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02 June 2018

कांग्रेसियों में बेचैनी: कहीं 'पायलट की नई कांग्रेस' फिर से न जिता दे भाजपा को?

File Photo

पीसीसी चीफ 'सचिन पायलट की नई कांग्रेस' कहीं फिर से बीजेपी को नवम्बर-दिसम्बर में होने वाला विधानसभा चुनाव न जिता दे! यही चिंता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को इन दिनों सता रही है। पिछले कुछ दिनों से प्रदेश कांग्रेस में चल रहे घटनाक्रम के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के दिमाग में इस बात की शंका पुख्ता होती जा रही है। सचिन पायलट की नीतियों और कार्यकलापों को कांग्रेस के ही पदाधिकारियों के द्वारा 'पायलट की नई कांग्रेस' की संज्ञा दी जा रही है।

दरअसल, करीब साढ़े चार साल पहले राजस्थान आए पायलट ने आते ही प्रदेश कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने के लिए जो नीतियां लागू की, उन्होंने ही राज्य के खांटी (पक्के और पुराने) कांग्रेसियों को साइड लाइन करने का काम किया। जिसके चलते मूल कांग्रेसी धीरे-धीरे अलग-थलग पड़ते गए। हालात यह हो गए कि जिन कांग्रेसी नेताओं को ने पार्टी को खड़ा रखने और बार-बार सत्ता दिलाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वही अब गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।

ये नेता अब तक अंधेरे में हैं

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इस कतार में नारायण सिंह, कमला बेनीवाल, चंद्रभान, नमोनारायण मीणा, बीना काक, राजेंद्र पारीक महेश शर्मा, डॉ हरि सिंह चौधरी, सीपी जोशी, बी डी कल्ला, शांति धारीवाल, हरेंद्र मिर्धा सहित प्रमोद जैन भाया भी इसी कतार में बताए जाते हैं। हालांकि, इनमें से सीपी जोशी और प्रमोद जैन भाया पायलट खेमे में आ चुके हैं।

गहलोत पायलट से आगे निकले

सचिन पायलट के राजस्थान में कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद से ही ऐसे नेताओं की पूछ करीब-करीब खत्म हो गई। जिसके चलते कांग्रेस दो खेमों में बंट कर रह गई। हालांकि, इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनकी पॉलिसी का शिकार होने के बजाए खुद को आलाकमान के समक्ष साबित कर प्रदेश की सियासत से आगे निकल गए।

आज की तारीख में अशोक गहलोत न केवल कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री हैं, बल्कि आज भी पार्टी के कार्यकर्ताओं के द्वारा अगले मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाते हैं। बीते 4 साल के दोनों नेताओं के समय-समय पर दिए गए स्टेटमेंट देखने के बाद यह बात पुख्ता हो जाती है कि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में आज अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रूप में दो धड़ों में बंटी हुई है।

इस तरह दबा दर्द छलक रहा है

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सचिन पायलट की बुजुर्गों को 'साइड लाइन' कर अपनी पॉलिसी थोपने का ही परिणाम है कि विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही अब कांग्रेस के कुछ योग्य और मेहनती नेताओं में दबा हुआ गुस्सा धीरे-धीरे बाहर आ रहा है। बीते दिनों शाहपुरा में 'मेरा बूथ, मेरा गौरव' अभियान के वक्त पूर्व मंत्री कमला बेनिवाल के बेटे और यहां से चुनाव हार चुके आलोक बेनीवाल के समर्थकों द्वारा कथित रूप से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता संदीप चौधरी के साथ पिटाई करना व उनके कपड़े फाड़ना शामिल है। उसी दिन पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाने को लेकर भी जयपुर के किशनपोल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के नेता अमीन कागजी और जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल के बीच काफी जोरदार झड़प हुई थी।

प्रदेश के 7 जिलों के दौरे पर निकले पीसीसी चीफ सचिन पायलट के सामने कल ही चित्तौरगढ़ में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के बीच धक्कामुक्की और मारपीट ने यह साबित कर दिया है कि कांग्रेस अब पक्के तौर पर दो गुटों में बंट चुकी है।

फायदा बीजेपी को ही होगा

इधर, बीजेपी के  प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं होने के बावजूद प्रदेश प्रभारी में सतीश, संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। इन नेताओं के द्वारा हर रोज पार्टी के पदाधिकारियों और संगठन में लंबे समय से काम कर रहे हैं कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिए जाने की सूचनाएं सामने आ रही है। यह नेता कांग्रेस की फूट का फायदा उठाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के रुप में बंटी कांग्रेस के चुनाव से 6 महीने पहले तक भी एक नहीं होने के कारण कांग्रेस नेताओं में खलबली है और बेचैनी बनी हुई है।

बीजेपी को लग चुका है झटका

हालांकि, इस बीच बीजेपी के बूथ अध्यक्षों के फर्जी निकलने का मामला सामने आने के बाद पार्टी में काफी हलचल है। किंतु जिस तरह से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक्टिव होकर प्रदेश भर में लोगों से जन संवाद कर रही हैं, उससे साफ है कि राजे कांग्रेस को किसी भी सूरत में मौका देने के मूड में नहीं हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी जल्द ही राजस्थान दौरे पर आने वाले हैं।

बताया जा रहा है कि जयपुर में उनके लिए वॉर रूम तैयार हो चुका है। कभी भी उनका दौरा जयपुर के लिए बन सकता है। पहले दौरे के रूप में 7 से 10 दिन तक जयपुर में रहेंगे, उसके बाद वह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह से 7 से 10 दिवसीय दौरा करेंगे। उसके बाद हर महीने उनका दौरा 5 से लेकर 7 दिन का रहेगा। जिसमें संगठन को मजबूत करने पर सरकार के साथ ही संगठन में समन्वयन बनाने के अलावा सरकार के कार्यों की समीक्षा भी करेंगे।

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TAGS: Uncomfortable among Congressmen, Now the, 'New Congress of Pilot', Do not win, the BJP again
OUTLOOK 02 June, 2018
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