से गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने के त्रिवेंद्र सरकार के फैसले को भी स्थगित कर दिया। त्रिवेंद्र सरकार के इस फैसले से कुमाऊं में खासा आक्रोश था। भाजपाई सांसद और विधायक भी इस फैसले के विरोध में थे।

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मुख्यमंत्री इन फैसलों से सरकार की छवि जनहितकारी दिखाने की कोशिश में जुटे हैं। आउटलुक से बातचीत में उन्होंने कहा कि कई फैसलों से न जनता खुश थी और न ही विधायक, उन्हें बदलना ही जनहित में है। अब देखना है कि अगले साल चुनावों के पहले क्या लोगों की नाराजगी कम करने में तीरथ रावत कामयाब हो पाते हैं? खासकर तराई और हरिद्वार के इलाकों में केंद्र के नए कृषि कानूनों और बढ़ती महंगाई भी लोगों की नाराजगी का कारण बनी हुई है।

 बदले गए अहम फैसले

कुंभ में अखाड़ों को जमीन: उपलब्ध होने पर दी जाएगी जमीन

नया फैसला: सभी को 2010 के कुंभ के आधार पर जमीन

जिला विकास प्राधिकरण: इसके जरिए ग्रामीण अंचलों तक किसी भी निर्माण का नक्शा पास कराना जरूरी था

नया फैसला: अब केवल विनियमित क्षेत्र में ही लागू

गैरसैंण कमिश्नरी: कुमाऊं में भारी विरोध था। इसे पर्वतीय संस्कृति का विरोधी माना कहा जा रहा था। भाजपा सांसद और विधायक भी थे विरोध में

नया फैसला: अब स्थगित

देवस्थानम बोर्ड: इसे लेकर तीर्थ-पुरोहित नाराज थे। भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने हाइकोर्ट से हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है

नया फैसला: देवस्थानम बोर्ड के दायरे से 51 मंदिर बाहर। चारधामों पर भी मंथन जारी

दर्जाधारी मंत्री: एक सौ से ज्यादा नेताओं पर हर माह करोड़ों रुपये खर्च हो रहे थे

नया फैसला: सभी तत्काल हटाए गए

कोटद्वार मेडिकल कॉलेज: त्रिवेंद्र सरकार ने रद्द कर दिया था

नया फैसला: फिर बनेगा मेडिकल कॉलेज

कर्मकार बोर्ड में सचिव: नए सचिव की तैनाती कर मंत्री की करीबी को हटाया गया था

नया फैसला: फिर मंत्री की पसंद से नई सचिव तैनात

विपक्षी विधायकों से बात: पिछली सरकार में कांग्रेसी विधायकों की कोई पूछ नहीं थी।

नया फैसला: कांग्रेसी विधायकों से बातचीत का सिलसिला शुरू

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TAGS: Uttarakhand Chief Minister, Tirath Singh Rawat, Former Chief Minister, Trivendra Singh Rawat
OUTLOOK 24 April, 2021
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