Advertisement
20 December 2022

झारखंडः बाहरी लोग आदिवासी मूलवासी के खिलाफ, राज्यपाल से मिलने के बाद बोले हेमंत सोरेन

file photo

रांची। 1932 आधारित खतियान  और ओबीसी आरक्षण को लेकर माइनस भाजपा सर्वदलीय शिष्टमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में राज्यपाल से मिला और दोनों विधेयकों पर अग्रेतर कारवाई का आग्रह किया। वहीं भाजपा ने हेमंत को दोनों विधेयकों पर आत्म चिंतन करने को कहा है। तो विधानसभा में भी स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण पर हंगामा हुआ।

राजभवन से निकलने के बाद हेमंत सोरेन ने पत्रकारों से कहा  कि हाईकोर्ट ने नियोजन नीति रद्द कर दिया है। झारखंड मूलवासी-आदिवासी के हक में जो नियोजन नीति हमने बनाई हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है । सीएम ने कहा कि यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि जिन लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है, उनमें 20 लोगों में से एक को छोड़कर बाकी सभी दूसरे राज्य के हैं। दूसरे राज्य के लोगों को तकलीफ हो रही है। इसलिए हमने विधानसभा से 1932 का खतियान आधारित स्थानीयता नीति और ओबीसी आरक्षण विधेयक पास किया है। दोनों विधेयक अभी राज्यपाल के पास है। इस 9वीं अनूसूची में डालने का आग्रह किया है। ताकि अड़चन न आए। यहां के युवाओं को उनका हक व अधिकार दिलाने के लिए पहले भी कई बार नीतियां बनी हैं, लेकिन हर बार हाई कोर्ट ने नीतियों को रद्द कर दिया है। इस बार भी इस बार भी ऐसा ही हुआ।

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर आग्रह किया कि दोनों विधेयकों को जल्द से जल्द नौंवी अनुसूची में शामिल कराने के लिए केंद्र सरकार को भेजें। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि लोगों को अधिकार मिले। इस नियोजन नीति के अधीन सात लाख से अधिक बच्चों ने आवेदन किया था। वे निराश है। हम उनके प्रति गंभीर हैं। बात नहीं रुकने वाली नहीं है। कोई ना कोई वैकेल्पिक रास्ता निकलेगा। वे नियोजन नीति को लेकर किसी प्रकार की चिंता नहीं करें। राज्यपाल ने कहा है कि दोनों विधेयकों पर वे गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं।

Advertisement

इधर भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार जो भी नियोजन नीति बनावें, वह झारखंड की धरती पर बनावे। इसको लेकर एक दो दिन लंबी बहस करनी पड़े तो करे। जिन निर्णयों पर कोर्ट की आपत्ति है सभी को देखते हुए बच्चों के भविष्य के लिए और क्या बेहतर होगा, सभी को समाहित करते हुए एक ठोस और राज्यहित में नीति बनाने की आवश्यकता है।

मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने 2021 में नियोजन नीति बनाई थी, जिसमें प्रावधान किया गया था कि जो लोग 10वीं और 12 वीं झारखंड से करेंगे वहीं  नौकरी के लिए योग्य होंगे। जो लोग झारखंड से बाहर से पढ़ कर आएंगे वे इसके योग्य नहीं होंगे। एक प्रकार से यह नीति ही अव्यावहारिक थी। दूसरा उसमें यह किया गया था कि हिंदी और अंग्रेजी को समाप्त करके उर्दू को प्राथमिकता दी गई थी। इन दो मुद्दों को लेकर लोग हाईकोर्ट चले गए थे और हाईकोर्ट ने भी सरकार की इस निर्णय को निरस्त कर दिया।  दूसरी ओर स्थानीय और नियोजन नीति एवम् ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण को 9th शेड्यूल में डालने को लेकर राजभवन की ओर कूच किया है।

मरांडी ने कहा कि पार्टी की ओर से और मेरा सरकार से आग्रह है कि झारखंड के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करे और उन्हें और अंधेरी गलियों की और नहीं धकेलें। चूंकि स्थानीय और नियोजन नीति तय करने का काम राज्य सरकार का होता है। राज्य सरकार अपने जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकती है और दूसरों के कंधों पर फेंक नहीं सकती। इसलिए सरकार से  कहूंगा कि वह बिना विलंब किए अब यही पर बैठकर निर्णय करे। सरकार अगर सोच रही है 9th शेड्यूल में चला जाएगा तो कोर्ट उसकी समीक्षा नहीं करेगा तो यह गलत है। 2007 में सुप्रीम कोर्ट का एक निर्णय आ चुका है। कोर्ट ने साफ कहा है कि कोई भी कानून सरकार बनाती है और 9th शेड्यूल में डालती है कोई सोचता है कि वह कानून बन जाएगा, ऐसा नहीं है कोर्ट उसकी भी समीक्षा कर सकती है। ऐसी स्थिति में मामला तो और फंसेगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोरसे
OUTLOOK 20 December, 2022
Advertisement