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15 November 2020

यूपी उपचुनाव: भाजपा का परचम, लेकिन इस सीट पर क्यों नहीं चल पाया योगी का जादू

उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भाजपा ने 7 में से 6 सीटों पर जीत के झंडे भले गाड़ दिए हों मगर एक सीट में योगी का जादू नहीं चल पाया। योगी की जीत का रथ मैलानी में रुक गया और कमल नहीं खिल पाया वरना उप चुनाव में योगी का जीत का प्रतिशत 100 फीसदी होने से कोई रोक नहीं सकता था।

मैलानी में बताया जाता है योगी का जादू चल जाता पर प्रत्याशी का चयन और धनंजय का निर्दलीय प्रत्याशी आने पर कमल का आकड़ा  गड़बड़ा गया ,सपा की सिटिंग सीट होने के कारण  लड़ाई सपा से ही होनी थी वो भी पारसनाथ यादव के निधन और उनके प्रभाव की कारण आसान नहीं था यह सीट किसी और को जाती ,एक तो सहानुभूति तो परिवार को मिलना ही था जो उनके बेटे लवी को मिला।

योगी का जादू यहाँ ना चल पाना सपा का गढ़ , सहानुभूति सपा के प्रति और बीजेपी के प्रत्याशी पर बाहरी का तमगा लग जाना और धनंजय सिंह जो रार के पूर्व विधायक थे और मैलानी बनने पर बहुत हिस्सा रार का इसी में आया तो पुराना उनका काम ,लोगो से नजिकीया और इलाके में  हनक ने योगी को नहीं बीजेपी के प्रत्याशी को पीछे छोड़ दिया।  और बीजेपी की यह सीट उनके झोले में नहीं आई। 

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बीजेपी का प्रत्याशी मनोज सिंह को माना गया कि वह बाहरी प्रत्याशी हैं क्योंकि उनका राजनीतिक जीवन उनका राजनीतिक कर्मभूमि इलाहाबाद  रहा ,बाहरी प्र्तुआशी की छाप डालने मे विपक्ष सफल रहा । वैसे तो मनोज इलाहाबाद यूनिवर्सिटी  छात्र अध्यक्ष रहे और उसके बाद उनके राजनीतिक पहचान इलाहाबाद मे बनाई और शायद यही पर बीजेपी ने प्रत्याशी चयन मे गलती हुई।  

2002 से धनंजय चुनाव की राजनीति में आने के साथ , मैलानी विधानसभा 2012 का  अधिकतर हिस्सा रार विधानसभा में आता था ।जिसको धनंजय सिंह को फयदा इस बार फायदा हुआ क्यू की क्षेत्र मे अधिक पकड पहले से बनी हुई थी। 2012 में पारसनाथ इस सीट से जीते 2017 में भी वही जीते और चुनाव में उनका बेटा जीता लेकिन जीत और हार का अंतर धनंजय का बहुत ही कम था।

अब सवाल उठता है कि भारतीय जनता पार्टी जौनपुर में अपना परचम क्यों नहीं लहरा पाई ।जहां पर योगी ने दो बार रैली की जहां पर उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य और कैबिनेट मंत्री और कई ऐसे संगठन के महत्वपूर्ण पदाधिकारी यहां पर डेरा डाले रहे पर इस सीट पर बीजेपी कमल नही खिला पायी ।यहां के मतदाता लगभग तीन लाख हैं जिसमें मोटे तौर पर 80 हजार के आसपास तो यादव मतदाता हैं ,25000 मुस्लिम है तो 25,000 ही ब्राह्मण हैं लगभग 30 से 35 हजार बैकवर्ड हैं जिसमें निषादों की भी अच्छी संख्या है सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला यहां पर अक्सर धनंजय सिंह अपनाते रहे ।

भारतीय जनता पार्टी को  उम्मीद थी मनोज सिंह को खड़ा करके उन्हें लड़ाने की और दलितों का वोट लेकर के वहां पर भी परंपरागत जोकि यादव बाहुल्य होने के कारण सपा के कोटे की सीट माने जाने लगी थी यहां पर भी वह अपना परचम लहरा सकेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया और भारतीय जनता पार्टी तीसरे नंबर की पार्टी  बनी। जौनपुर थोडे ही  मत से लवी,पारसनाथ यादव  की विरासत को बचा पाये। बीजेपी अपनी सभी सिटिंग सीट जीत गयी पर वो तो जौनपुर की सीट पर कमल खिलाना चाहते थे जो धनंजय सिंह के आने से बिगड़ गया वर्ना सपा को ये सीट निकालने मे और मेहनत करनी पडती ।भारतीय जनता पार्टी अपनी सीट जीत कर खुश होगी पर जौनपुर की सीट पर मिली हार के बाद वह इसकी सीट की पढ़ाई जरूर कर  रही होगी कि अगली बार यहां कमल कैसे खिलेगा।

 

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TAGS: यूपी उपचुनाव, भाजपा, मैलानी, योगी आदित्यनाथ, उत्तरप्रदेश, UP by-election, BJP's victory, Yogi's magic, Mailani seat, Yogi Adityanath
OUTLOOK 15 November, 2020
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