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29 December 2017

बिग बैंग के बाद सबसे पहले बने 'ब्लैक होल' की खोज

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-प्रदीप

महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने कहा था कि मनुष्य स्वभावतः जिज्ञासु है तथा उसकी सबसे बड़ी इच्छा ब्रह्माण्ड की व्याख्या करना है। ब्रह्माण्ड की कई संकल्पनाओं ने मानवीय मस्तिष्क को हजारों वर्षों से उलझन में डाल रखा है। वर्तमान में वैज्ञानिक ब्रह्माण्ड के सुदूर स्थित सूक्ष्म एवं स्थूलकाय सीमाओं तक पहुंच चुके हैं। ब्रह्माण्डीय परिकल्पनाओं एवं प्रेक्षणों द्वारा खगोलविदों को ब्रह्माण्ड की विचित्रताओं और रहस्यों के संबंध में पता चला। जैसे-जैसे ब्रह्माण्डीय संकल्पनाओं एवं पिंडों के बारे में हमारे ज्ञान में वृद्धि होती गईं, वैसे-वैसे और अधिक विचित्रताएं हमारे सामने आती गईं। ब्रह्माण्ड की इन्हीं विचित्रताओं में से एक विचित्रता विशिष्ट है–ब्लैक होल।

दरअसल ब्लैक होल अत्यधिक घनत्व तथा द्रव्यमान वाले ऐसें पिंड होते हैं, जो आकार में बहुत छोटे होते हैं। मगर, इनके अंदर गुरुत्वाकर्षण इतना प्रबल होता है कि इसके चंगुल से प्रकाश की किरणों का निकलना भी असंभव होता हैं। चूंकि यह प्रकाश की किरणों को भी अवशोषित कर लेता है, इसीलिए यह हमारे लिए सदैव अदृश्य बना रहता है। वर्तमान में ब्लैक होल जिज्ञासुओं के मध्य फिर से चर्चा में है क्योंकि मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के खगोल वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से सर्वाधिक दूरी पर स्थित एक विशालकाय ब्लैक होल की खोज की है। इस ब्लैक होल को J1342+0928 नाम दिया गया है। एक अत्यधिक चमकीले क्वासर (क्वासी स्टेलर रेडियो सोर्सेज) के केंद्र में इस विशालकाय ब्लैक होल की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। क्वासरों ने भी लंबे समय से खगोल वैज्ञानिकों को उलझन में डाल रखा है। वैसे तो ये क्वासर हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे से तकरीबन पांच लाख गुना छोटे पिंड हैं, मगर ये 100 से भी अधिक आकाशगंगाओं के बराबर रेडियों तरंगों का उत्सर्जन करते हैं। क्वासरों की खोज के समय ही कुछ वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया था कि ये ब्रह्मांड के रहस्यमय निवासी ब्रह्मांड की दूरस्थ सीमाओं पर स्थित हो सकते हैं। एमआईटी द्वारा की गयी इस हालिया खोज ने वैज्ञानिकों के इस पूर्वानुमान की पुष्टि की है तथा यह भी बताया कि क्वासरों के केंद्र में विशालकाय ब्लैक होल मौजूद हो सकते हैं।

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इस नवीनतम खोज से यह पता चला है कि J1342+0928 ब्लैक होल के मुखिया क्वासर ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की घटना बिग बैंग के कुछ समय बाद प्रकाश/रेडियो तरंगों का उत्सर्जन शुरू किया होगा। उस प्रकाश ने हमतक पहुंचने के लिए लगभग 13 अरब वर्ष का समय लिया होगा। यह समय अवधि हमारे ब्रह्मांड की उम्र के बराबर है। इस क्वासर के प्रकाश की तेजस्विता लगभग 40 ट्रिलियन सूर्यों के समतुल्य है। आधुनिक खगोलीय मानकों के आधार पर इस ब्लैक होल को प्रारंभिक ब्रह्मांड का संबंधी या रिश्तेदार कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इस ब्लैक होल का द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान का लगभग एक बिलियन गुना अधिक है।

मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के कवली इंस्टीट्यूट फ़ॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के खगोल वैज्ञानिकों रोबर्ट सिमकोइ और फ्रांसिस फ्रीडमान का कहना है, “यह एक अत्यधिक द्रव्यमान वाला ब्लैकहोल है। असाधारण रूप से जब ब्रह्माण्ड बिलकुल नया रहा होगा, ब्रह्माण्ड का विस्तार भी ज्यादा नही हो पाया होगा अर्थात् उस समय का ब्रह्माण्ड एक बहुत बड़े ब्लैकहोल को जन्म देने के लिए पर्याप्त भी नही रह होगा फिर भी एक ब्लैकहोल की उत्पत्ति हमे आश्चर्यचकित तो कर ही रही है। इस अनुसंधान को कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर हमने पूरा किया है। इस अनुसंधान और उसके शोध आंकड़ो को विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है।”

कार्नेगी इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस के खगोल वैज्ञानिक एडुआर्डो बनाडोस के निर्देशन में इस विशालकाय ब्लैक होल का पता लगाया गया है। इस खोज में चिली स्थित 6.5 मीटर व्यास वाली मैगलन टेलिस्कोप और FIRE (फोल्डेड-पोर्ट इन्फ्रारेड एचेल्लेटे) नामक स्पेक्ट्रोमीटर की सहायता ली गयी थी।

यह खोज ब्रह्मांड विज्ञानियों के लिए एक बड़ा रहस्य बनकर सामने आया है क्योंकि इस ब्लैक होल की निर्मिती बिग बैंग की परिघटना के ठीक बाद हुई, जबकि वर्तमान खगोलीय सिद्धांतों के अनुसार उस समय तो आकाशगंगाओं और तारों को जन्म देने वाली नीहारिकों का भी निर्माण शुरू नहीं हुआ था। यह सर्वविदित तथ्य है कि सूर्य से लगभग 10 गुना अधिक द्रव्यमान वाले तारों का जब हाइड्रोजन और हीलियम खत्म हो जाता है, तब अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण सिकुड़कर अत्यधिक सघन पिंड ब्लैक होल बन जाते हैं। प्रश्न यह उठता है कि जब तारों का ही जन्म नहीं हुआ था तब तारों के अवशेष से एक अत्यंत विशालकाय ब्लैक होल की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या यह सम्भव है कि पिता के जन्म से पहले ही पुत्र का जन्म हो जाए? यह नवीनतम खोज बिग बैंग को ब्रह्मांडीय उत्पत्ति की सम्पूर्ण तार्किक व्याख्या मानने से इंकार और उसमें संशोधन की मांग करती नजर आ रही है। ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई? क्या यह सदैव से अस्तित्व में था या इसका कोई प्रारम्भ भी था? इसकी उत्पत्ति से पूर्व क्या था? क्या इसका कोई जन्मदाता भी है? यदि ब्रह्माण्ड का कोई जन्मदाता है तो पहले ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ या उसके जन्मदाता का? यदि पहले ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ तो उसके जन्म से पहले उसका जन्मदाता कहां से आया? इस विराट ब्रह्माण्ड की मूल संरचना कैसी है- ये कुछ ऐसे मूलभूत प्रश्न हैं जो आज भी उतने ही प्रासंगिक है जितने सदियों पूर्व थे। हमारा अद्भुत ब्रह्माण्ड रहस्यों से भरा पड़ा है लेकिन अब हम विज्ञान और गणित की सहायता से धीरे-धीरे इसके रहस्यों को जान पा रहे है। यही विज्ञान है, जो प्रश्नों के जवाब तो देता है किन्तु साथ ही नये प्रश्न भी खड़े कर देता है।

 

 

 

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TAGS: first 'black hole', Big Bang, discovered, बिग बैंग, ब्लैक होल, खोज
OUTLOOK 29 December, 2017
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