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28 May 2016

मोदी सरकार की विफलता पर चिदंबरम ने कारपोरेट अंसतोष का खेला दांव

गुगल

कांग्रेस नेता और अब राज्यसभा में पार्टी के उम्मीदवार पी. चिदंबरम ने एक बहुत आज दो बातें बहुत अहम कहीं, जो शायद कांग्रेस की भविष्य की रणनीति का खुलासा करने वाली हो। कॉरपोरेट जगत में पनप रहे असंतोष को हवा देने की काम आज कांग्रेस के नेता ने किया। उन्होंने अर्थव्यवस्था की फंसान का ठीकरा केंद्र सरकार की नीतियों से ज्यादा उसकी कार्यप्रणाली और विपक्ष की अवहेलना पर डाला।

केंद्र की मोदी सरकार की दो साल में आर्थिक विफलताओं की सूची गिनाते हुए उन्होंने दो बड़ी चूकों को सामने रखा, पहला बड़े बोल्ड ढांचागत सुधार नहीं करना और दूसरा विपक्ष को भरोसे में नहीं लेना।

इससे एक संकेत यह मिला की कांग्रेस और उसमें भी खासतौर से पी.चिदंबरम की की दुखती रग यह है कि मोदी सरकार विपक्ष के साथ सम्मान का रिश्ता या अपनी निर्भरता नहीं दिखाती। साथ ही एक जो दूसरी बड़ी विफलता गिनाई, वह और भी गौरतलब है। केंद्र की मोदी सरकार के ऊपर अर्थव्यवस्था में विकास का संचार नहीं करने का आरोप लग रहा है। तमाम कोर क्षेत्रों में विकास की दर गिरने आदि के आंकड़ों के बीच कांग्रेस के शासनकाल में वित्त मंत्री रहे चिदंबरम का आंकलन यह है कि अगर मोदी सरकार ने बड़े सुधारों को करने का साहस किया होता तो अर्थव्यवस्था के हाल ठीक होते। तमाम मंदी  बीच इस तरह का विश्लेषण निश्चित तौर पर कॉरपोरेट जगत की नाराजगी को आवाज देने का काम किया है।

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कॉरपोरेट जगत के एक बड़े हिस्से को यह उम्मीद थी कि मोदी सरकार को इतना अपार बहुमत मिलने के बाद आर्थिक सुधारों की गति बेहद तेज हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इससे धीरे-धीरे नाराजगी बढ़ रही है। इसी नाराजगी को हवा देने की कोशिश की गई है। साथ ही चिदंबरम ने एनपीए पर केंद्र सरकार के सख्त रवैये की भी आलोचना करके कारपोरेट के पक्ष में बैंटिग करने की कोशिश की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार जिस तरह से बैंकों के एनपीए पर कड़ा रुख अख्तियार कर रही है, उससे निवेश विरोधी माहौल बना है। एनपीए अपराध नहीं है, जानबूझ कर कर्जा न चुकाने वालों पर सख्ता कार्रवाई करने की जरूरत है।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन का खुलकर समर्थन करते हुए चिदंबरम ने दावा किया कि राजन अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री हैं और उन्हें कांग्रेस के शासनकाल में नियुक्त किया गया था। जिस तरह से केंद्र सरकार उनका अपमान कर रही है, उसमें अब राजन को सोचना चाहिए कि उन्हें इस सरकार की जरूरत है या नहीं।   

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TAGS: कॉरपोरेट, नाराजगी, सुधार, विपक्ष, bold structural reforms, modi government
OUTLOOK 28 May, 2016
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