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25 October 2017

भंवर में शिवराज सरकार की भावांतर भुगतान योजना

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मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा को देखते हुए किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए शिवराज सरकार द्वारा शुरू की गई ‘‘मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना’’ गेमचेंजर मानी जा रही थी लेकिन यह दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। इससे किसानों और व्यापारियों दोनों की परेशानी बढ़ गई है।

इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत सरकार ने कृषि मंडियों में प्रत्येक किसान को 50 हजार रुपए तक नगद भुगतान के निर्देश थे। पर व्यापारियों का कहना है कि यह मुमकिन नहीं है। भोपाल ग्रेन एंड आयल सीड्स मर्चेंट्स एसोसिएशन के प्रवक्ता संजीव जैन ने बताया कि बैंकों से ज्यादा नगदी मिलती नहीं है। ऐसे में हर किसान को 50 हजार रुपए का नगद भुगतान करना व्यापारियों के लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि व्यापारी किसानों को दो लाख रुपये से अधिक का भुगतान करते हैं तो आयकर विभाग पूछताछ करने के अलावा पेनाल्टी भी लगा सकता है।

व्यापारियों के हाथ खड़े करने के बाद सरकार अब इस मामले में आयकर विभाग और आरबीआइ से संपर्क कर गाइडलाइन लेने वाली है। कृषि विभाग के मुख्य स‌चिव डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि व्यापारियों द्वारा पचास हजार रुपए से ज्यादा का नकद भुगतान नहीं करने को लेकर शिकायतें सामने आई हैं। इसको लेकर व्यापारियों में भ्रम है। इसे दूर करने के लिए आयकर विभाग से मार्गदर्शन लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। इसी तरह बैंकों से एक दिन में दो लाख रुपए से ज्यादा के लेन-देन को लेकर भी भ्रम है। इसे भी भारतीय रिजर्व बैंक के मार्गदर्शन से दूर किया जाएगा।

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ईटीवी के अनुसार किसानों का कहना है कि इस योजना के लागू होने के बाद व्यापारियों ने उपज के दाम कर दिए हैं। इसके कारण योजना से पहले उन्हें जितना पैसा मिल रहा था अब उतना भी नहीं मिल रहा है। 16 अक्टूबर को इस योजना के लागू होने से पहले किसानों को सोयाबीन का प्रति क्विंटल 2800 रुपए मिल रहा था, लेकिन योजना लागू होने के बाद व्यापारी 2200 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। इसी तरह अन्य वस्तुओं की कीमत में भी गिरावट आई है।

किसानों को यह भी पता नहीं है कि उन्हें भावांतर का पैसा कब और कितना मिलेगा। सरकार के ऐलान के उलट नगद मिलने में भी भारी परेशानी हो रही है।

इन दिक्कतों को लेकर सरकार कहना है कि योजना अभी प्रायोगिक आधार पर लागू की गई है। ऐसे में आगे सुधार को लेकर कदम उठाए जाएंगे। योजना में लापरवाही का संज्ञान लेकर दो मंडी सचिवों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। कृषि उपज मंडी भोपाल के सचिव विनय पटेरिया और प्रभारी सचिव कृषि मंडी खिलचीपुर रवीन्द्र कुमार शर्मा से आठ दिन में जवाब देने को कहा गया है। 

इस  योजना से लाभ लेने के लिए 11 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच 19 लाख 7 हजार से अधिक किसानों ने  पंजीयन कराए थे। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मौजूदा मॉडल रेट को देखा जाए तो सरकार को करीब चार हजार करोड़ रुपए का भुगतान खजाने से किसानों को करना पड़ सकता है। सर्वाधिक डेढ़ हजार करोड़ रुपए सोयाबीन का भावांतर देने में लगने की संभावना है। 

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TAGS: Madhya pradesh, bhavantar yojana, shivraj chauhan
OUTLOOK 25 October, 2017
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