Advertisement
02 August 2023

डायन बिसाही के नाम पर हत्‍या को ले अब हाई कोर्ट ने दी दखल, पूछा सरकार क्‍या कर रही है

डायन बिसाही के नाम पर या अंधविश्‍वास में झारखंड में हो रही हत्‍याओं को लेकर बदनामी बढ़ रही है। चिंताजनक पहलू यह है कि इसमें ज्‍यादातार उम्रदराज महिलाएं और पुरुष मारे जाते हैं। हत्‍या के पीछे भी परिवार, गांव के लोग होते हैं। अनेक ऐसे मामले भी सामने आये हैं जब पूरी पंचायत बैठकर हत्‍या-प्रताड़ना का फैसला लेती है। डायन बिसाही के नाम पर हत्‍या की ज्‍यादा घटनाएं आदिवासी बहुल गुमला जिले में हो रही हैं। अब झारखंड हाई कोर्ट ने इन मामलों को लेकर दखल दिया है। कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और राज्‍य सरकार को ताजा शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है।

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति संजय मिश्र की अध्‍यक्षता वाली पीठ ने पूछा है कि डायन बिसाही जैसे अंधविश्वास पर नियंत्रण और ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए सरकार क्‍या कर रही है, क्‍या कदम उठाये गये हैं। सुनवाई की अगली तारीख नौ सितंबर मुकर्रर की गई है। पिछली सुनवाई में झालसा (झारखंड स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी) ने शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को बताया था कि गुमला जिले में डायन बिसाही को लेकर मारपीट एवं हत्या की घटनाएं सर्वाधिक होती हैं। वहां झालसा द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अदालत का फोकस है कि डायन बिसाही के नाम पर हत्‍या-प्रताड़ना जैसी घटनाओं पर अंकुश के लिए जागरूकता कार्यक्रम को और प्रमोट करने की आवश्‍यकता है।

दुर्भाग्‍य की बात है कि सरकार का सूचना तंत्र इस मामले में पूरी तरह फेल है। किसी को डायन घोषित करने और उसकी हत्‍या या प्रताड़ना के लिए जमीन कई माह पूर्व से तैयार होती रहती है। ज्‍यादातार मामलों में गांव-टोला के लोग हालात से अवगत रहते मगर पुलिस-प्रशासन कुछ नहीं करता। कभी बेटा ही मां या बाप की हत्‍या कर देता है तो कभी करीब के रिश्‍तेदार या गांव-टोला के लोग। किसी के परिवार के किसी सदस्‍य की बीमारी से मौत हो जाती है, जानवर मर जाता है, कुआं सूख जाता है, फसल खराब हो जाती है तो सीधा इल्‍जाम किसी के द्वारा डायन बिसाही पर जाता है। अमूमन हत्‍या की घटनाओं को क्रूर तरीके से अंजाम दिया जाता है। डायन बिसाही के मामलों में मैला पिलाना, चेहरे पर कालिख पोत नग्‍न-अर्ध नग्‍न कर गांव में घुमाना आम बात है।

Advertisement

पिछले माह ही गुमला जिला के सिसई में 55 साल की सालो देवी की लकड़ी काटने वाले टांगी से काटकर हत्‍या कर दी गई। उसके पति 60 साल के आह्लाद लोहरा, 50 साल की बहन सबिता और 42 साल की ननद ललक्ष्‍मी को गंभीर रूप से घायल कर दिया। हमलावर जब सालो को घर से घसीटते हुए बाहर ले जा रहे थे बीच बचाव करने पहुंची सबिता और लक्ष्‍मी को भी लोगों ने पीटा और अर्धनग्‍न कर दूसरे कमरे में बंद कर दिया। इस मामले में दस लोगों के खिलाफ प्राथमिकी हुई। मामला यह था कि मुख्‍य आरोपी निजन जो एक सप्‍ताह पहले गांव आया था की डेढ़ साल की बेटी की तबीयत खराब हो गई थी। बस सालो पर जादू-टोना का शक किया और बेरहम घटना को अंजाम दिया। इस तरह की घटनाओं की लंबी फेहरिश्‍त है।

राज्‍य सरकार ने मॉब लिंचिंग निषेध अधिनियम बनाया था मगर सदन से पास होने के बाद विधेयक को राजभवन ने तकनीकी त्रुटियों के हवाले वापस कर दिया। मॉब लिंचिंग विधेयक भी एक प्रकार से राजनीतिक एजेंडा बना हुआ था। मगर इसके प्रावधान से सबसे अधिक इसके दायरे में डायन बिसाही के नाम पर हत्‍या के मामले ही आते। मगर राज्‍य सरकार भी लंबे समय से खामोश है। राजभवन की आपत्तियों को दूर करने के बदले आरोप-प्रत्‍यारोप में मामला फंसा हुआ है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
TAGS: Jharkhand High Court, Jharkhand government, witchcraft
OUTLOOK 02 August, 2023
Advertisement