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30 September 2022

उत्तराखंडः विशेष हालात में सबको हो एक से अधिक पत्नियां रखने की अनुमति, यूसीसीसी को अधिवक्ता ने भेजे अपने सुझाव

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देहरादून। समान नागरिक संहिता के तहत विशेष हालात में सबको एक से अधिक पत्नियां रखने की अनुमति होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्तर के सूचना अधिकार कार्यकर्ता, कानूनी पुस्तकों के लेखक, पूर्व लॉ लैक्चर और वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन इस सुझाव सहित तमाम अन्य सुझाव उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति (यूसीसीसी) को भेजे हैं।

नदीम ने अपने सुझाव में कहा है कि राज्य समान नगारिक संहिता लागू करना, प्रदेश में लागू होने के कारण अनुच्छेद 44 के निदेशों के अनुरूप न होने, केन्द्रीय कानूनों व स्वतंत्रता से पहले से लागू कानूनों में संशोधन की आवश्यकता, राज्य के बाहर जाकर उल्लंघन संभव तथा भारत के विधि आयोग की 31 अगस्त 2018 की रिपोर्ट में उल्लेखित संवैधानिक व अन्य बाधायें शामिल हैं

उन्होंने जन्म-मृत्यु के समान सभी विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन, विशेष परिस्थिति में एक से अधिक पत्नियां रखने की अनुमति, दहेज पर पूर्ण प्रतिबंध के लिए दहेज वाले विवाह को अवैध मानने, लिव इन रिलेशन का रजिस्ट्रेशन व विवाह के समान दायित्व मानने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में कानूनी प्रावधान अपने सुझाव में शामिल किए हैं।

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तलाक सम्बन्धी कानूनों के सुझावों में सभी तलाकों का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन, आपसी सहमति व पुरूषों द्वारा विशेष परिस्थितियों में न्यायालय के बाहर तलाक, तलाक चुनौती व तलाक के मामलों का निस्तारण अधिकतम तीन माह में करने की बात भी की है। उत्तराधिकार सम्बन्धी कानूनों के सुझावों में मनमानी वसीयत, जैविक उत्तराधिकारियों को बेदखल करने पर प्रतिबंध, एचयूएफ की भेदभाव पूर्ण व्यवस्था की समाप्ति, महिलाओं को पुरूषों के वास्तविक समान सम्पत्ति अधिकार सुनिश्चित कराने के साथ ही दत्तक ग्रहण (गोद लेने) सम्बन्धी  कानूनों के सुझावों में न्यायहित, धोखाधड़ी से अपराधों से बचाव तथा जैविक संतानों के अधिकारों के संरक्षण हेतु मनमाने दत्तक ग्रहण (गोद लेने) पर प्रतिबंध व अनिवार्य रजिस्ट्रेशन शामिल करने की बात की है।

नदीम ने उत्तराखंड की राजभाषा हिन्दी होने व केवल अंग्रेजी जानने वालों की नगण्य संख्या के आधार पर समिति की संस्तुति, मसौदे, रिपोर्ट हिन्दी में प्रस्तृत करने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने सुझावों वाले प्रावधानों की उपयोगिता का भी उल्लेख किया है। इसके अनुसार विशेष परिस्थितियों में एक से अधिक अधिकतम चार तक पत्नियों की अनुमति, मौजूदा पत्नि/ पत्नियों की लिखित अनुमति से दी जा सकती है। मौजूदा पत्नि/पत्नियों से विवाद, मानसिक स्थिति बीमारी के चलते पति को पुनः विवाह की अनुमति न देने पर सक्षम न्यायालय द्वारा अनुमति दी जा सकती है। एक से अधिक पत्नियां रखने वाले पति द्वारा सभी पत्नियों के साथ समान व्यवहार न करने पर इसे ’’क्रूरता’’ मानते हुये पीड़ित पत्नि को घरेलू हिंसा अधिनियम के अन्तर्गत उपचार पाने का अधिकार होना चाहिए।

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OUTLOOK 30 September, 2022
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