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23 December 2022

झारखंडः पार्श्वनाथ पर राज्यपाल ने किया हस्तक्षेप, केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर पवित्र जैन तीर्थस्थल रहने देने का किया आग्रह

file photo

रांची। जैन धर्मावलंबियों के दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण और आस्था के केंद्र पार्श्वनाथ सम्मेद शिखर के विवाद पर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने हस्तक्षेप किया है। राज्यपाल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर पवित्र जैन तीर्थस्थल करने की वकालत की है। अभी राज्य सरकार की पर्यटन स्थल की सूची में यह शामिल है। जैनियों के 24 में 20 तीर्थंकरों की यह निर्वाण (मोक्ष) भूमि है। जैन धर्मावलंबियों और संतों की धारणा है कि पर्यटन स्थल घोषित रहने से विभिन्न तरह के लोग आएंगे, मांस मदिरा का सेवन करेंगे इससे इस स्थल की पवित्रता भंग होगी। इस कारण पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है।
राज्यपाल ने झारखण्ड के गिरिडीह जिला अंतर्गत जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ स्थल पार्श्वनाथ के संदर्भ में केंद्रीय पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसे 2019 में वन्य जीव अभयारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया। झारखण्ड सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया। आजकल इस पवित्र स्थल में मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन की शिकायतें भी आ रही हैं। यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है तथा यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ा है। पार्श्वनाथ को राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज का मानना है कि इससे यहां की पवित्रता भंग होगी। इस संदर्भ में कई ज्ञापन प्राप्त हुए और उनसे जबलपुर, दमोह, उदयपुर, आगरा और अन्य जगहों से जैन समाज के कई प्रतिनिधि मिलने आये और उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की। इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन द्वारा 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसम्बर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन ‘श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन’ के नाम से किया गया।
राज्यपाल ने कहा है कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुंचे, इस दृष्टि से उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस विषय की पुनः समीक्षा व पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को ठेस न पहुंचे और पारसनाथ पर्वतराज व मधुवन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय।
राज्य के पर्यटन सचिव ने कहा है कि इसे पर्यटन सूची से बाहर नहीं किया गया है। हां, देश में विरोध को देखते हुए जैनियों के धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में परिभाषित किया जाएगा। टूरिज्म एक्ट लागू नहीं होगा तो सरकार कुछ मदद नहीं कर सकेगी। पार्श्वनाथ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने यात्री सुविधाओं को लेकर 250 पन्ने का मास्टर प्लान तैयार कर रखा है। बहरहाल दुनिया के जैन धर्मावलंबियों के आस्था के इस केंद्र की पवित्रता बनाए रखने केलिए जैन साधु भी सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं। देखना यह है कि राज्य सरकार क्या रास्ता निकालती है।

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OUTLOOK 23 December, 2022
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