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03 November 2017

श्रीनगर में अब कुत्तों का आतंक

जम्मू-कश्मीर की राजधानी कश्मीर में कुत्तों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। इसे देखते हुए श्रीनगर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (एसएमसी) ने स्‍थानीय अखबारों में एडवाइजरी प्रकाशित की है। इसमें बताया गया है कि आवारा कुत्तों से बचने के लिए क्या करें और क्या ना करें। यदि कुत्ता काट ले तो फिर क्या करना चाहिए यह भी बताया गया है।

एडवाइजरी में कहा गया है कि चार से नौ साल की उम्र के बच्चों को कुत्ते ज्यादातर निशाना बनाते हैं। ऐसे में बच्चों को अकेला न छोड़े। लोगों से सड़कों पर या घर के सामने खाना नहीं फेंकने को कहा गया है। यह एडवाइजरी स्‍थानीय लोगों को रास नहीं आ रहा है। फेसबुक पर सरदार नासिर अली खान ने लिखा है कि स्‍थानीय अखबारों में प्रकाशित एसएमसी की एडवाइजरी किसी कॉमिक शो के स्क्रिप्ट जैसी है। नकाश सरवर ल‌िखते हैं, ये बेहद हास्यास्पद है कि कुत्तों से शहर को निजात दिलाने की बजाय लोगों को यह बताया जा रहा है कि वे क्या करें और न करें। कुत्तों की विशाल आबादी का हवाला देते हुए स्‍थानीय नागरिक एडवाइजरी के औचित्य पर सवाल उठा रहे हैं। जाहिद अहमद कहते हैं, श्रीनगर में हम कुत्तों के बीच रह रहे हैं। ऐसे में एडवाइजरी का क्या फायदा होगा। हमें इस तरह के एडवाइजरी की बजाय एक्‍शन की जरूरत है।

श्रीनगर में बीते तीन साल में करीब कुत्तों के काटने के करीब 16 हजार मामले सामने आ चुके हैं। ग्रेटर कश्मीर अाॅनलाइन के मुताबिक इस साल के शुरुआती नौ महीनों में श्रीनगर में ऐसी 3832 घटनाएं हुई। श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि हर दिन कुत्तों के काटने के 22-25 मामले आते हैं। इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे होते हैं। एक समय श्रीनगर में कुत्तों की आबादी करीब एक लाख थी। ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल का सर्वे बताता है कि यह संख्या घटकर 49,000 के करीब हो चुकी है। एसएमसी का आखिरी सर्वे शहर में 90,000 कुत्तों की मौजूदगी बताता है। माना जाता है कि इनमें से पांच हजार कुत्ते सितंबर 2014 की बाढ़ में बह गए थे। कुत्तों के आतंक को लेकर मानवाधिकार आयोग ने 2012 में एसएमसी को नोटिस भी जारी किया था।

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OUTLOOK 03 November, 2017
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