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06 October 2024

जंतर-मंतर पर अनशन की नहीं मिली अनुमति, अब सोनम वांगचुक ने दिल्ली पुलिस से कर दी ये मांग

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के जंतर-मंतर पर लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग को लेकर अनशन पर बैठने की अनुमति नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की और एक अन्य विकल्प की मांग की।

दिल्ली पुलिस द्वारा जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठने के उनके अनुरोध को खारिज करने संबंधी पत्र की एक प्रति साझा करते हुए वांगचुक ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "एक और अस्वीकृति, एक और हताशा। आखिरकार आज सुबह हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से निर्दिष्ट स्थान के लिए यह अस्वीकृति पत्र मिला।"

उन्होंने लिखा, "अगर जंतर-मंतर पर जाने की अनुमति नहीं है, तो कृपया हमें बताएं कि किस स्थान पर जाने की अनुमति है। हम सभी कानूनों का पालन करना चाहते हैं और फिर भी शांतिपूर्ण तरीके से अपनी शिकायतें व्यक्त करना चाहते हैं। गांधी के अपने देश में उनके रास्ते पर चलना इतना मुश्किल क्यों है? कोई रास्ता तो होगा ही।"

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पत्र में दिल्ली पुलिस ने कहा कि यह अनुरोध "बहुत कम समय में" प्राप्त हुआ था, तथा सभा के लिए कोई विशिष्ट समय-सीमा नहीं बताई गई थी।

पुलिस ने बताया कि दिशा-निर्देशों के अनुसार, जंतर-मंतर पर किसी भी प्रदर्शन के लिए आवेदन, नियोजित कार्यक्रम से कम से कम 10 दिन पहले भेजना होगा और यह सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच ही आयोजित किया जाना चाहिए।

प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले लेह एपेक्स बॉडी के समन्वयक जिग्मत पलजोर ने पीटीआई को बताया कि वे वैकल्पिक स्थानों की तलाश कर रहे हैं, जिसके लिए पुलिस और सरकार के साथ चर्चा चल रही है।

शनिवार रात एक्स पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में वांगचुक ने दावा किया कि जब उन्होंने राजघाट पर अपना अनशन तोड़ा तो उन्हें दो दिनों के भीतर शीर्ष नेतृत्व से मिलने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन इससे इनकार कर दिए जाने के बाद उन्हें अनिश्चितकालीन अनशन की घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जलवायु कार्यकर्ता ने बताया कि प्रदर्शनकारियों को यह भी बताया गया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163, जो अनधिकृत सभाओं पर रोक लगाती है, नई दिल्ली में स्थायी रूप से लागू है।  

शायर मिर्जा गालिब से प्रेरणा लेते हुए वांगचुक ने कहा, "अनशन करने दें जंतर-मंतर पे बैठ कर, या वो जगह बता दें जहां दफा ना हो।" वांगचुक ने संदेश में कहा, "इस बात पर चर्चा होनी चाहिए कि लोकतंत्र में ऐसा कोई स्थान क्यों नहीं है जहां लोग शांति से बैठ सकें और अपना दर्द साझा कर सकें।"

जलवायु कार्यकर्ता ने 'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व किया, जो एक महीने पहले लेह से शुरू हुई थी।

मार्च का आयोजन लेह एपेक्स बॉडी द्वारा किया गया था, जो कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के साथ मिलकर पिछले चार वर्षों से लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची में इसे शामिल करने, लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।

शनिवार को अधिकांश प्रदर्शनकारी लद्दाख लौट गए, जबकि शेष प्रदर्शनकारी वांगचुक के साथ अनशन में शामिल होने के लिए वहीं रुक गए।

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TAGS: Activist, sonam Wangchuk, ladakh, permission, delhi jantar mantar protest
OUTLOOK 06 October, 2024
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