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17 September 2016

जमीन किसी की मुआवजा किसी को, आठ साल बाद अधिकारियों ने मानी गलती

सांकेतिक फोटो

हरियाणा के जींद जिले में एक किसान की आठ साल पहले जमीन अधिग्रहित की गई थी पर मुआवजा किसी और को दे दिया गया। सरकारी कार्यालयों की लंबी भागदौड़ के बाद अब जाकर अधिकारियों ने अपनी गलती मान ली है। जिले के रामराय गांव के थांबू ने बताया कि 2008 में भिवानी रोड और ईक्कस के बीच में बाईपास के लिए जमीनें अधिग्रहित की गई थीं, उनमें उसकी जमीन का हिस्सा भी शामिल था। उसके पिता हजुरदीन के नाम सात कनाल 14 मरले जमीन थी। बाईपास के लिए तो विभाग ने उनकी 10 मरले अधिग्रहित करने की सूचना देने के साथ मुआवजा दे दिया। बाद में पता चला कि विभाग ने उसकी जमीन में से एक कनाल 10 मरले जमीन अधिग्रहित की है और उसकी एक कनाल जमीन का मुआवजा किसी ओर को दे दिया है।

थांबु ने बताया कि बार-बार गुहार के बाद राजस्व विभाग के जींद तहसीलदार ने निशानदेही के लिए निर्देश जारी किए। इन निर्देशों के बाद भी विभाग के पटवारी निशानदेही करने से साफ मना करते रहे। उसके बार-बार गुहार लगाने पर पर निशानदेही की गई तो रिपोर्ट में पटवारी ने माना कि गलती से थांबू की एक कनाल जमीन की राशि किसी ओर को दे दी गई है। इस बीच, पीडब्ल्यूडी विभाग के तहसीलदार धर्मबीर ने कहा कि रेवेन्यू रिकार्ड में खामी थी। इसलिए किसान थांबू की एक कनाल जमीन का मुआवजा किसी ओर को दे दिया गया। उन्होंने कहा कि अब रिकॉर्ड को ठीक करवाया जाएगा। जैसे ही कोर्ट के निर्देश आएंगे, थांबू को उसका हक दिलवा दिया जाएगा।

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OUTLOOK 17 September, 2016
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