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13 October 2018

यूपी: बीटीसी पेपर लीक मामले में प्रिंटिंग प्रेस के दो मालिक गिरफ्तार

गिरफ्तार किए गए प्रिंटिंग प्रेस के मालिक. फोटो- सोशल मीडिया

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद बीटीसी पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने इलाहाबाद से प्रिंटिंग प्रेस के दो मालिकों आशीष अग्रवाल और अरविंद भार्गव को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ की जांच में प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। हालांकि पेपर लीक से जुड़े गिरोह का अभी भंडाफोड़ नहीं हो पाया है और ना ही यह पता चल पाया है कि गिरोह का सरगना कौन है। माना जा रहा है कि एसटीएफ की ओर से जल्द और गिरफ्तारियां की जाएंगीं। 

क्या है पूरा मामला

बीटीसी प्रशिक्षण 2015 चौथे समेस्टर की परीक्षा आठ अक्टूबर को होनी थी, लेकिन सात अक्टूबर को ही परीक्षा के सभी पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। जिस कारण परीक्षा निरस्त कर दी गई थी। मामले में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्यवाही करने के निर्देश पुलिस और एसटीएफ को दिए थे। एसटीएफ ने 11 अक्टूबर को कौशांबी और इलाहाबाद में जांच शुरू की थी। एसटीएफ की जांच में पता चला कि पिछले कई वर्षों से प्रश्न पत्र छापने और पहुंचाने के कार्य के लिए दीप्ती इंटरप्राइजेज बलरामपुर हाऊस इलाहाबाद को अधिकृत किया गया है।

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दीप्ती इंटरप्राइजेज की मूल प्रोपराइटर आशीष अग्रवाल की पत्नी दीप्ती हैं, लेकिन वास्तविक रूप से सभी कार्य इनके पति आशीष अग्रवाल द्वारा ही किया जाता है। दीप्ती इंटरप्राइजेज द्वारा सिर्फ प्रश्नपत्रों को छापने का कार्य लिया जाता है और प्रिटिंग का पूरा काम भार्गव प्रेस से कराया जाता है। इस प्रेस के मालिक अरविंद भार्गव हैं। अरविंद भार्गव प्रिंटिंग का कार्य इलाहाबाद स्थित बाई का बाग और मोहित्सिनगंज में कराया गया। जब दोनों प्रेसों का निरीक्षण एसटीएफ की टीम ने किया तो पता चला कि प्रिंटिंग प्रेसों पर सुरक्षा के किसी भी मानक का प्रयोग नहीं किया गया है और जिन कंप्यूटरों से ऑफसेट तैयार किया गया, वहां कोई भी व्यक्ति आसानी से पहुंच सकता है। प्रेस के गेट पर चेकिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी। प्रेस में काम करने वाले कर्मचारियों के पास एंड्रायड फोन थे, जिससे वे आसानी से किसी भी प्रश्न पत्र की फोटो खींचकर रख सकते थे। प्रिंटिंग कार्य में लगे कंप्यूटरों में सीपीयू में यूएसबी पोर्ट भी मिला, जिससे कोई भी कर्मचारी पेन ड्राइव और मोबाइल से प्रश्न पत्रों को कापी कर सकता है। साथ ही कंप्यूटरों पर इंटरनेट कनेक्शन चलता हुआ पाया गया। इससे ई मेल के माध्यम से भी प्रश्न पत्रों को कहीं भी भेजा जा सकता है।

प्रश्नपत्रों की प्रिंटिंग के बाद परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्रों को लिफाफे में पैक कर पहुंचाने का काम भी दीप्ती इंटरप्राइजेज ने किया। इसमें भी मानक के अनुसार सील्ड पैक की कार्यवाही नहीं की गई थी। जिससे किसी भी व्यक्ति द्वारा खोला जा सकता था और दुबारा फोटो खींच कर लिफाफे में रखा जा सकता था। मामले में शनिवार को एसटीएफ इलाहाबाद की टीम ने आशीष अग्रवाल और अरविंद भारद्वाज को गिरफ्तार किया है।

एक ही फर्म को बार-बार कैसे मिलता था कार्य?

एक ही फर्म को बार-बार कैसे कार्य मिलता रहा, इस पर सवालिया निशान लगने शुरू हो गए हैं। जबकि यह कार्य अति गोपनीय श्रेणी में आता है और इसका टेंडर भी नहीं होता। मामले में कार्यालय परीक्षा नियामक प्राधिकारी भी संदेह के घेरे में आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिस कंपनी को काम दिया गया था, वह इंडियन बैंक एसोसिएशन से अप्रूव्ड भी नहीं थी और कमिशनखोरी संबंधित कंपनी को कार्य दिया गया था।

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TAGS: printing press owners, btc paper leak, uttar pradesh
OUTLOOK 13 October, 2018
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